Go to full page →

अनाथों की देख रेख ककेप 126

जिनकी जरुरतों की ओर हमारी अभिरुचि खींचनी चाहिए उन में विधवा और अनाथ हैं जो हमारी सहानुभूति के दावेदार हैं. वे परमेश्वर की विशेष देखरेख के पात्र हैं वे परमेश्वर के लिए मसीही लोगों को धरोहर के रुप सौंपे गये हैं. ‘’हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है कि अनाथों और विधवाओं के क्लेश में उनकी सुध लें, और अपने आप को संसार से निष्कलंक रखें.’’(याकूब 2:27) ककेप 126.2

बहुत से पिताओं जो धर्म में मर गये परमेश्वर की अनन्त प्रतिज्ञाओं पर आसरा रखकर अपने प्रिय जनों को पूर्ण भरोसे के साथ छोड़ गये कि परमेश्वर उनकी अवश्य रक्षा करेगा. तब परमेश्वर इन शोकाकुल प्राणियों की आवश्यकताओं को किस तरह पूर्ति करता है? वह स्वर्ग से मान् भेजने का आश्चर्य कर्म तो नहीं करता;न वह कौवों द्वारा भोजन पहुँचाता है;परन्तु वह मानव के हृदय में आश्चर्य कर्म कर डालता है,वह उसके हृदय से स्वार्थ को निकाल कर उदारता से स्त्रोत खोल देता है.वह अपने इकरारी अनुयायियों की प्रोति की परीक्षा इस तरह करता है कि उन की करुणा पर पोड़ितों व शोकातुरों को सौंप देता है. ककेप 126.3

जिनके हृदय में परमेश्वर का प्रेम बसा है इन अनाथ बालकों को अपने हृदयों में और घरों में जगह दें. बड़े-बड़े अनाथालयों में अनाथों की देख रेख करने की योजना उत्तम नहीं है तो कलीसिया के मेम्बर या तो इनको लेपालक के रुप में रुप में अपने परिवार में ले लें अथवा उनके लिए दूसरे परिवारों में योग्य स्थान तलाश कर दें. ककेप 126.4

ये बालक ऐसे हैं जिनको मसीह विशेष रुप में देखता है जिन की अवहेलना करना पाप है. उन पर मसीह के नाम से प्रत्येक दया का कार्य ऐसा समझा जाता है मानो स्वयं ककेप 126.5