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अध्याय 2 - अन्त का समय ककेप 36

हम अन्तिम दिनों में रह रहे हैं. वर्तमान समय के शीघ्र पूरे होने वाले चिन्ह घोषणा कर रहे हैं कि मसीह का आगमन निकट है. जिन दिनों में हम रह रहे हैं ये गम्भीर तथा महत्वपूर्ण है. परमेश्वर का आत्मा क्रमशः परन्तु निश्चयत: पृथ्वी से उठता जा रहा है. परमेश्वर के अनुग्रह को तुच्छ जानने वालों पर महामारी तथा ईश्वरीय प्रकोप पहले ही टूट रहे हैं. जल व थल में क्लेश, समाज की अस्थिर दशा, युद्ध का भय आदि शकुन सूचक हैं. ये आने वाली अत्यन्त महत्वपूर्ण घटनाओं को पहले हो से बता रहे हैं. ककेप 36.1

दुष्टता के कारिन्दे अपनी सेनाओं को संयुक्त तथा सुदृढ़ कर रहे हैं. वे अन्तिम महान संकट काल के लिए सुदृढ़ होती जा रही हैं. हमारी पृथ्वी में शीघ्र ही बड़े-बड़े परिवर्तन होने वाले हैं और अन्तिम प्रगतियाँ शीघ्रगामी होंगी. ककेप 36.2

संसार की घटनाओं की हालत को देखकर पता चलता है कि दु:खदायी समय हमारे ऊपर आ गये हैं. दैनिक समाचार पत्र ऐसी सूचना देते हैं कि भविष्य में भयानक संघर्ष होने वाला है. भयंकर डकैतियां धड़ाधड़ हो रही है. हड़ताल तो आम बात है.चारों ओर चोरियां तथा हत्याएं की जा रहो है. भूतग्रस्त मनुष्य,पुरुष,स्त्री तथा बालकों के प्राण ले रहे है.मनुष्य बुराई के पीछे दीवाने हो रहे हैं इसलिए हर प्रकार की दुष्टता फैल रही है. ककेप 36.3

शत्रु न्याय को भ्रष्ट कराने और लोगों के हृदयों को स्वार्थ पूर्ति और स्वलाभ की अभिलाषा से भरने में सफल हुआ है. ककेप 36.4

‘न्याय तो पीछे हटाया गया और कर्म दूर खड़ा रह गया, सच्चाई बाजार में गिर पड़ी, और सिधाई प्रवेश करने नहीं पाती.’’(यशायाह 59:14.)बड़े-बड़े शहरों में मनुष्यों के समुह के समुह दरिद्रता तथा दुर्दशा में जीवन व्यतीत कर रहे हैं बल्कि भोजन, आश्रय तथा वस्त्र से लाचार है, जिस हाल कि उन्हो नगरों में ऐसे लोग है जिनके पास इच्छा से भी अत्यधिक है, जो भोग विलास में रहते हैं और अपने धन को सुसज्जित घरों, व्यक्तिगत श्रृंगारो और इससे निकृष्ट कार्यों पर खर्च करते हैं जैसे भोग विलास सम्बन्धी क्षुधाओं की तृप्ति, मद्यपान, धुम्रपान तथा अन्य वस्तुओं पर जो मानसिक शक्तियों का हनन करती हैं,मस्तिष्क का संतुलन खो देती तथा आत्मा को अधम बना डालती हैं. जब कि अंधेरे व लूट खसोट द्वारा लोग असंख्य धन एकत्र कर रहे है भूखग्रासित मानव की पुकार परमेश्वर के सामने पहुँच रही है. ककेप 36.5

रात के दर्शन में मुझे कहा गया कि उन इमारतों को देखो जो मंजिल पर मंजिल आकाश को उठती जा रही हैं. ये मकानत आग से सुरक्षित घोषिण किये गये हैं और ये मालिक मकान व बनवाने वाले की प्रतिष्ठा के लिए बने थे.ये इमारतें ऊँचाई पर उठती जाती थीं जिनमें सब से कीमती माल लगाया गया था. जो इन मकानों के मालिक थे उन्होंने यह प्रश्न अपने से नहीं पूछा, ‘‘ हम परमेश्वर की महिमा उत्तम रीति से कैसे कर सकते हैं? ‘’परमेश्वर तो उनके सोच में था ही नहीं. ककेप 36.6

