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मसीही लोग स्वर्गीय बातों के बारे में सोचना तथा बात करना प्रसन्द करते हैं ककेप 351

स्वर्ग में परमेश्वर सब कुछ है.वहां पवित्रता प्रधान है;परमेश्वर के साथ ऐक्य को बिगाड़ने वाली कोई वस्तु नहीं है.यदि हम सचमुच में उस दिशा में यात्रा कर रहे हैं तो स्वर्ग की आत्मा को पहिले यहां हमारे मन में वास करना चाहिये.परन्तु यदि हम को स्वर्गीय विषयों के सोच विचार में यहां कोई आनंद नहीं आता,यदि हमें परमेश्वर के ज्ञान खोजने में कोई दिलचस्पी नहीं है,मसीह के चरित्र देखने में कोई हर्ष नहीं;यदि पवित्रता में हमारे लिये कोई आकर्षण नहीं-तब हमको निश्चय जानना चाहिये कि हमारी स्वर्ग की आशा व्यर्थ है. ककेप 351.4

मसीही पुरुष के सामने परमेश्वर की इच्छा की पूर्ण अनुकूलता का उच्च लक्ष्य नित्य रहना चाहिये.वह परमेश्वर के और यीशु के और परमानंद तथा पवित्रता के घर जिसे मसीह ने अपने प्रेमियों के लिये तैयार किया है.जब आत्मा परमेश्वर के धन्य आश्वासनों का स्वाद लेती है तो इन प्रसंगों पर सोच विचार करने को,प्रेरित ऐसा बतलाता है कि ‘’होने हारे जगत की शक्ति का स्वाद’ ‘लिया जा रहा है. ककेप 351.5

हमारे ठीक सामने उस महान वादविवाद का अंतिम संघर्ष है जब ‘सब प्रकार के सामर्थ्य और चिन्हों और अद्भुत कामों के साथ और ...अधर्म के सब प्रकार के छल के साथ ‘’शैतान परमेश्वर के चरित्र को इस गलत रीति से वर्णन करेगा कि हो सके तो चुने हुये लोगों को भी भरमावे. ‘’यदि किसी समय किसी सम्प्रदाय को स्वर्ग के विस्तृत प्रकाश की नित्य आवश्यकता हुई तो वे यही लोग हैं जिन्हें इस जोखिम के समय परमेश्वर ने अपनी पवित्र व्यवस्था के धरोहर होने को और उसके चरित्र को संसार सन्मुख सत्य सिद्ध करने को बुलाया है.जिन लोगों को ऐसी पवित्र धरोहर सौंपी गई है उनको उन सत्यों द्वारा जिन पर वे विश्वास करने का दावा करते हैं आत्मिक,समुन्नता तथा जीवित होना चाहिये. ककेप 352.1