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व्यक्तिगत निर्णय को प्रधानता देने में भय ककेप 107

जो अपने वैयक्तिक फैसले को प्रमुख समझते हैं वे बड़े खतरे में हैं.शैतान को पूर्व निश्चित है कि ऐसों को उनसे जो प्रकाश के स्त्रोत हैं पृथक रखे और जिनके द्वारा परमेश्वर अपने कार्य को पृथ्वी पर बनाना व फैलाना चाहता है. जिनको परमेश्वर ने नेता होने की जिम्मेवारी उठाने के लिये मुकर्रर किया है उनकी अवहेलना करने तथा उनको तुच्छ समझने का अर्थ उन साधनों को ठुकराना है जिन्हें उसने अपने लोगों की मदद,प्रोत्साहन तथा शक्ति के हितार्थ नियुक्त किया है.परमेश्वर के कार्य में संलग्न किसी भी कर्मचारी को इनकी अवहेलना करना और यह सोचना कि उसका प्रकाश किसी और मार्ग से नहीं आयेगा सिवाय सीधे परमेश्वर से अपने आप को ऐसी स्थिति में रखना है जहां वह शत्रु से धोखा खा सकता हैं और गिराया जा सकता है. ककेप 107.7

परमेश्वर ने बुद्धिमत्ता से प्रबंध किया है कि सारे विश्वासो आपस में सम्बंध द्वारा एक मसीही दूसरे से और एक मंडली दूसरी से संयुक्त हो जाय.इस प्रकार मानवीय साधन ईश्वरीय साधन के संग सहयोग देने के योग्य होगा. प्रत्येक साधन पवित्र आत्मा के अधीन होगा, और सारे विश्वासी सुव्यवस्थित, सुसंचालित प्रयत्न में मिल कर परमेश्वर के अनुग्रह का सुसमाचार जगत को देंगे. ककेप 108.1

जिस प्रकार मानवीय देह के विभिन्न अंग सम्पूर्ण देह के निर्माणार्थ संयुक्त हो जाते हैं और प्रत्येक अंग अपने-अपने कर्तव्य को पालन सर्वशासित बुद्धि की आज्ञाधीनता में करता है इसी प्रकार मसीह की मंडली के सदस्यों के सुडौलता से एक अंग में संयुक्त हो जाना चाहिए और सम्पूर्ण संस्था की पवित्र बुद्धि के अधीन रहना चाहिये. ककेप 108.2