अनेक लोग कार्य करने को तैयार होंगे, यदि उन्हें यह सिखाया जाये कि षुरूआत कैसे करें; उन्हें निर्देशित करने और उत्साहित करने की जरूरत है। हरेक कलीसिया को एक प्रशिक्षण केन्द्र होना चाहिए मसीही कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने हेत, उसके सदस्यों को बाइबल पठन करना सिखाना चाहिए। सब्बत स्कूल की कक्षा को चलाना और सब्बत पाठ पढ़ाना, गरीबों की मद्द करना, बिमारों की सेवा व देखभाल करना और जो अभी तक मन नहीं फिरायें हैं, उनके लिये काम करना, स्वास्थ्य षालायें, कुकिंग षालायें तथा मसीही सहायता हेतु विभिन्न क्षेत्र की कक्षायें होना चाहिए। केवल कुशल प्रशिक्षक द्वारा शिक्षा दिया जाना काफी नहीं किन्तु उस शिक्षा का कार्य रूप में अनुभवी निर्देशकों द्वारा क्रियांवयन होना चाहिये। शिक्षकों को लोगों के बीच में रह कर कार्य करना एवं निर्दश देना चाहिए। उन्हें एकता में लाना, उनके उदाहरणों से सीखना चाहिये, क्योंकि एक उदाहरण ही कई सलाहों व नियमों से बढ़कर होता है। (द मिनिस्ट्री ऑफ हीलिंग- 149) ChsHin 79.1