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सहानुभूति पूर्वक रूचि दिखाना ChsHin 160

वे लोग जो जीवन के कठिन समय व परिस्थितियों का सामना करते हुये एक संघर्श पूर्ण जीवन जी रहे हैं, ऐसों को थोड़ा सा ध्यान, थोड़ी सी चिंता करना, जिस में कुछ खर्च भी नहीं होता, उन्हें नया जोश नई ताकत प्रदान कर देता है। दयालुता भरे षब्द थोड़ी सी की गई चिंता, देखभाल उन लोगों के ऊपर छाये संदेह और परीक्षाओं के बादल को हटा देते हैं। प्रभु यीशु ही के समान सच्ची सहानुभूति जो हृदय की गहराईयों से आती है, यदि लोगों को मिलती है तो उसकी सामर्थ इनके हृदय के द्वारों को खोल देती है और उनको केवल प्रभु के आत्मा के छू लेने की जरूरत होती है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 9:30) ChsHin 160.2

हजारों हृदयों तक बड़े सीधे सरल और नम्र तरीके से पहुंचा जा सकता है। सबसे ज्यादा बुद्धिमान वे स्त्री व पुरूश जिन्हें सारा जगत जानता और उनकी प्रशंसा करता है, इन्हें कहे गये साधारण षब्द जो उस व्यक्ति ने कहे जो परमेश्वर से प्रेम करता है, बड़ी राहत पहुंचाते और उन्हें फिर अच्छे काम करने के लिये प्रेरित करते है। और कौन है जो अपने षब्दों से स्वाभाविक प्रेम को दर्शाता है, क्योंकि सांसारिक लोग उन्हीं बातों को कहते हैं, जो दिन-रात उनके मन में आती रहती है, जिन विचारों में वे खोये रहने, उन्हीं बातों को जबान पर लाते है। अधिकतर पहले से कहने या बोलने के लिये तैयार किये गये षब्द या भाशण उतना प्रभाव नहीं डालते हैं। किन्तु परमेश्वर के बेटे-बेटियों द्वारा कहे षब्द जो हृदय की गहराई से स्वाभाविक और सहजता से कहे जाते हैं, वे लोगों के हृदय के द्वार, जो काफी समय से बंद पड़े थे, खोले जा सकते है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च —6:115) ChsHin 160.3