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एक सफल योजना ChsHin 231

मिशन के लिये उन अविश्वासियों तक पहुँचने के लिये बनाई गई योजनाओं में से एक नई योजना फसल बटोरने का अभियान है। पछिले कुछ सालों में कई स्थानों पर इस योजना को सफलता मिली है कई लोग आशिषित हुये और मिशन के खजाने में तेजी से वर्षद्ध हुई है। जैसे कि कुछ जो हमारे धर्म को मानने वाले नहीं है, उन्हें भीउन मूर्ति पूजक देशों में तीसरे स्वर्गदूत के संदेश को बताया गया, उनकी सहानुभूति जागी और उनमें से कोई लोगो ने सच्चाई को और अधिक जानने की इच्छा जाहिर की, जिसकी सामर्थ से उनके हष्दय और जीवन बदल सकते है। सभी वर्ग के स्त्री-पुरूष इस अभियान में शामिल हुये और परमेश्वर के नाम की महिमा हुई। (मनुस्क्रीप्ट 2, कॉम्सीकेटटेड, कॉम्सीकेटेड एफटर्स टू रीच अन बिलिवर्स, 5 जून 1914) ChsHin 231.2

कुछ लोग पूछ सकते है कि क्या अविश्वासियों से उपहार प्राप्त प्राप्त करना उचित है? ऐसों को स्वयं से प्रश्न पूछना चाहिये। “हमारे इस जगत का सही मालिक कौन है?’ इस जमीन सोने व चांदी के खजाने का मालिक कौन है? प्रभु के जगत में हर वस्तु अपार है और उसने इन वस्तुओं को हर मानव के हाथ में कर दिया है, चारे वे आज्ञाकारी हो या न हों। वह इन सांसारिक व्यक्तियों के हष्दयों को बदलने के लिये तैयार है। चाहे मूर्तिपूजक ही क्यों न हो वे अपनी भरपूर सम्पत्ति इस काम को आगे बढ़ाने में दे। और वह ऐसा करेंगे भी। और तभी उसके लोगउनके पास बुद्धिमानी से पहुंचने का प्रयास करेंगे। उन्हें उनका ध्यान इस और आकर्षित करने के लिये जो कि उनका सुअवसर है कि वे ऐसा करे। यदि परमेश्वर के काम की जरूरतें सही तरके से सामने रखी जाती कि ऐसे लोग जिनके पास सभी साधान उपलब्ध है। काफी कुछ कर सकते है ताकि परमेश्वर का काम रूके नहीं और वर्तमान सत्य सवको बताया जाये। परमेश्वर के लोगों में अनेक अवसर हाथों से गंवा दिये, जिनसे उन्हें काफी फायदा मिल सकता था, यदि उन्होंने संसार का प्रतिनिधित्व करने को स्वयं अकेले का काम समझ कर नहीं किया होता। (द सर्दन वॉचमेन-15 मार्च 1904) । ChsHin 232.1

परमेश्वर आज भी राजाओं और प्रधानों के हष्दयों में उसके लोगों के प्रति काम करता है। जो उसके लिये परिश्रम करते है, उनके काम के लिये जिस प्रकार की मदद जरूरत होती है वह उन्हें उत्साहित करना है कि वे खुले हाथ से मदद दे ताकि परमेश्वर का काम आगे बढ़ता रहे। वे साधन जिनके द्वारा मदद की जाती है, वे उन अंधकार में पाये जाने वाले अनेक देशों के लोगों के लिये सच्चाई की रोशनी ला सकते है। और ज्योति का रास्ता बना सकते है। हो सकता है ये लोग जो मदद के लिये हाथ बढ़ाते हैं, इन्हें प्रभु के काम के प्रति कोई लगाव, सहानुभूति न हो, प्रभु यीशु में विश्वास न हो उसके वचन के बारे में कुछ ज्ञान न हो फिर भी इनके द्वारा गये ये उपहार इन कारणों से लौटाये नहीं जा सकते। (द सर्दन वॉचमेन-15 मार्च 1904) ChsHin 232.2

प्रभु ने अपना सामान, विश्वासियों और अविश्वासियों दोनों को सौपा है। वह सब उसको लौटाया जा सकता है, किन्तु उसके अपनो के लिये काम करने के बाद, जो इस पाप में गिरे जगत के लिये किया जाना हैं जब तक हम इस जगत में हैं, जब तक परमेश्वर का आत्मा उसके बच्चों के मन में काम करता है तब तक हम उसका सहयोग उसकी सहायता पाकर उसे लोगों में बांटते रहेंगे। हमे जगत को सत्य की रोशनी प्रदान करना है। जो वचन में प्रकाशित की गई है। और जगत से वह प्राप्त करना है जिसे परमेश्वर स्वयं उन्हें देता हैं ताकि उसका काम किया जा सके। (द सर्दन वॉचमेन-15 मार्च 1904) ChsHin 232.3

यद्यपि आज संसार का सारा का सारा धन और सम्पत्ति दुष्ट लोगों के पास है, जो परमेश्वर का है। ये पष्थ्वी और उसकी सब वस्तुये उसी की हैं, सोना मेरा हैं और चांदी भी मेरी है। “सेनाओं का परमेश्वर कहता है। जंगल का हर एक प्राणी तथा मैदानों के पर्वतों के सारे जानवर भी मेरे है। मैं पर्वतों के हर एक पक्षी को जानता हूँ और मैदान का हर प्राणी मेरा है। यदि मैं भूखा होता तो तुम से न कहता, क्योंकि सम्पूर्ण जगत मेरा है और उसकी हर वस्तु मेरी है।’ ये तो हर एक मसीही के लिये बहुत ही ज्यादा आनन्द की बात होना चाहिये कि ये उनके मौंके का फायदा उठाते और परमेश्वर के राज्य की बढ़ती के लिये काम कर सकते है। (द सर्दन वॉचमेन-15 मार्च 1904) ChsHin 233.1