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माता पिता को ईश्वरीय अगुवाई को अत्यधिक आवश्यकता ककेप 257

आत्मा हानि बिना आप अपने बालकों के प्रशिक्षण से उदासीन नहीं हो सकते.” उन का दूषित चरित्र आप के अविश्वासीपन को प्रकाशित करेगा.बालकों को कठोर, अश्लील आचरण,अनाज्ञाकारिता,अनादर आलस्य तथा उपेक्षा जैसे दुर्व्यवहारों के सुधार में यदि आप ढिलाई डालें तो इससे आप का अनादर होगा और आप के जीवन में कटु अनुभव होगा.आपको सन्तान का भाग्य अधिकतर आपके हाथों में है.यदि आप अपने कर्तव्य में असफल हों तो आप उन्हें शैतान की सेना में सम्मिलित होने देंगे जिससे वे दूसरों के विनाश के भी साधन बनेंगे;इससे विपरीत यदि आप उनको शिक्षा देने में विश्वासयोग्य रहें और अपने जीवन को आदर्शमय बनाकर ईश्वरीय नमूना दें तो आप उनको मसीह तक पहुंचायेंगे, और वे भी दूसरों पर अपना प्रभाव डालेंगे और आपके द्वारा अनेकों आत्माएं बचाई जाएंगी. ककेप 257.4

परमेश्वर चाहता है कि बालकों के साथ हमारा व्यवहार साधारण हो.यह सम्भव है कि हम भूल जायं.इन बालकों को हम जैसा अनुभव प्राप्त करने का सुअवसर नहीं मिला है.यदि ये बालक ठीक हमारे विचारानुसार व्यवहार नहीं करते तो हमारे समाज से उनको डांटना चाहिए.पर ऐसा करने से सुधार नहीं होगा.उन्हें उद्धारकर्ता के पास ले चलिए.उसे सब कुछ बतला कर यह विश्वास रखें कि उसकी आशीष उन पर होगी. ककेप 257.5

प्रार्थना समय का आदर करने के महत्व पर बालकों को शिक्षा दी जावे.कार्य आरम्भ करने से पहिले कुटुम्ब एक स्थान पर एकत्रित हो.फिर पिता अथवा उसकी अनुपस्थिति में माता परमेश्वर से उत्साह के साथ विनती करे कि वह दिन भर उनकी रक्षा करे.अपने और अपनी संतान के समक्ष आने वाली परीक्षाओं के भय को स्मरण रखते हुए.विश्वास के साथ उसकी वेदी के सम्मुख संगठित रूप में उन में और अपने आपको परमेश्वर के हाथ में सौंपें,जिन बालकों को इस प्रकार परमेश्वर के लिए समर्पित किए गए हैं उनकी रक्षा उसके दूत करेंगे. मसीही माता-पिता का यह कर्तव्य है कि प्रति भोर और सन्धया काल प्रार्थना और विश्वास के साथ अपने बालकों के चारों ओर बेड़ा बाँधे.बड़े धीरज से दयामय भाव में निरंतर उन्हें शिक्षा दी जावे कि परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए किस प्रकार जीवन बितायें. ककेप 258.1

अपने बालकों को सिखाइए कि प्रतिदिन पवित्र आत्मा का बपतिस्मा पाना हमारा विशेष अधिकार है.मसीह अपना अभिप्राय पूरा करने में आप को अपना सहकारी हाथ समझे.प्रार्थना के द्वारा आपको अनुभव प्राप्त होगा कि बालकों की सेवा में वह आपको सफल बनाएगा. ककेप 258.2

माता की प्रार्थना की शक्ति का जितना भी अन्दाज लगाया जाए सब थोड़ा ही है. वह माता जो अपने पुत्र व पुत्री के बालपन में उसकी परिवर्तनशील परिस्थिति एवं जवानी के खतरों के समय उसके पास घुटने टिकती है.उनके जीवन में उसकी प्रार्थना के प्रभाव को सफलता का बोध न्याय के दिन तक न होगा.यदि वह अपने विश्वास को परमेश्वर के पुत्र से जोड़ ले तो माता का नम्र हाथ पुत्र को परीक्षा के समय बचा सकेगा एवं अपनी पुत्री को पापमें गिरने से रोकेगा.जब लालसा प्रबल होने के लिए युद्ध करती है तब प्रेम की शक्ति रोकने की तत्परता माता का निश्चयात्मक प्रभाव सत्य के प्रति आत्मा को ठीक भाग पर संतुलित रखेगा. ककेप 258.3

बालकों के प्रति जब आपने अपने कर्तव्य को विश्वासयोग्य रुप में निभाया है तब उनको परमेश्वर के समीप लाकर उससे आशीष मांगिए.उससे कहिए कि आप ने अपना भाग पूरा किया है और तब आप विश्वासी होकर परमेश्वर से प्रार्थना करें कि वह अपना कार्य पूरा करे जो आप को सामर्थ्य से बाहर है.उससे प्रार्थना कीजिए कि पवित्र आत्मा के द्वारा उनके स्वभाव नम्र और दीन बनाए जाएं. वह आप की प्रार्थना सुत्रे, आपकी प्रार्थना का उत्तर प्रेम पूर्वक देगा. अपने पवित्र वचन के द्वारा उसने आपको चेताया है कि आप अपनी सन्तान को ताड़ना करें कि उनके रोने के कारण उनको दंड से मुक्त न रखे.इन बातों में उसके वचन का पालन होना चाहिए. ककेप 258.4