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अपने दिमाग को दूसरे के नियत्रण में देना ककेप 336

किसी एक व्यक्ति को दूसरे के दिमाग को अपने काबू में रखने की आज्ञा नहीं है यह सोच कर कि ऐसा करने में वह उसको बड़ा लोभ पहुंचाएगा हिपनोटिज्म (वशीकरणविद्या)विद्या द्वारा चंगा करना एक सबसे खतरनाक धोखा है जो किसी भी व्यक्ति पर व्यवहार में लाया जा सकता है.अलबत्ता क्षणिक आराम महसूस होगा परन्तु जिसके दिमाग को इस तरह काबू में किया जाता है फिर वह ऐसा मजबूत और भरोसे के योग्य नहीं हो सकता.शायद हम ऐसे कमजोर हों जैसी वह स्त्री जिसने मसीह के वस्त्र को किनारी हुई थी;परन्तु यदि हम अपने ईश्वरदत्त अवसर को काम में लाकर उसके पास विश्वास में आवें तो वह उतनी ही शीघ्रता से उत्तर देगा जिस प्रकार उसने उस विश्वास पूर्ण स्पर्श का उत्तर दिया था. ककेप 336.1

परमेश्वर का उद्देश्य यह नहीं है कि एक मनुष्य अपने मस्तिष्क को किसी दूसरे व्यक्ति के हवाले करे.जी उठा मसीह जो इस समय पिता के दाहिने हाथ सिहांसने पर बैठा है वही सामर्थी चिकित्सक है.उसी की ओर आरोग्य होने के निमित्त देखिये.उसी के द्वारा पापी जैसे भी वे हैं परमेश्वर के पास आ सकते हैं.वे किसी अन्य व्यक्ति के मास्तिष्क के द्वारा को कभी नहीं आ सकते.मानवीय साधन को कभी स्वर्गीय प्रतिनिधियों और दु:खी लोगों के बीच बिचौलिया नहीं बनना. ककेप 336.2

हर एक को ऐसी हालत में होना चाहिये कि दूसरे लोगों के मन को परमेश्वर की ओर नेतृत्व करने में उसके साथ सहयोग करें.उनसे उसकेअनुग्रह और शक्ति का वर्णन कीजिए जो संसार का सबसे महान चिकित्सक है और जिसको संसार ने कभी नहीं जाना. ककेप 336.3

हम आपसे यह आग्रह नहीं करते कि अपनी नई किसी व्यक्ति के मन को नियंत्रण में रखें.हिपनोटिज्म (वशीकरणविद्या)द्वारा चंगा करना बहुत ही डरावना विज्ञान है.जिसका कभी समर्थन किया था.हर एक दुष्ट मनुष्य अपने बुरे उद्देश्यों की पूर्ति के लिये इसको प्रयोग में ला सकता है.इस प्रकार के विज्ञान से हमारा कोई सम्बंध नहीं होना चाहिये.हमें उससे डरना चाहिये.उसके प्रथम सिद्धान्त किसी पाठशाला में, किसी संस्था में कभी नहीं लाने चाहिये. ककेप 336.4

प्रार्थना की उपेक्षा करने से लोग अपनी ही शक्ति पर भरोसा करने लगते हैं और प्रलोभन के लिये द्वार खुल जाता है.अनेक परिस्थितियों में विचारशक्ति वैज्ञानिक अन्वेषण के धोखे में पड़ जाती है और लोग अपनी ही शक्तियों के सब्बत फूल जाते हैं.वे विज्ञान जो मानवी मन की चिकित्सा करते हैं उच्चासीन किये जाते हैं.अपनी ज ककेप 336.5

’’गह वे ठीक हैं परन्तु शैतान अपने शक्तिशाली प्रतिनिधि रुप में उनको कबूजे में करता है ताकि आत्माओं को धोखा देकर नष्ट करे.उसकी कलाएं स्वर्गीय समझकर स्वीकार की जाती हैं और यों वह उस आराधना को प्राप्त करता है जो उसे भली मालूम होती है.संसार जिसको मस्तिष्क विज्ञान पाशविक मेस्मेरिज्म लाभ उठाना चाहिये था इतना भ्रष्ट कभी नहीं हुआ था जैसा अब हुआ है. इन विज्ञान के द्वारा सद्गुण नष्ट हो जाता है और प्रेतवाद की बुनियाद डाली जाती है. ककेप 336.6