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युद्ध की आत्मा से सम्पूर्ण जगत हिल गया ChsHin 72

सम्पूर्ण जगत युद्ध और युद्ध के खतरे से विचलित हो गया है, दानियेल की पुस्तक के ग्यारहवें अध्याय में की गई भविश्यवाणी के पूरा होने का समय नज़दीक आ पहुंचा है। जल्दी ही वे सारी विपत्तियाँ, जिनका जिक्र भविश्यवाणी में हुआ है, लोगों पर आने वाली हैं। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:14) ChsHin 72.3

मुझे दर्शन में दिखाया गया कि पष्थ्वी के निवासी बड़ी दुविधा में पड़े हैं। युद्ध, खूनखराबा, सुख की कमी, खाने-पीने की कमी, अकाल और महामारी चारों ओर फैली हुई है। तब मेरा ध्यान एक दश्य पर लाया गया। जहाँ षान्ति का थोड़ा ही समय बाकी रहा था। एक बार फिर दुनिया के लोग मझे दिखाये गये और फिर से चारों ओर पूरी तरह से बैचेनी फैल गई चारों ओर भूखमरी, युद्ध, खूनखराबा, अकाल तथा महामारी हर जगह फैली थी। अन्य देश भी युद्ध और परेषानियों में फंसे थे। युद्ध के कारण अकाल पड़ गया। खाने-पीने की कमी और खूनखराबे के कारण महामारी फैल गई, और तब तक मनुश्य का हृदय उस डर से घबरा गया, “और वे उन चीजों को होते देखेंगे जो पष्थ्वी पर आने वाली हैं।” (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 1:268) ChsHin 72.4