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साक्षियों को उनके फलों से परखिए ककेप 143

साक्षियों को उनके फलों से परखिए. शिक्षा का वास्तविक अर्थ क्या है? उनके प्रभाव से क्या क्या नतीजे निकले हैं जितने इन बातों को जानना चाहते हैं वे अपने को इन दर्शनों के परिणामों से परिचित करा सकते हैं. परमेश्वर ने दर्शनों के फलों को शैतान की शक्तियों द्वारा तथा शैतान के काम में सहायता पहुंचाने वाले मानव अभिकरणों के विरोध के बावजूद, जीवित रखकर बढ़ने दिया है.मंडली की गलतियों के कारण प्रताड़ना देकर उनके विश्वास को दृढ़ करते हुए उन्हें सिखा रहा था अथवा नहीं. चाहे यह परमेश्वर का हो या न हो. परमेश्वर का शैतान के साथ कोई साझा नहीं. मेरे कार्य पर या तो परमेश्वर को छापा है या शत्रु की छाप है. इस प्रसंग में कोई आधों आध का हिसाब नहीं है.साक्षियों या तो परमेश्वर की आत्मा की ओर से दी गई हैं या दुष्टात्मा की ओर से. ककेप 143.2

जब प्रभु ने नबूवत की आत्मा द्वारा अपने को प्रकट किया, भूत, वर्तमान भविष्य तीनों काल मेरे सामने गुजरें हैं. मुझे उन लोगों के चेहरे दिखलाए गये जिन्हें मैं ने कभी नहीं देखा था परन्तु वर्षों बाद जब मैं ने उन्हें देखा तो तुरन्त उन्हें पहचान लिया. उन विषयों के स्पष्ट ज्ञान के साथ जो मुझे इससे पहिले दिखाये गये थे जागो और उठकर मैं ने आधी रात को चिट्टियां लिखीं जो महाद्धीप के पार भेजी गई ऐसी निर्णायक घड़ी पर पहुंची ! जिनके द्वारा परमेश्वर का कार्य बड़े खतरे से बच गया. गई वर्षों तक मेरा यही काम रहा. किसी शक्ति ने मुझे प्रभावित किया बुराइयों पर ताड़ना और धमकी दी. जिसके बारे में मैंने कभी सोचा भी न था. यह काम ऊपर से है या नीचे से? ककेप 143.3