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तम्बाकू का धुआं स्त्रियों तथा बालकों के लिये हानिकारक ककेप 301

स्त्रियों तथा बालकों को हुक्के या चुरुट से गंदी की हुई वायु अथवा तम्बाकू पीने वाले की गंदी सांस को अपने फेफड़ों में लेने के कारण कष्ट उठाना होता है.जो इस वायुमंडल में रहते हैं वे सदा बीमार रहेंगे. ककेप 301.7

फेफड़ों और त्वचा के छिद्रों से निकली हुई विषैली तम्बाकू की दुर्गंध को सांस लेने से बच्चे की शरीर रचना विष से भर जाती है.जब कि यह बाज बच्चों में धीमे विष की तरह काम करता है और मस्तिष्क, हृदय, यकृत तथा फेफड़ों पर प्रभाव डालता है और वे क्षीण हो जाते तथा क्रमश: मिट जाते हैं;दूसरों पर उसका सीधा प्रभाव पड़ता है जिससे ऐंठन,दौरा, पक्षाघात तथा अचानक मृत्यु उत्पन्न हो जाती है.तम्बाकू के दास के फेफड़ों से हर सांस में जो वायु निकलती है वह इर्द-गिर्द की हवा को विषैली बनाती है. ककेप 301.8

गत पीढ़ियों की अस्वस्थ प्रथाएं आज के बालकों तथा युवकों पर प्रभाव डालती हैं.मानसिक अयोग्यता,शारीरिक निर्बलता,अव्यवस्थित नाड़ियां और अप्राकृतिक इच्छायें मीरास के रुप में पिता से पुत्र तक पहुंचाई जाती है.और वही आदतें जब बालकों द्वारा जारी रखी जाती हैं तो उनसे बुरे परिणामों की संख्या बढ़ती जाती और चिरस्थायी होती जाती है. ककेप 301.9