जब ये उँची इमारतें उठ रही थीं मालिकों को मन हर्ष के मारे फूला न समाता था कि हम अपने धन को आत्मतृप्ति तथा पड़ोसियों की ईष्य भड़काने में उपयोग कर सकते हैं, जो रुपया उन्होंने लगाया उसका अधिकांश भाग दूसरों का गला घोंट कर तथा गरीबों का लोहु चूस कर प्राप्त किया गया था. वे भूल गये कि स्वर्ग में प्रत्येक उद्योग सम्बन्धी कार्यवाही का हिसाब रखा जाता है;प्रत्येक अनुचित लेन देन, प्रत्येक धोखाबाजी के कार्य का उल्लेख किया जाता है. ककेप 37.1

दुसरा दृश्य जो मेरे सामने आया आग लगने की भयातुर ध्वनि के विषय में था. लोग उन शानदार तथा कथित अग्निरक्षक इमारतों की ओर देखकर कहने लगे,’ये तो खतरे से सुरक्षित हैं.’‘ परन्तु ये इमारतें ऐसी भस्म हुईं मानों वे राल की बनी हों. दमकल आग को बुझाने में असमर्थ रहे. रक्षक दल इंजिनों को प्रयोग करने में अयोग्य रहे. ककेप 37.2

मुझे आदेश मिला कि जब प्रभु का समय आयेगा उस उस समय तक यदि घमण्डी,अभिलाषी मनुष्य के हृदय में कोई परिवर्तन न हुआ तो उनको पता लग जायगा कि वह हाथ जो उनको बचाने में समर्थ था नाश करने को भी समर्थ था नाश करने को भी समर्थ है. किसी पार्थिव शक्ति की क्या मजाल जो परमेश्वर के हाथ को रोक सके तो उस समय इमारतों के तैयार करने में कोई सामान ऐसा नहीं जो उनको सुरक्षित रख सके जब परमेश्वर उनकी स्वार्थपुर्ण अभिलाषाओं के लिये दण्ड दे. ककेप 37.3

विद्धानो तथा राजनीतिज्ञों में थोड़े ही हैं जो समाज की वर्तमान दशा के बुनियादी कारणों को समझते हैं. जो अपने हाथ में शासन की बागडोर लिए हुए हैं वे भ्रष्टाचार, दरिद्रता, भिक्षावृति तथा अपराधों को वृद्धि की समस्या को सुलझाने में अयोग्य हैं. व्यवसाय को सुरक्षित बुनियाद पर रखने के लिये वे व्यर्थ परिश्रम कर रहे हैं. यदि मानव परमेश्वर के वचन की शिक्षा पर अधिक ध्यान देते तो वे उन जटिल समस्याओं को सुलझाने का एक उत्तर पर लेते जो उनको व्याकुल करती हैं. ककेप 37.4

यीशु के द्वितीय आगमन से थोड़ा पहिले संसार की हालत का वर्णन पवित्रशास्त्र में पाया जाता है. उन लोगों के विषय में जो डकैती तथा लूट खसोट से धन उपार्जन कर रहे हैं यह उल्लेख आया है,“तुमने अन्तिम युग में धन बटोरा है. देखो जिन मजदूरों ने तुम्हारे खेत काटे, उनकी वह मज़दूरी जो धोखा देकर तुमने रख ली है चिल्ला रही और लवने वालों की दुहाई, सेनाओं के प्रभु के कानों तक पहुँचे गई है. तुम पृथ्वी पर भोग विलास में लगे रहे, और बड़ा ही सुख भोगा;तुमने धर्मी को दोषी ठहरा कर मार डाला;वह तुम्हारा साम्हना नहीं करता.’’(याकूब 5:3-6) ककेप 37.5

