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व्याख्या ChsHin 83

मैंने सपना देखा था कि कोई व्यक्ति मेरे पास सफेद कपड़े का जाल सा लेकर आया और मुझ से कहा कि इसके हर किसी के नाप के कपड़े बनाओ, विभिन्न प्रकार के चरित्र एवं विभिन्न प्रकार की जीवन की परिस्थितियों के अनुसार । मुझे कहा गया था कि उन सब प्रकार के नाप के कपड़े काट कर ऊपर टाँग दूँ ताकि वे तैयार रहें, जब उनकी जरूरत हो। मुझे ऐसा एहसास हुआ कि अनेकों लोग जिनके वस्त्र तैयार करने को मुझे आदेश दिया गया था, वे अयोग्य थे। मैंने पता लगाया कि क्या वह अंतिम कपड़ा था जो मुझे काटना था, मुझे बताया गया कि ऐसा नहीं था क्योंकि जैसे ही मैं इस वस्त्र को तैयार करती, मेरे लिये और वस्त्र तैयार करने का काम बाकी था। ChsHin 83.4

मैं इतना सारा काम देखकर घबरा गई। मैंने कहा कि मैं तो ऐसे वस्त्र बनाने का काम बीस वर्श पहले से करती रही थी, किन्तु मेरी मेहनत को कोई बढ़ावा नहीं मिला था। न ही मैंने देखा कि मेरे काम से कुछ लाभ हुआ था। मैंने उस व्यक्ति से बात की जिसने कपड़ा लाकर दिया था। वह एक विशेश स्त्री के लिये था जो मुझे काटना था। मैंने कहा वह स्त्री इस वस्त्र के लायक नहीं है और ये तो समय का नुकसान और अच्छा कपड़ा नुकसान होगा यदि उसे यह वस्त्र दिया जाता है तो। वह तो बहुत गरीब कम शिक्षित असभ्य व्यवहार करने वाली है जो उस वस्त्र को जल्दी ही गंदा कर देगी। उस व्यक्ति ने जवाब दिया तुम्हें यह वस्त्र बनाना होगा, ये तुम्हारा काम है। हानि मेरी होगी, तुम्हारी नहीं। ChsHin 84.1

परमेश्वर का तरीका मनुश्य के देखने के तरीके से अलग होता है। वह अपना काम अपने तरीके से करता है और तुम्हें पता नहीं होता कि कौन सा काम बढ़ेगा यह वाला और वह वाला। ऐसा होगा कि ऐसे कई गरीब लोग परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करेंगे जबकि अन्य जिन्होंने जीवन के आनन्द को ज्यादा पसंद किया, सब तरह का बेहतरीन जीवन का लाभ उठाया, यहीं छूट जायेंगे। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 2:10, 11) ChsHin 84.2

सैनिक घंटों तक अपने आपको अपने सोनेवाले थैले में छुपाने और तुरंत उठकर किसी भी व्यक्ति पर काबू पाने के लिये अभ्यास करते है। उन्हें सिखाया जाता है कि कैसे उनसे हथियार छीन लें और अपने काबू में कर लें। षत्रु पर हमला करने का भी उन्हें अभ्यास कराया जाता है। और इस तरह उन्हें हर तरह के पैंतरे सिखाये और अभ्यास कराये जाते है। इस तरह अभ्यास जारी रहता है, किसी भी आपातकालीन स्थिति के समय और क्या वे जो राजकुमार इम्मानुएल की सेना में युद्ध लड़ रहे हैं, उतने ईमानदार और कश्ट झेलने वाले होंगे कि वे उस आत्मिक लड़ाई के लिये तैयार हो सकें। (गॉस्पल वर्कर्स- 75) ChsHin 84.3