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स्वर्गीय सहयोग ChsHin 175

प्रभु यीशु को हर एक पीड़ित के कश्टों का अहसास है, जब पैतानी ताकत मनुश्य को कश्ट पहुँचाती हैं तो खीश्ट को वह षाप महसूस होता है। जब षरीर का तापमान बढ़ जाता है और जीना कठिन होता है तो कश्ट प्रभु यीश को होता है। वह आज भी एक बीमार को वैसे ही चंगा करना चाह रहा है, जैसे उसने तब किया था ज बवह इस पृथ्वी पर था। प्रभु के सेवक उसके प्रतिनिधी हैं और उसके कार्य करने वाले स्त्रोत भी वे ही हैं। वह चाहता कि उनके द्वारा मनुश्यों तक वह चंगाई की सामर्थ पहुंचे। (द डिजायर ऑफ ऐजेज़- 823, 824) ChsHin 175.1

परमेष्वर ने अपने सेवकों को ठहराया है कि उनके द्वारा बिमारो, बदकिस्मत और दुश्ट आत्मा से ग्रसित लोग उसकी आवाज सुने। और मानवीय माध्यम के द्वारा वह उनका सहायक बनना चाहता है। ऐसा सहायक जो संसार में और कोई नहीं। (द मिनिस्ट्री ऑफ हीलिंग — 106) ChsHin 175.2

खीश्ट उन स्वास्थ्य चिकित्सक सेवकों का सहयोग करता है, जो इस काम में लगे होते है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 7:51) ChsHin 175.3

प्रभु ने उनके द्वारा काम किया, जहां कहीं वे गये, बीमार चंगे हुये और गरीबों को सुसमाचार प्रचार किया गया। (द एक्ट्स ऑफ अपॉसल्स- 106) ChsHin 175.4

प्रभु यीशु व्यक्ति के रूप में इस जगत में नहीं हैं कि वे हर षहर, कस्बा व गाँव-गाँव जाकर बिमारो को चंगा करें। किन्तु वही काम जो उसने पृथ्वी पर रहते हुये षुरू किया था, वो हमें दिया हैं कि हम उस काम को जो लोगों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने का है. आगे बढायें । (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:168) ChsHin 175.5