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जन्म-दिवस परमेश्वर की स्तुति का समय ककेप 217

परमेश्वर के ठहराये अनुसार यहूदियों की रीति थी कि बालक के जन्म पर बलिदान चढ़ाया जावे.हम देखते हैं कि माता-पिता विशेष प्रयत्न करते हैं कि बालकों को उनके जन्म दिवस पर भेंटें दी जावें, वे इस अवसर को बालक के आदर के लिए उपयोग करते हैं मानो मनुष्य ही आदरयोग्य है.इन बातों में शैतान की अपनी ही विधि रही है.उसने भेंट और मन को मनुष्य की ओर पलटाया है जिस के कारण बालकों के मन उन्हीं की ओर लगते हैं मानों किसी विशेष उपकार के लिए उनका निर्माण हुआ है. ककेप 217.5

वर्षगांठ के अवसर पर बालकों को शिक्षा दी जाए कि वे परमेश्वर की प्रेममय दया तथा एक वर्ष में उनके जीवन की सुरक्षा निमित्त उसका धन्यवाद करें.इस प्रकार बहुमूल्य शिक्षा दी जा सकती है.अपने जीवन,स्वास्थ, भोजन और वस्त्र और सब से बढ़कर अनन्त जीवन की आशा के लिए हम समस्त दयाओं के दाता के अभारी हैं. परमेश्वर के निमित्त हम उसके वरदानों को पहिचाने और अपनी महान उपकारक के प्रति कृतज्ञता की भेंट चढ़ाएँ ऐसे जन्म दिन के दान परमेश्वर के ग्रहण योग्य है. ककेप 217.6

उन्हे सिखलाया जावे कि व्यतीत वर्ष का पुनरावलोकन करके यह देखें कि स्वर्गीय पुस्तक में उनके कार्यों को जो लेखा अंकित है उसे देखकर क्या उन्हें प्रसन्नता है? उनमें गम्भीर विचार प्रोत्साहित किए जावें जिससे वे सोच सकें कि क्या उन्होंने प्रयत्न किया है कि उनका जीवन मसीह के अनुकूल होकर परमेश्वर की दृष्टि में सुन्दर और चाहने योग्य है.प्रभु का ज्ञान, शिक्षा और मार्ग उन्हें सिखलाया जावे. ककेप 217.7

मैं ने अपने कुटुम्ब और अपने मित्रों से कहा है कि मेरी यह अभिलाषा है कि जब तक दान देने वाला अमुक भेंट को परमेश्वर के भंडार में उसको सेवा की उन्नति में व्यय किए जाने की अनुमति न दे सकें तब तक कोई भी मुझे जन्म-दिवस भेंट एवं उपहार देने का कष्ट न करें ककेप 217.8