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व्यक्तिगत अनुभव बताना ChsHin 161

वे जिन्होने मसीह यीशु के पूरी तरह अपना लिया है, वे ही अपने अनुभव स्वाभाविक रूप से लोगों के साथ बांटेगें। कदम-कदम पर जहां इन्हें पवित्र आत्मा ले जायेगा। उनकी प्रभु के ज्ञान को पाने की भूख और प्यास तथा प्रभु यीशु की जानने की इच्छा जिसे पिता ने भेजा है पूरी होगी और जब वचन की खोज उनकी प्रार्थनायें, उनकी स्वयं की तकलीफें उन्हें प्रभु के करीब ले आयेगीं। ” तेरे पाप क्षमा किये गये’ प्रभु उनसे कहेगा, ये तो बिल्कुल अनहोना है कि कोई इन बातों को किसी से न कहे, छुपाकर रखे। या वे जो प्रभु से प्रेम रखते हैं वे भी ऐसा न करें। वे अवश्य दूसरों को बतायेंगे। क्योंकि प्रभु ने अपने लोगों को सच्चाई के खजाने से भरपूर किया है अतः वे चाहेंगे कि अन्य लोगों को भी इस खजाने को पाने की आशिश मिले। और जैसे ही वे परमेश्वर की इस अनुग्रह के भरपूर भण्डार के बारे जान लेते तब और, और अधिक प्रभु यीशु का अनुग्रह इन्हें प्राप्त होगा। ChsHin 161.1

(क्राइस्टस ऑब्जेक्ट लैसन्स-125) हर एक आत्मिक ताकत जागष्त होकर काम में लग जाये। जिनसे भी मिलते हो उन्हें बताओ कि सब चीजों का खात्मा जल्दी ही होने वाला है। प्रभु यीशु उन लोगों के हृदय के द्वार खोलेगा और उनके मस्तिश्क पर एक अनन्त छाप छोड़ेगा। ChsHin 161.2

आत्मिकता में सोये हुये स्त्री व पुरूशों को जगाने में लगे रहो। उन्हें बताओं कि तुमने कैसे प्रभु यीशु को पाया और कितने आशिशित हुये हो जब से प्रभु की सेवा में लगे हो। उन्हें ये भी बताओं कि प्रभु के कदमो में बैठकर वचन सीखने पर कितनी आशिश मिलती है, उन्हें बताओ कि मसीही जीवन कितना सुखमय और आनंद से पूर्ण है, जब तुम उन्हें ये प्रेम भरे षब्द बताओगे तो वे लोग तुमसे प्रभावित होगें और जानना चाहेगें कि ये किमती मोती तुम्हें कैसे प्राप्त हुआ। तुम्हारे खुशी से पूर्ण, उत्साह वर्धक षब्दों से वे देख सके कि निश्चित रूप से तुमने एक ऊँचा मुकाम पा लिया है। यह एक सीधा, सरल और उचित प्रचार कार्य है, जो यदि किया जाता है, तो अनेक सोये हुये लोग स्वप्न से जाग उठेंगे। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 9:38) ChsHin 161.3

जिन्हें परमेश्वर अपने हथियार के रूप में काम में लोने के लिये इस्तेमाल करता है कुछ लोगों उन्हें पर्याप्त नहीं मानते हैं, किन्तु यदि वे प्रार्थना कर वचन का प्रचार सामान्य रूप से भी करें, तो पवित्र आत्मा की सामर्थ से, इस प्रेम की खातिर जो वे प्रभु यीशु से करते हैं, बहुत से लोगों तक पहुँच सकते है। जैसे यदि वे साधारणता बाइबल वचन पढ़कर सच्चाई को बताने के लिये अपने स्वयं के अनुभवों और जीवन में घटी घटनाओं को बताते तब पवित्र आत्मा उनके मन और आचरण पर अपनी छाप डालता है। तब उनकी इच्छा प्रभु की इच्छा के अधीन हो जाती है और प्रभु का सत्य जो लोगों को समझ नहीं आता, वह उनके हृदय तक पहुंचकर एक जीवित परिवर्तन लाता है और एक आत्मिक सच्चाई बन जाता है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च -6:444) ChsHin 162.1