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एक प्रभावशाली दष्श्य ChsHin 145

रात के एक दर्शन में एक बहुत प्रभावशाली दष्श्य मेरे सामने से गुज़रा। मैंने देखा एक बहुत बड़ा आग का गोला बहुत से सुन्दर रहने के स्थानों पर गिरा और उन्हें तुरन्त नाश कर दिया। मैंने किसी को यह कहते हुये सुना “हम जानते थे कि पष्थ्वी पर परमेश्वर का न्याय प्रगट होगा लेकिन हमें पता नहीं था कि यह इतनी जल्दी होगा।’ दूसरे ने बड़ी दर्द भरी आवाज मे कहा, “तुम्हें पता था! तब तुमने हमें क्यों नहीं बताया? हमें तो पता नहीं था। और सब ओर से यही उलाहना भरे षब्द सुनाई पड़े। ChsHin 145.2

बड़ी निराषा से मैं जाग गई, थोड़ी देर में मैं फिर से सो गई और अपने आप को एक बड़ी भीड़ के साथ पाया। कोई बड़े अधिकार से सबको सम्बोधित कर रहा था, जिसके सामने जगत का नक्षा खुला पड़ा था। उसने कहा कि वह नक्शा परमेश्वर की दाख की बारी है, जिसे फसल के लिये तैयार करना है। जैसा कि स्वयं से एक ज्योति सब पर चमकी वही ज्योति दूसरों पर भी चमकनी थी। अनेक स्थानों पर यह ज्योति चमकानी थी और इसी ज्योति से अन्य ज्योतियाँ जलाई जानी थीं। ChsHin 145.3

वे षब्द फिर से दोहराये गये, “तुम पृथ्वी के ‘नमक’ हो किन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड जाये, तो फिर किस वस्तु से नमकीन किया जायेगा? फिर वह किसी काम का नहीं केवल इसके कि बाहर, फेका जाये और मनुश्यों के पैरों तले रौंदा जाये । “तुम जगत की ज्योति हो। जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता और लोग दीया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परंतु दिवट् पर रखते हैं तब उससे घर के सब लोगों को प्रकाश पहुँचता है। उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुश्यों के सामने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देख कर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में है, बड़ाई करें। (मत्री - 5:13-16) ChsHin 145.4

मैंने ज्योति के पुंज षहरों और गाँवों से चमकते हुये देखे ऊँचे स्थानों से और पृथ्वी के निचले हिस्सों से भी। परमेश्वर का वचन का पालन किया गया था, इसका परिणाम था कि उसकी याद में हर गाँव व षहर ज्योर्तिमान था। उसकी सच्चाई की घोशणा पूरे जगत में की गई थी। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 9:28, 29) ChsHin 146.1