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व्याख्यान प्रभावकारी ChsHin 162

उसके दया से पूर्ण संदेश अलग-अलग प्रकार के थे जो सुनने वालों को पसंद आते थे। उसे पता थ कि यदि थकाने वाला मौसम है तो किस प्रकार के षब्दों का प्रयोग करना चाहिये। क्योंकि उनके होठों पर अनुग्रह उडेला गया था कि वह बहुत ही प्रभावशाली तरीके से प्रभु की सच्चाई का खजाना लोगों को पहुँचा सके। उसके पास वचन से घृणा करने वालों के दिमागों तक पहुंचने का तरीका पता था और उन्हें अपने व्याख्यान से उन्हें न केवल वचन की ओर फेर लाता बल्कि आष्चर्यचकित भी कर देता था कल्पना करते हुये वह उनके हृदय तक पहुंचता और वचन का संबंध सामान्य दैनिक जीवन से जोड़कर समझाता था यद्यपि वे उदाहरण साध शारण होते थे फिर भी उनमें अर्थ की गहराई बड़े अद्भुत तरीके से पाई जाती थी । आकाष के पक्षी, मैदान के कुमुदनी बीज, भेड़े और चरवाहा आदि का प्रभु ने उदाहरण देकर अनन्त सच्चाई के बारे में सिखाया। और जब कभी भी उसके सुनने वाले इन वस्तुओं को देखते तो प्रभु के वचन याद करते थे। प्रभु यीशु के उदाहरण लगातार उसकी शिक्षाओं में दोहराये गये। (द डिज़ायर ऑफ एजेज़-254) ChsHin 162.2

प्रेरितों में पूरी मेहनत की उन मूर्ति पूजकों को सष्जनहार परमेश्वर और उसका पुत्र जो पूरी मानव जाति को बचाने वाला है, के बारे में बताने के लिये, सर्वप्रथम इन प्रेरितों ने परमेश्वर के कामों का जो अद्भुत थे उन पर उनका ध्यान केन्द्रित किया :- सूर्य, चन्द्रमा, तारे, ऋतुओं के बदलने का सुन्दर क्रम, वो ऊँचे शक्तिशाली बर्फीले पर्वत, ऊँचे-ऊँचे वृक्ष, और ऐसे अनेक आश्चर्य जनक प्रकृति जो मनुश्य की समझ से परे है। सर्व शक्तिमान परमेश्वर के इस अद्भुत रचना के द्वारा प्रेरितों ने मूर्ति पूजकों को एक महान षासक जो पूरे जगत पर राज करेगा, के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया। (द एक्ट्स ऑफ अपॉसल्स -180) ChsHin 163.1