Go to full page →

अध्याय — 17
मसीही-सहायता कार्य ChsHin 255

स्वर्गीय पचिन्हों पर चलना ChsHin 255

कई लोग सोचते है कि प्रभु यीशु के जीवन से जुड़े बहुत से दष्श्यों पर गौर करना हमारे लिये अच्छा होगों जैसे जहाँ प्रभु ने यात्रायें की वह झीले जिनके किनारे उसने प्रचार करना पंसद किया, वे नासरत कपर नियम या बेथनी जाना नहीं चाहते, जहाँ प्रभु यीशु गये थे जहाँ हम उसने पद चिन्ह बिमार लोगो के पास गरीबों से तंग लोगों के पास, लोगो की भीड़ से भरे बड़े शहरों और वह हर एक स्थान जहाँ दूखी लोगो को सहायता व सहानुभूति की आवश्यकता है। यदि हम वही करें, जो प्रभु यीशु ने इस पष्थ्वी पर किया, तब हम उसके पद चिन्हों पर चलेगें। (द डिजायर ऑफ एजेज 640) ChsHin 255.1

प्रभु यीशु ने हर एक बिमार को जिसे उनसे देखा उसे उसके दुख से छुटकारा दिया। उसने स्वयं के भोजन की चिता न करते हुये उन भूखों को खिलाया, जिन्हें ज्यादा जरूरत थी। उसके भाईयों ने देखा कि उसका प्रभाव लोगो पर अत्याधिक पड़ा, उनकी स्वंय की तुलना में प्रभु का एक अलग ही तरीका था जो अन्य किसी के पास नही था। और न ही वे जानने की इच्छा रखते थे। जब वे गरीबों और नीचे स्तर के लोगो से बुरा व्यवहार करते तब प्रभु यीशु उनके पास जाते और उन्हें प्रोत्साहन देते। जो जरूरत मंद होते उन्हें वह ठण्डा पानी पिलाते और चुपचाप से अपना भोजन उनके हाथ में रख देते थे। जैसे बिमारों को चंगा किया जो सच्चाई उसने बताई व सिखाई वह दया के कर्मो से पूर्ण थी और इसीलिये हमारे जहन में याद में रहेंगी। (द डिजायर ऑफ एजेज 86, 87) ChsHin 255.2