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प्राप्त करने की षर्ते ChsHin 320

पवित्र आत्मा उन सब पर आयेगा जो जीवन की रोटी की भीख मांगे रहे है। ताकि अपने पड़ौसियों के दे सकें। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 6:90) ChsHin 320.4

जब हम अपने हष्दय को प्रभु की एकता में मिलाने के लिये लाते है, और अपना जीवन, उसके कामों को करने में लगाते है। तो जैसे चेलों पर पेन्तिकोस्त के दिन पवित्र आत्मा उतरा था, वैसे ही हम पर भी उतरेगा। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 8:246) ChsHin 320.5

परमेष्वर की ओर ऐसी कोई रूकावट या मनाही नहीं है कि उसके अनुग्रह का धन पथ्वी पर रहने वाले मानवों तक न पहुंचे। (काइस्ट ऑब्जेक्ट लैसन्स 419) ChsHin 320.6

पवित्र आत्मा हमारी मांग और उसकी प्राप्ती की प्रतिक्षा करती है। (काइस्ट ऑब्जेक्ट लैसन्स 121) ChsHin 321.1

क्योकि यही वो साधन है जिसके द्वारा हमें सामर्थ मिलता है तो हम उस आत्मा को पाने के भूखे और प्यासे क्यो न हो? हम उसकी बात क्यों न करें, प्रार्थना करें, और उसके बारे में प्रचार क्यों न करें? (द एक्ट्स आफॅ अपॉसल्स 50) ChsHin 321.2

यदि वायदा का पूरा किया जाना जैसे दिखाई देना था वैसे दिखाई नहीं देता, उसका कारण यह है कि वायदे को जैसा सराहा जाना था, नहीं सहाराया गया। यदि सभी पवित्र आत्मा से भर जाते। (द एक्ट्स आफै अपॉसल्स 50) ChsHin 321.3

पवित्र आत्मा के नित्य बपतिस्मा से प्रत्येक कार्यकर्ता को अपनी प्रार्थना प्रभु के सामने रखना चाहिये। मसीही कार्यकर्ताओं के समूहों को मिलकर विशेष सहायता के लिये, स्वर्गीय बुद्धि के लिये प्रार्थना करना चाहिये कि वे जान सके कि किसी भी काम को किस प्रकार सुनियोजित कर, बुद्धिमानी से कार्य रूप भी परिवर्तित करें। विशेषतयां उन्हें प्रार्थना करना चाहिये कि प्रभु उन चुने हुये राजदूतों को मिशन कार्य करने जाने के लिये अपनी पवित्र आत्मा का अधिकाई से बपतिस्मा दें। (द एक्ट्स आफॅ अपॉसल्स 50, 51) ChsHin 321.4

सारे मसहीहियों को आपसी मतभेद दूर कर अपने आप को परमेश्वर को सौंप देना चाहिये। ताकि खोये हुओं को बचा सकें। उन्हे विश्वास से प्रार्थना में प्रभु से उन आशिषों को मांगो जो परमेश्वर ने देने का वादा किया है और वे तुम्हें मिलेगी। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 3:21) ChsHin 321.5

शिष्यों ने अपने लिये आशिषे नही मांगी। वे तो आत्माओं के बोझ से दबे थे। सुसमाचार दुनिया के कोने-कोने में पहुंचाना था। अतः उन्होंने सामर्थ पाने, बहुतायत से पाने के प्रार्थना की जो प्रभु यीशु ने वायदा किया था। तब ऐसा हुआ कि पवित्र आत्मा उड़ेला गया और हजारों लोग एक दिन में प्रभु में बपतिस्मा लिये जिन्होंने अपने आप को बदला।। (द सदर्न वॉचमेन 1 अगस्त 1905) ChsHin 321.6

प्रभु यीशु ने अपनी कलीसिया की पवित्र आत्मा का दान देने का वायदा किया है। और यह वायदा प्रथम चेलो के साथ-साथ हमारे लिये भी उसी प्रकार दूसरे वायदों की तरह है जो शर्तो पर दिया गया है। अनेक लोग है जो इन वायदों पर विश्वास करते और प्रभु से इन वायदों को मांगते है। वे मसीह के बारे में और पवित्र आत्मा के बारे में बात करते है। तब भी उन्हें कोई लाभ नहीं होता। क्योंकि वे अपनी आत्मा को स्वर्गीय माध्यमों की अगुवाई और उनके कब्जे में समर्पित नहीं करते। हम पवित्र आत्मा हमें इस्तेमाल करता है। आत्मा के द्वारा ही परमेश्वर उसके लोगों मे काम करता है। उसकी इच्छा और उसको भाने वाले काम करने के लिये । किन्त कई लोग इस बात को नहीं मानते। वे स्वयं सब काम करना चाहते है। इसलिये उन्हें ये स्वर्गीय उपहार नहीं प्राप्त होता। केवल कई लोग इसे पाते हैं जो पूरी तरह परमेश्वर पर निर्भर होते और उसके अनुग्रह और आदेशों का पालन करने को तैयार रहते है। परमेश्वर का सामर्थ प्रतीक्षा करता है कि वे मांगे और वह उन्हें प्राप्त हो। यह वायदे के अनुसार आशिषे इसके साथ खीची चली आती है। यह प्रभु यीशु के अनुग्रह की बहुतायत के कारण भी जाती है, और वह हर उस व्यक्ति को उसकी सामर्थ के अनुसार जितना चाहे प्रदान करता है। और योग्य व्यक्ति उसे पाता है। (द डिजायर आफै एजेज 672) ChsHin 321.7

प्रभु यीशु की आत्मा का बहुतायत से उड़ेला जाना, जो पूरी पथ्वी को उसकी महिमा से रौशन कर देता है, तब तक हमारे पास नहीं आयेगा, जब तक उसके लोग वचन की रौशनी से रौशन नहीं होंगे कि वे जान लें, अपने अनुभव के द्वारा कि प्रभु के साथ मिलकर परिश्रम करने का क्या अर्थ होता है? जब हमारे पास सम्पूर्ण, मन से समर्पण पाया जाता है, प्रभु का सेवक होने के लिये तब परमेश्वर उसकी सत्यता को जानता और अपनी पवित्र आत्मा को बेपनाह वर्षा करता है, पर ऐसा तब नहीं होगा जब कि कलीसिया का एक बड़ा हिस्सा परमश्वर के साथ परिश्रम करने में शामिल नहीं है। (द रिव्यू एण्ड हैरल्ड 21 जुलाई 1896) ChsHin 322.1