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अध्याय 66 - “देख मैं शीघ्र आने वाला हूँ’‘ ककेप 361

हाल ही में रात्रि के दर्शन में मेरे मन में पवित्र आत्मा ने यह विचार व्यक्त किया कि यदि प्रभु इतना शीघ्र आ रहा है जैसा हम विश्वास करते हैं तो हम को लोगों के सामने सत्य को पहुंचाने में पिछले सालों की बनिस्बत अधिक सक्रिय होना चाहिये. ककेप 361.1

इस सम्बंध में मेरा ध्यान सन् 1843 और 1844 में मसीह के आगमन पर विश्वास रखने वालों को सक्रियता की ओर फेरा गया.उस समय घर-घर जाकर मुलाकातें की जाती थीं और लोगों को परमेश्वर के वचन में कही गई बातों के विषय में चितावनी देने के लिए अधिक परिश्रम किए जाते थे.जो पहिले दूत के संदेश देने वाले विश्वस्त से देते थे उनसे हम को कठिन परिश्रम करना चाहिए.हम वेग से इस पृथ्वी के इतिहास के अंत की ओर पहुंच रहे हैं और जब हम यह महसूस करते हैं कि यीश सचमुच में बहुत शीघ्र आ रहा है तो हम परिश्रम करने के लिये ऐसे जाग जायंगे जैसे पहिले कभी नहीं जागे थे.हमें आज्ञा हुई है कि लोगों को खतरे की घंटी बजा कर चितावनी दें.और अपने ही जीवन से हम सत्य और धार्मिकता की शक्ति की प्रगट करें.संसार को शीघ्र ही व्यवस्था उल्लघंन के लिये व्यवस्थादता के सन्मुख खड़ा होना होगा.केवल वे ही क्षमा तथा शांति की आशा कर सकते हैं जो आज्ञा उल्लघंन से आज्ञा पालन की ओर फिरंगे. ककेप 361.2

आह, कितने उपकार का कार्य सम्पन्न होता यदि सारे लोग जिनके पास सत्य मार्ग और जौवन वचन है उनको ज्ञान देने का परिश्रम करते जिनकेपास हैं नहीं.शोमरोनी स्त्री को बुलाहट पर जब शोमरोनी लोग मसीह के पास आये तो मसीह के पास आये तो मसीह ने अपने शिष्यों को उनके बारे में बतलाया कि वे एक अनाज के पक्के हुए खेत के सदृश्य हैं जो कटनी के लिए तैयार ‘क्या तुम नहीं कहते,कि कटनी होने में अब भी चार महीने पड़े हैं?’’देखो, मैं तुम से कहता हूँ अपनी आँखे उठाकर खेतों पर दृष्टि डालो,कि वे कटनी के लिए पक चुके हैं.(यूहन्ना 4:365) ककेप 361.3

मसीह शोमरोनियों के संग दो दिन तक रहा क्योंकि वे सत्य वचन सुनने के भूखे थे.और वे दिन कितने व्यस्त थे.इन दिनों के परिश्रम के फलस्वरुप,उसके वचन के कारण और बहुतेरों ने विश्वास किया “उन की गवाही यह थी’’हम ने आप ही सुन लिया, और जानते हैं कि यही सचमुच में जगत का उद्धारकर्ता है.पद 41,42 ककेप 361.4