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सफलता का रहस्य ChsHin 99

परमेश्वर के काम को सफलता पूर्वक करने के लिये प्रभु के सभी लोगों में एकता और सामंजस्य (आपसी समझ) का होना जरूरी है। उन्हें सभी को पूरी तरह अपना ध्यान सौंपे गये काम पर लगाना चाहिए। प्रभु यीशु की कलीसिया का हर एक अंग प्रभु के लिये कार्य करने को तत्पर होना चाहिए। परमेश्वर द्वारा दिये गये सद्गुणों का इस्तेमाल सारी परेशानियों, रूकावटों को दूर कर कंधे से कंधा मिलाकर और एक मन, एक जुट होकर करना चाहिये। (द रिव्यू एण्ड द हैरल्ड- 02 दिसम्बर 1890) ChsHin 99.1

यदि मसीहियों को दुनिया के सामने कुछ करके दिखाना है तो उन्हें एक ही षक्ति के निर्देशन में एकता की ताकत में जुट कर अपने उद्देष्य को पूरा करके पूरी दुनिया को सच्चाई बता कर बदल देना है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:221) ChsHin 99.2

स्वर्गदूत पूर्ण आपसी समझ से मिलकर कार्य करते हैं। उनके सद्गुणों का सुनिश्चित क्रम उनके कामों में झलकता है, हम जितनी नज़दीकी से स्वर्गदूतों को कामों को अनुसार करने का प्रयास करेंगे, उतनी ही सफलतापूर्वक वे हमारे काम को आगे बढ़ाने में मद्द करेंगे। यदि हम आपसी समझ के बिना, अव्यवस्थित, अनुशासनरहित तथा असंगठित होकर काम करेंगे तो स्वर्गदूत जो पूरी तरह सुनियोजित, सुसंगठित, उचित क्रमानुसार काम करने के आदि हैं वे हमें अपने काम में सफलता दिलाने में मद्दगार नहीं हो सकेंगे। वे दुःखी होकर वापस चले जायेंगे, क्योंकि वे असमंजस, बेमन, बिना योजनाबद्ध तरीके के संगठन को आशिशित करने के लिये नहीं ठहराये गये हैं। वे सब जो स्वर्गीय ताकतों व सहायता को प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें उन्हीं की तरह सोचना, समझना व कार्य करना होगा। वे सभी जिनके पास प्रभु यीशु की ओर से एकता संबंध, उत्साह, क्रमबद्धता, अनुशासन और कार्य एक रूपता पाई जायेगी तभी वे परमेश्वर की सेना की सहायता प्राप्त कर सकेंगे। और ये तो कभी नहीं हो सकता कि ये स्वर्गीय संदेशवाहक अपना सहयोग अनियमित, असंगठित एवं अव्यवस्थित योजना या काम को करने में अपना सहयोग करें। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 1:649, 650) ChsHin 99.3