परन्तु वर्तमान समय के चिन्हों को शीघ्र पूर्ण होते देख,कौन उनकी चेतावनी को पढ़ता है? सांसारिक लोगों पर उसका क्या प्रभाव पड़ता है? उनकी स्थिति में क्या परिवर्तन नज़र आता है? नूह के काल के लोगों से कोई अधिक प्रभाव नहीं मालूम होता. सांसारिक व्यवसाय व भोग विलास में फंसकर जलप्रलय के पूर्व के लोगों ने, ‘‘ और जब तक जलप्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया तब तक उनको कुछ भी मालूम न पड़ा, वैसे ही मनुष्य के पुत्रको आना भी होगा. ‘’(मत्ती 24:39) उनके पास स्वर्गप्रदत्त चेतावनियाँ थीं पर उन्होंने सुनने से इन्कार किया. आज भी दुनिया परमेश्वर की आवाज की चेतावनियों की परवाह न करते हुए अनन्त विनाश की ओर दौड़ी चली जा रही है. ककेप 37.6

युद्ध की भावना से दुनिया में हलचल मची हुई है. दानिय्येल नबी की पुस्तक के 11वें अध्याय की भविष्यद्वाणी प्रायः पूर्णत: को पहुँच चुकी है. क्लेश के दृश्य जो नबुवत मे दिये हुए हैं, शीघ्र ही घटित होंगे. ककेप 38.1

“सुनों, यहोवा पृथ्वी को निर्जन और सुनसान करने पर है. वह उसको उलट कर उसके रहने वालों को तितर-बितर करेगा क्योंकि उन्होंने व्यवस्था उल्लंघन किया है और विधि को पलेट डाला और सनातन वाचा को तोड़ दिया है. इस कारण पृथ्वी को शाप ग्रसेगा और उसमें रहने वाले दोषी ठहरेंगे और इसी कारण पृथ्वी के निवासी भस्म होंगे---इफ का सुखदाई शब्द बन्द हो जाएगा, प्रसन्न होने वालों का कोलाहल जाता रहेगा,वीणा का सुखदाई शब्द शान्त हो जाएगा.’’(यशायाह 24:1-8) ककेप 38.2

“मैं ने पृथ्वी पर देखा कि वह सुनी और सुनसान पड़ी है; और आकाश को, कि उसमें ज्योति नहीं रही. मैं ने पहाड़ों को देखा कि वे हिल रहे हैं और सब पहाड़ियों को कि वे डोल रही हैं. फिर मैं क्या देखता हूँ कि कोई मनुष्य भी नहीं, सब पक्षी भी उड़ गये हैं. फिर क्या देखता हूँ कि उपजाऊ देश, जंगल, और यहोवा के प्रताप और उस भड़के हुए प्रकोप के कारण उसके सारे नगर खंडहर हो गये हैं.’’(यिर्मयाह 4:23-26) ककेप 38.3

“हाय हाय वह दिन क्या ही भारी होगा, उसके समान और कोई दिन नहों,वह याकूब के संकट का समय तो होगा परन्तु वह उससे भी छुड़ाया जायगा.’’(30:7) ककेप 38.4

इस संसार में सारे लोग परमेश्वर के शत्रु के साथ नहीं हो लिए है. सब के सब अनाज्ञाकारी नहीं हुए हैं. थोड़े से विश्वासी हैं जो परमेश्वर के सच्चे भक्त हैं क्योंकि युहन्ना लिखता है, “पवित्र लोगों का धीरज इसी में है जो परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते और यौशु पर विश्वास रखते हैं.(प्रकाशितवाक्य 14:12)’‘ शीघ्र ही परमेश्वर की सेवा करनेहारों और न करनेहारों के बीच घमासान का युद्ध होगा. शीघ्र ही वे वस्तुएँ जो हिलाई जा सकती हैं हिलाई जाएंगी ताकि जो वस्तुएं हिल नहीं सकती स्थिर रह सकें. ककेप 38.5

