प्रत्येक को अपनी इन्द्रियों की रक्षा करनी चाहिए ताकि शैतान उन पर विजयी न हो सके क्योंकि ये ही आत्मा के द्वार हैं. ककेप 225.1
आप को अपनी आँखें,कान और दूसरी इन्द्रियों पर विश्वासयोग्य पहरेदार होना है कि आप अपने मस्तिष्क पर पूर्ण नियंत्रण रखकर अपनी आत्मा को व्यर्थ और बुरे विचारों से बिगड़ने न दें. केवल अनुग्रह की महान शक्ति ही इस परमावश्यक कार्य को अच्छी तरह कर सकती है. ककेप 225.2
शैतान और उसके दूत इन इन्द्रियों को हानि पहुंचाने के प्रयल में लगे हैं कि वे सावधानी,चितौनी और सुधारने की शिक्षा न सुन सकें या यदि सुने तो उनका हृदय पर जीवन के सुधार के लिए कोई अवसर न पड़े. ककेप 225.3