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कोई जन दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता ककेप 327

मसीह ने हमारे सामने दो स्वामी उपस्थित किये हैं परमेश्वर और संसार, और स्पष्टता से यह दिखलाया कि दोनों की सेवा करना असम्भव है.यदि हमारी दिलचस्पी और प्रेम इस संसार के लिये हमारे मन पर प्रभुत्व रखते हैं तो हम उन बातों की कोई कद्र न करेंगे जो सर्वोपरि हमारे ध्यान आकर्षण करने योग्य हैं.संसार का प्रभु परमेश्वर के प्रेम को निकाल बाहर करेगा और हमारे सर्वोच्च रुचियां सांसारिक बातों से दब जाएंगी.इस प्रकार परमेश्वर हमारी श्रद्धा और भक्ति में ऐसा श्रेष्ठ स्थान ग्रहण नहीं करेगा जिस प्रकार सांसारिक वस्तुएं करती है. ककेप 327.2

शैतान मनुष्यों के साथ अधिक सावधानी के साथ बर्ताव करता है बनिस्बत उस बर्ताव के जो उसने प्रलोभन के जंगल में मसीह के साथ करता था क्योंकि उसको वहां एक चितावनी हुई है कि उस भूमि में उसकीर पराजय हुई है,वह पराजित शत्रु है.वह मनुष्य के पास सीधा आकर ऊपरी उपासना द्वारा अधीनता की मांग नहीं करता,वह केवल लोगों से यही कहता है कि इस संसार की अच्छी-अच्छी वस्तुओं से प्रेम करो.यदि वह उनके मन और प्रेम को इस ओर आकर्षित करने में सफल हो जाय तो स्वर्गीय आकर्षण ओझल हो जाते हैं.मनुष्य से वह यही चाहता है कि वह उसके प्रलोभन के धोखे में आ जाय कि वह सांसारिक बातों से पदलिप्सा,धन से प्रेम करे और अपना मन सांसारिक द्रवसंचय में लगावे.यदि यह उसको प्राप्त हो जाय तो उसको सब कुछ मिल गया.यही उसने मसीह से भी चाहा था. ककेप 327.3