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साधनों का भण्डारीपन ChsHin 295

परमेष्वर सारे खर्चों को पूर्ति के साधनों में हमें उस परमेष्वर के, जो अल्फा और ओमेगा (प्रथम और अन्तिम) है, के उद्देष्यों को पूरा करने के लिये कठिन परिश्रम करना है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 9:49) ChsHin 295.2

पैसे का काफी मोल है, क्योंकि पैसा काफी बड़े भलाई के काम कर सकता है। परमेष्वर के बेटे-बेटियों के हाथों में वह उनका भोजन है। प्यासो के लिये पानी है। नंगो के लिये कपड़े है। और पीड़ितों के लिये छुटकारा और बिमारों की मदद के लिये साधन है। किन्तु पैसे का मोल रेत से अधि क नहीं है। केवल लोगो की जरूरतो को पूरा करने के लिये दिया गया। धन ही उपयोगी है, जो दूसरों को आषिश देता और प्रभु यीषु का काम आगे बढ़ाता है। (काइस्ट ऑब्जेक्ट लैसन्स 351) ChsHin 295.3

परमेष्वर ने स्वयं अपने कार्य को आगे बढ़ाने के लिये योजनायें प्रारम्भ की है। और उनको पूरा करने के लिये साधन भी जरूरत से कछ ज्यादा ही प्रदान किये है। क्योंकि जब भी वह मदद के लिये बुलाता है। उत्तर में वे ये कहते है “प्रभु तेरे एक तोडे से बहुत से दूसरे तोडे प्राप्त हुये है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 9:58) ChsHin 295.4

पैसा दूसरे जीवन में नहीं ले जाया जा सकता, वहाँ उसकी जरूरत ही नहीं है। किन्तु भले कार्य जो प्रभु यीषु के लिये आत्माओं को जीतने के लिये किये गये है, वे स्वर्गीय अदालतों में ले जाये जायेंगे। किन्तु वे जो प्रभु के दिये हुये वरदान को अपने लिये ही खर्च करते है, और अपने जरूरतमंद मानव प्राणियों को बिना मदद के छोड़ देते है। और परमेष्वर के काम को आगे बढ़ाने में कोई मदद नहीं करते वे अपने रचियता का अपमान करते है। परमेष्वर के प्रति चोरी स्वर्गीय किताब में उनके नामों के सामने लिखी गई है। (काइस्ट ऑब्जेक्ट लैसंस 266) ChsHin 295.5

आज के समय में आत्माओं को बचाने के एवज में पैसों की कोई कीमत नहीं। हर एक पैसा, जो हमारे पास है वह प्रभु का है, हमारा नहीं। और परमेष्वर की और से सौंपा गया बहुमूल्य धरोहर है और वह बेकार के कामों में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिये। किन्तु सावधानी से परमेष्वर के काम में खर्च किया जाना चाहिये। स्त्री-पुरूशों को नाष होने से बचाने में लगाना चाहियें। (लाइफ स्केचेंज 214) ChsHin 296.1

क्या प्रचार-सहायता कार्य यह नहीं है। कि हमारे पर्याप्त महत्व पूर्ण, इस जगत में हमारे प्रभाव व निर्भरता का अधिकार हो? क्या हमे अपने फिजूल खर्ची से इंकार नहीं करना है? और हमारे सारे उपहार प्रभु के खजाने में जमा करें। जिससे सत्य की दुनिया के अन्य देषों में भेजा जा सके। जिससे आंतरिक प्रचार कार्य सेवा पूरी की जा सके । क्या इस काम को करने के लिये परमेष्वर की सम्मति की जरूरत है? इन अंतिम दिनों के लिये किया गया काम बड़े-बड़े दानो द्वारा सहयोग नहीं किया गया या जगत के प्रभाव के कारण आगे बढ़ा। ये तो प्रभु द्वारा दिये गये उपहारो द्वारा संभव हमें एक नाम देने के लिये बुलाया है, जिससे नई पष्थ्वी के अधि कारी है। (द रिव्यू एण्ड हैरल्ड 2 सितम्बर 1890 ) ChsHin 296.2

मुझे दिखाया गया कि लेखाकार स्वर्गदूत बड़ी ईमानदारी से हर एक उपहार जो उसे समर्पित किया जाता और खजाने में रखा जाता। उन साधनों का अंतिम परिणाम भी दान के रूप में होता है। परमेष्वर की नजरों में परमेष्वर के लिये किया गया। हर एक समर्पण की जानकारी होती है। और इच्छा से देने वाला और बेमन से देने वाला भी परमेष्वर की नजरों से नहीं छिपता। दान देने के पीछे मकसद क्या है? ये भी लिखा जाता है। वे स्वयं समर्पित सब कुछ प्रभु को सौंपने वाले और कुछ प्रभु ने उन्हें दिया है, वह वापस लौटने वाले भी जो प्रभु उनसे चाहता है, ये सब अपने कामों के अनुसार पुरूस्कप्त किये जायेंगे। यद्यपि उन्हें प्रदान किये गये साधन भी सही तरह से काम में नहीं लाये जायेंगे। और इस तरह उस दान को देने वाले की इच्छा अनुसार काम पूरा नहीं होता है। प्रभु की महिमा और आत्मा का उद्धार- आत्मा की सच्चाई से समर्पित होते तथा साथ ही साथ प्रभु की और भी लगाते और महिमा करते, वे कभी भी अपना पुरूस्कार नहीं खोयेंगे । (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 2:518, 519) ChsHin 296.3

हर वह अवसर जो एक भाई की जरूरत के समय मदद करे या परमेष्वर का काम सच्चाई को फैलाने में सहायता करें, वह एक कीमती मोती है, जो पहले से ही स्वर्ग के खजाने में जमा करा दिया जाना चाहिये ताकि सुरक्षित रहें। परमेष्वर तुम्हें परख रहा और खरा बना रहा है। वह तुम्हें खुले हाथों से आषिशे दे रहा है। और ये देख रहा है कि तुम उसका कैसा इस्तेमाल करते हो? ये देखने के लिये कि तम जरूरतमंद की मदद करते और उस आत्मा की कीमत पहचानते और वे। सब करते जो कुछ कर सकते हो उस साधन से जो उसने तुम्हें दिया हैं, ऐसा हर अवसर तुम्हारे र्वीय खजाने में वषद्ध करता है।उ (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 3:249, 250) ChsHin 297.1