Go to full page →

शिक्षक परमेश्वर के अधीन हैं ककेप 263

परमेश्वर प्रत्येक समर्पित शिक्षक के संग काम करता है;यदि शिक्षक इस बात को अनुभव करे तो इससे उसका स्वयं लाभ होगा.जो शिक्षक परमेश्वर के अनुशासन के अधीन रहते हैं वे बालकों को प्रदान करने के हेतु पवित्र आत्मा द्वारा अनुग्रह, सत्य और प्रकाश प्राप्त करते हैं.उनको महसूस करना चाहिये कि वे महान जगद्गुरु के अधीन हैं तो उनके लिये निर्दयता की भावना,कर्कशवाणी,चिड़चिड़ापन का प्रदर्शन करना कितना अनुचित है ! ऐसी स्थिति से वे अपनी त्रुटियों को अपने बालकों में बनाये रखते हैं. ककेप 263.3

परमेश्वर अपनी आत्मा द्वारा स्वयं उस प्राणी से वार्तालाप करेगा.जब आप अध्ययन करें तो ऐसी प्रार्थना करिये,‘‘मेरी आँखें खोल दे,कि मैं तेरी व्यवस्था की अद्भुत बातें देख सकें.’’(भजनसहिता 119:18)जब शिक्षक प्रार्थना में परमेश्वर पर अवलम्बन करेगा तो परमेश्वर का आत्मा उसके ऊपर आयेगा और उसके द्वारा विद्यार्थी के मन में काम करेगा.पवित्र आत्मा हृदय को धैर्य और आशा और धर्म पुस्तक की भावनाओं से भर देगा जो विद्यार्थी को प्रदान की जायेगी.सत्य के वचन की महत्ता बढ़ेगी और उसका अर्थ ऐसा विस्तृत और सम्पूर्ण होगा जिसका उसको स्वप्न में भी ख्याल न हुआ था. परमेश्वर के वचन के सौंदर्य तथा पवित्रता का हृदय और चरित्र पर परिवर्तनशील प्रभाव पड़ेगा;स्वर्गीय प्रेम की चिंगारियां बालकों के हृदय पर प्रेरणा उत्पन्न करेंगा.यदि हम बालकों के लिये दिल से काम करेंगे तो हम सैकड़ों वरन् हजारों बालकों को मसीह के पास ला सकते हैं. ककेप 263.4

यथार्थ में बुद्धिमान होने से पूर्व मनुष्यों को परमेश्वर पर अपनी निर्भरता स्वीकार करनी चाहिये तभी वे उसकी बुद्धिमता से परिपूर्ण हो जायेंगे.परमेश्वर मानसिक तथा आध्यात्मिक शक्ति का स्त्रोत है.संसार के अनुसार सबसे महान पुरुषों को जिन्होंने विज्ञान की उच्च श्रेणी का चुम्बन किया है प्रियतम यौन अथवा प्रेरित पावल से तुलना नहीं की जा सकती.मानसिक तथा आत्मिक शक्तियां एक साथ हो जाती हैं तो मानवता को उच्च आदर्श प्राप्त होता है.जो लोग ऐसा होने देते हैं उनको मानसिक शिक्षण में अपने संग कार्य करने वाले जैसा स्वीकार करेगा. ककेप 264.1

हमारी शिक्षा सम्बंधी सस्थाओं को इस समय सबसे महत्वपूर्ण काम संसार के समक्ष परमेश्वर के सम्मान देने का उदाहरण उपस्थित करने का है.मानवीय साधनों द्वारा पवित्र स्वर्गीय दूत काम की देख रेख करेंगे और प्रत्येक विभाग ईश्वरीय श्रेष्ठता की छाप लिए होगा. ककेप 264.2