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साक्षियों की समालोचना करना भयानक है ककेप 146

हाल ही में स्वप्न में मैं एक सभा के सामने लाई गई, जहाँ कुछ लोग चेतावनी की एक गम्भीर साक्षी के प्रभाव को जिसे मैं ने उन्हे दी थी नष्ट करने का प्रयत्न कर रहे थे. वे कहने लगे,’बहन हाइट की साक्षियों पर विश्वास करते हैं, परन्तु जब वह हम को ऐसी-ऐसी बातें बतलाती हैं जिन्हें उन्होंने दर्शन में नहीं देखा विशेषकर विचाराधीन को तो उनके वचन हमारे निकट किसी अन्य व्यक्ति के वचनों से अधिक माने नहीं रखते.’’उसी समय परमेश्वर का आत्मा मेरे ऊपर आया और मैं ने उठकर उनको परमेश्वर के नाम से डांटा. ककेप 146.2

अब यदि वे लोग जिन्हें ये गम्भीर चेतावनियां दी गईं,कहें, “यह तो केवल बहिन हाइट की निजी राय है,तो मैं अपनी ही बात पर चलूंगा.’’और यदि वे उन्हीं बातों को करते रहें जिन के विरुद्ध चेतावनी दी गई थी और यह दिखलावे की वे परमेश्वर के परामर्श को तुच्छ समझते हैं तो नतीजा वही होगा जो परमेश्वर ने मुझे दिखलाया-परमेश्वर के कार्य को हानि और उनका स्वयं का नाश. कुछ हैं जो अपनी बात की पुष्टि के लिए साक्षियों में से ऐसी उक्ति निकालेंगे जिनसे वे समझते हैं कि उनके विचारों का समर्थन होना और उन्हीं पर सबसे मजबूत इमारत खड़ी करेंगी परन्तु जो बात उनकी कार्यवाही पर प्रश्न उठावे अथवा जो बात उनके विचारों से मेल नहीं खाती उन्हें वे वहिन ह्वाइट की निजी राय बतलाते हैं और उसकी स्वर्गीय उत्पत्ति का इन्कार करके उसे अपनी ही राय के बराबर समझते हैं. ककेप 146.3

और अब,हे भाइयों, मैं आप से विनती करती हूँ कि मेरे और लोगों के बीच मध्यस्थ का काम न कीजिए और उस प्रकाश को न बुझाइये जिसे परमेश्वर उनके पास आने देना चाहता है.अपनी आलोचना द्वारा साक्षियों में से जोर और शक्ति न निकालिये. ऐसा ख्याल न कीजिए कि आप उन्हें तोड़-मोड़ करके अपने ही विचारों के अनुकूल बना सकते हैं यह दावा करते हुए कि परमेश्वर ने आप को स्वर्गदूत प्रकाश और मानवी बुद्धि की उचित में विवेक करने की योग्यता प्रदान की है.यदि साक्षियां परमेश्वर के वचन के अनुकूल नहीं बोलती हैं तो उनको त्याग दीजिए.मसीह और (बेलियाल) दुष्टात्मा में मेल नहीं हो सकता.यीशु की खातिर लोगों के मनों को मानवो मिथ्यावादानुवाद और नास्तिकता के चक्कर में न डालिये और परमेश्वर के कार्य को अप्रभावित न होने जाए. आत्मिक विवेक के अभाव से परमेश्वर के इस साधन को ठोकर की चट्टान न बनाइए जिसकी वजह से बहुत से ठोकर खाकर गिर पड़े और फंस कर पकड़े जाएंगे. ककेप 146.4