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आज्ञा पालन द्वारा शक्ति-प्राप्ति ककेप 292

सत्य के ज्ञाताओं के ऊपर एक गम्भीर दायित्व यह है कि उनके सम्पूर्ण कार्य उनके विश्वास के अनुकूल हों और उनके जीवन स्वच्छ तथा पवित्र हों और वे उस काम के लिये तैयार हों,जिसे इस संदेश के अंतिम दिनों में शीघ्रता से किया जाना चाहिये.उनके पास न तो समय और न बल है कि उसे क्षुधा की तृप्ति में नष्ट करें ये शब्द हम एक बड़े जोर के साथ आते है;’’इस लिये पश्चाताप करके फिर जाओ कि तुम्हारे पास मिटाये जायें जिस्ते जीव का ठंढा होने का समय परमेश्वर की ओर से आवे.’’(प्रेरितों के काम )हम में बहुत से हैं जो धार्मिकता में अपूर्ण हैं:यदि उनका पूर्णत: हृदय परिवर्तन न हो तो वे अवश्य ही खो जायंगे.क्या आप ऐसा नुकसान उठाने को तैयार है? ककेप 292.1

परमेश्वर अपने लोगों से चाहता है कि वे लगातार बढ़ते रहें.हमें सीखने की जरुरत है कि क्षुधा की तृप्ति से मानसिक वृद्धि तथा आध्यात्मिक शुद्धि में बड़ी रुकावट होती है.स्वास्थ्य सुधार का सारे दावों के बावजूद हम में से कईएक अनुचित रीति से भोजन करते हैं.क्षुधा की तृप्ति शारीरिक तथा मानसिक कमजोरी का प्रमुख कारण है और निर्बलता तथा अकाल मृत्यु का बुनियादी पथ है.जो व्यक्ति आत्मा की शुद्धि की चेष्टा करता है.याद अकाल मृत्यु का बुनियादी पथ है.जो व्यक्ति आत्मा के शुद्धि की चेष्टा करता है.याद रखिए कि क्षुधा के नियंत्रण के लिए मसीह के पास शक्यिा है. ककेप 292.2

यदि हम को मांसाहार की इच्छा की तृप्ति से लाभ पहुंचता तो मैं आप से यह विनय न करती परन्तु मैं जानती हूं कि हमें कुछ लाभ नहीं मिल सकता.मासाहार शारीरिक स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है और हमें उनके बगैर रहना सीखना चाहिये.जो लोग ऐसे स्थान में हैं जहां निरामिश भोजन मिलना असम्भव है परन्तु इस मामले में अपनी ही इच्छानुसार खाते पीते हैं वे वर्तमान सत्य के अन्य पहलुओं के बारे में जो आदेश परमेश्वर ने दिये हैं उनके प्रति धीरे-धीरे लापरवाह हो जायेंगे और सत्य का बोध खो बैठेंगे,वे सचमुच नहीं लवेंगे जो उन्होंने बोया है. ककेप 292.3

मुझे हिदायत दी गई है कि हमारे स्कूलों में विद्यार्थियों को माँसाहार अथवा अनारोग्यकर खाद्य सामग्रियां नहीं परोसी जानी चाहिये.खाने की मेज़ पर ऐसी वस्तुएं नहीं रखनी चाहिये जिनमें उत्तेजक पदार्थों की इच्छा को प्रोत्साहन मिले, मैं वृद्ध,बालक तथा प्रौढों सब से विनय करती हूँ.अपनी क्षुधा में से पदार्थों को निकालिये जिनसे आप को नुकसान पहुंच रहा है.परमेश्वर की सेवा बलिदान द्वारा कीजिए. ककेप 292.4

बहुत से लोग ऐसा महसूस करते हैं कि बिना मांसाहार के उनकी गुजर न हो सकेगी;पर यदि ये लोग अपने को परमेश्वर की तर्फ रखें और दृढ़ प्रण करें कि उसके मार्गदर्शन पर चलेंगे तो वे दानिय्येल और उनके साथियों की भांति शक्ति तथा बुद्धि प्राप्त करेंगे.पता करेंगे कि परमेश्वर उनको यथोचित विवेक प्रदान करेगा.बहुत से लोग विस्मित होंगे कि आत्मा त्याग के कार्यों के द्वारा वे परमेश्वर के काम के लिये कितना बचा सके.बलिदान के कार्यों द्वारा जो छोटी-छोटी रकमें बचाई गईं वे परमेश्वर के काम के निर्माण के लिये बड़े-बड़े दानों की अपेक्षा जिनमें आत्म त्याग की आवश्यकता नही पड़ी बहुत अधिक कार्य करेंगी. ककेप 292.5