शैतान वाइबल का परिश्रमी विद्यार्थी है. वह जानता है कि उसका थोड़ा सा समय बाकी है इसलिए वह प्रत्येक बात में परमेश्वर के काम का अविरोध करता है. जब स्वर्गीय महिमा और प्राचीन काल क्लेशों की घटनायें एक साथ घटेंगी तो उस समय परमेश्वर के लोग जिन अनुभवों में से होकर गुजरेंगे उसका अनुमान करना असम्भव है. वे परमेश्वर के सिंहासन से चमकती हुई ज्योति में चलेंगे.दूतों के द्वारा स्वर्ग और पृथ्वी में निरन्तर सम्पर्क बना रहेगा. शैतान दुष्ट दूतों से घिरा हुआ परमेश्वर होने का दावा करेगा और नाना प्रकार के आश्चर्यकर्म दिखायेगा और यदि हो सके तो चुने हुओं को धोखा देगा. परमेश्वर के लोग आश्चर्य कर्म करने के द्वारा अपने को सुरक्षित न पावेंगे क्योंकि शैतान उन अद्भुत कार्यों की नकल करके धोखा देगा. परमेश्वर के अनुभवी तथा परखे हुए लोग, (निर्गमन 31:12-17) में वर्णित चिन्ह में शक्ति प्राप्त करेंगे. लिखा है.’‘ उनको इसी जीवन वचन पर स्थिर रहना होगा. यही एक नव हैं जिस पर वे सुरक्षित खड़े रह सकते हैं. जिन्होंने परमेश्वर के साथ अपनी वाचा को तोड़ डाला है वे उस दिन बिना परमेश्वर और बिना आशा के होंगे.” ककेप 38.6

परमेश्वर के भक्तों की विशेष पहचान यह होगी कि वे चौथी आज्ञा का आदर करते हैं क्योंकि यह उसकी सृजनात्मक शक्ति का चिन्ह और मानव की उपासना तथा भक्तिपर उसके दावे को साक्षी है. दुष्टों की पहचान यह होगी कि वे अपने परिश्रम के स्मारक को गिरा देंगे और रोम के द्वारा स्थापित दिन को समुन्नत करेंगे. इस संघर्ष के दर्मियान मसीही दो बड़ी श्रेणियों में बँट जायेंगे. एक वे जो परमेश्वर की आज्ञायों का पालन करते हैं और यीशु पर विश्वास रखते है, दूसरे वे जो पशु और उसकी मूर्ति की पूजा करते हैं और उसकी छाप लेते हैं. यद्यपि कलीसिया सरकार अपनी संयुक्त शक्ति द्वारा सभों को ‘‘छोटे, बड़े, धनी, कंगाल, स्वतन्त्र, दास सब के दाहिने हाथ या माथे पर एक-एक छाप करा दी.’‘ (प्रकाशितवाक्य 13:16) पटमस के नबी ने ‘’और मैं ने आग से मिले हुए काँच का सा समुद्र देखा और जो उस पशु पर और उसकी मूरत पर और उसके नाम के अंक पर जयवन्त हुए थे उन्हें उस कांच के समुद्र के निकट परमेश्वर की वीणायों को लिए हुए खड़े देखा, और मूसा और मेम्ने का गीत देखा.’’(15:23) ककेप 39.1

परमेश्वर के लोगों पर भंयकर परीक्षाएं और क्लेश आने वाले हैं. युद्ध की भावना राष्ट्रों को पृथ्वी के इस छोर से उस छोर तक उभार रही है. परन्तु आने वाले संकट के बीच-ऐसे संकट का समय जैसा किसी जाति के उत्पन्न होने के समय से लेकर तब लों कभी न हुआ होगा- परमेश्वर के चुने हुऐ लोग अटल खड़े रहेंगे. शैतान और उसकी सेना उनको नाश नहीं कर सकती क्योंकि स्वर्गदूत जो प्रबल शक्ति रखते हैं उनकी रक्षा करेंगे. ककेप 39.2