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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    ‘स्वर्ग की सुरक्षा से निर्भयता दिखाना भयावह है”

    जब परमेश्वर के लोग कर्तव्य के मार्ग पर चलेंगे तो उसके परमेश्वर के दूत उनकी रक्षा करेंगे परन्तु उनकी रक्षा का कोई आश्वासन नहीं दिया गया है जो जानबूझ कर शैतान की भूमि में घुसते हैं.सरदार धोखेबाज का प्रतिनिधि अपने अभिप्राय को पूरा करने के निमित्त कुछ भी कहेगा और करेगा.कोई चिंता की बात नहीं कि वह अपने को प्रेतवाद या और किसी अजीब नाम से पुकारे.सुन्दर दिखावटी वेष द्वारा वह व्यक्तियों को विश्वास खींच लेता है और जो लोग उसका आश्रय लेते हैं उनके जीवन का इतिहास पढ़ने का और उनकी कठिनाइयों के दु:खों को समझने का झूठा दावा करता है.प्रतापी दूत के भेष में जब कि उसका हृदय काली स्याह है वह बड़ी दिलचस्पी प्रगट करता है जो उससे परामर्श चाहती हैं.वह कहता है कि उनके सारे दु:खों का कारण है.यह बात सच हो सकता परन्तु ऐसा परामर्शदाता उनकी स्थिति का सुधार नहीं करता वह उनसे कहता है कि उन्हें प्रेम और सहानुभूति की आवश्यकता है उनके कुशल क्षेम में बड़ी दिलचस्पो का झूठा आडम्बर दिखा के वह अपने शंकारहित शिकार के ऊपर जादू का सा ऐसा असर डालता है जिस तरह सांप चिड़िया को मोहकर वश में कर लेता है.शीघ्र ही वे पूर्णता उसके वश में आ जाती है.और कुकर्म निरादर तथा वर्बादी आदि भयानक परिणाम नजर आते हैं.ककेप 326.1

    ऐसे अन्यायकारी थोड़े नहीं हैं.उनके रास्ते में निर्जन घरों,बदनामी तथा निराशा के चिन्ह पाये जाते हैं.परन्तु इसके विषय में दुनिया कुछ नहीं जानती;फिर भी वे ताजे शिकार फंसाते हैं और शैतान को उनकी बर्बादी में अति प्रसन्नता होती है.ककेप 326.2

    “अहज्याह एक झिलमिलदार खिड़की में से जो शोमरोन में उसकी अटारी में थी गिर पड़ा और बीमार हो गया;तब उसने दूतों को यह कह कर भेजा, कि तुम जाकर एक्रोन के बालजबूब नाम देवता से यह पूछ आओ कि क्या मैं इस बीमारी से बचूंगा कि नहीं? तब यहोवा के दूत ने तिराबी एलियाह से कहा, ” उठकर शोमरोन के राजा के दूतों से मिलने को जा और उन से कह,क्या इस्राएल में कोई परमेश्वर नहीं जो तुम एक्रोन के बालजबूब देवता से पूछने जाते हो? इस लिए अब यहोवा तुझसे यों कहता है,कि जिस पलंग पर तू पड़ा है, उस पर से कभी न उठेगा, परंतु मर ही जाएगा.’’(2 राजा 1:2-4)ककेप 326.3

    अहज्याह राजा के पाप और दंड में चेतावनी का एक पाठ है जिसकी कोई बिना सजा पाए, अवहेलना नहीं कर सकता.यद्यपि हम मूर्तिपूजकों के देवताओं की सेवा नहीं करते तौभी हजारों लोग राजा की तरह सचमुच में शैतान की वेदी पर सिर झुका रहे हैं.मूर्तिपूजा की वही भावना आज भी प्रचलित है यद्यपि विज्ञान और शिक्षा के प्रभावाधीन उसने अधिक शिष्ट तथा आकर्षक शक्ल धारण कर ली है.आये दिन शोकजनक प्रमाण बतलाते हैं कि भविष्यवाणी के अचूक वचन पर लोगों का विश्वास घटता जा रहा है.और उसके स्थान में अंधविश्वास और पैशाचित जादूगरी मनुष्यों को मोह ले रही है.वे सब जो यथार्थतः धर्म पुस्तक की खोज नहीं करते और अपने जीवन की सारी इच्छाओं तथा इरादों को उस अचूक परीक्षा के अधीन नहीं करते,और जीवन की सारी इच्छाओं तथा इरादों को उस अचूक परीक्षा के अधीन नहीं करते,वे सब जो परमेश्वर को उसकी इच्छा को जानने के लिये प्रार्थना में नहीं खोजते अवश्यमेव सत्य मार्ग से भटक कर शैतान के धोखे में फंस जायेंगे.ककेप 326.4

    केवल इब्रिय लोग हो एकमात्र जाति थी जिन पर सच्चे परमेश्वर के ज्ञान की कृपा दृष्टि हुई थी. जब इस्राएल के राजा ने मूर्तिपूजक के देवता से पूछने को भेजा तो उसने मूर्तिपूजकों को यह घोषित किया कि उसको (राजा के )उनकी मूर्तियों पर उसके लोगों के परमेश्वर अर्थात् स्वर्ग और पृथ्वी के सृजनहार की अपेक्षा अधिक विश्वास था. इसी भांति वे लोग परमेश्वर के वचन का ज्ञान रखने का दावा करते हैं उसका निरादर करते हैं जब वे सामर्थ्य और बुद्धि के स्त्रोत को छोड़ कर अंधकर की शक्तियों की ओर मदद और परामर्श के लिए फिरते हैं.जब परमेश्वर का कोप एक दुराचारी मूर्तिपूजक राजा की इस कृति पर भड़का तो सोचिये वह उसके इसी प्रकार के व्यवहार से कैसा बर्ताव करेगा जो उसके सेवक होने का इकरार करते हैं?ककेप 327.1