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अध्याय 37 - छुट्टियों अथवा जयन्ती उत्सवों में कौटुम्बिक व्यवहार ककेप 216

हमारा अवकाश काल सांसारिक नमूने के अनुसार व्यतीत न किया जावे तौभी ऐसे समय की उपेक्षा करने से हमारे बालक असन्तुष्ट होंगे.इन दिनों में हमारी सन्तान के समक्ष यह भय है कि सांसारिक दुष्ट प्रलोभन एवं दूषित आनन्द अथवा आवेगा के द्वारा अपना बिगाड़ कर लें. माता-पिता प्रयत्नशील होकर अध्ययन करें कि ऐसे भंयकर मनोरंजनों के स्थान में अपनी सन्तान के लिए स्वस्थ्य साधनों की व्यवस्था करें. अपने बालों के मन में यह चार अंकित होने दीजिए कि आप को उनके कल्याण तथा सुख का विशेष ध्यान है. ककेप 216.1

तेवहार और छुट्टी के दिनों के उत्सव द्वारा संसार एवं मण्डली को यह विश्वास करने की शिक्षा दी गई है कि स्वास्थ्य और आनन्द के लिए ये आलस्यपूर्ण दिन अति आवश्यक हैं.अध्ययन करने पर मालूम हुआ है कि इसका परिणाम बुरा ही निकला है. मनोरंजक बनाने का भरसक प्रयत्न किया है.हमारा उद्देश्य सदा यह रहा है कि उनको अविश्वासियों के मनोरंजन दृश्यों से पृथक रखा जावे. ककेप 216.2

आनन्द की खोज में दिन व्यतीत करने के पश्चात् खोजों को सन्तोष कहाँ है? मसीही कर्मचारी होकर उन्होंने किसकी ऐसी सहायता की कि वह उत्तम, श्रेष्ठ और पवित्र जीवन व्यतीत कर सके? स्वर्गदुत ने उन के व्यवहार का जो लिखा है उस पर दृष्टि करके उनकी क्या प्रतिक्रिया होगी? एक दिन खो गया ! उनके आत्मा के लिए एक दिन नष्ट हो गया,मसीह की सेवा का एक दिन नष्ट होगा क्योंकि उस में कोई भलाई नहीं की गई. उन्होंने किसी अन्य दिन का सदुपयोग किया होगा पर उस दिन का नहीं जिस दिन को उन्होंने आलस्य में हलकी तौर पर बिता दिया जिस में लड़कों ने लड़कियों से और लड़कियों ने लड़कों से मूर्खता पूर्ण बातें की.उसके सामने और दिन होंगे पर वह कभी नहीं आयेगा. ककेप 216.3

उन्होंने अपनी छुट्टी के दिनों का सदुपयोग नहीं किया, वह तो अनन्त काम का एक अंश बनकर न्याय के दिन उनके विरुद्ध यह साक्षी देगा कि उन्होंने एक एक दिन का बड़ा दुरुपयोग किया. ककेप 216.4