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महान संघर्ष - Contents
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    ख्रीस्त के चेले

    बड़े समर्थ के साथ चेले क्रूसघातित जी उठा यीशु के विषय प्रचार करने लगे। उन्होंने रोगियों को चंगा किया। यहाँ तक कि एक जन्म से लंगड़ा व्यक्ति को भी चंगा किया जो उनके साथ उछलता कूदता हुआ ईश्वर की महिमा कर लोंगो के बीच चला फिरा। इस के समाचार चारों तरफ फैल गये और लोग चेले से आकर पूछने लगे। इस चंगाई का काम को देखकर बहुत से लोग बड़े आश्चर्य में पड़ गए।1SG 55.1

    यीशु के मरने पर प्रधान याजकों ने सोचा था कि अब किसी प्रकार का आश्चर्य कर्म नहीं होने से, देखने की उत्सुकता घट जायेगी और लोग फिर से परम्परा की ओर चले आयेंगे। पर ठीक उन्हीं के बीच चेलों के द्वारा आश्चर्य कर्म करना शुरू हो गया तो लोग आश्चर्यचकित होकर उनकी ओर देखने लगे। यीशु को तो क्रूस पर चढ़ा दिया गया था और ये ताज्जुब करने लगे कि इन्हें कहाँ से यह शक्ति मिल गई। वे सोच रहे थे कि जब यीशु जीवित था तो उन्हें यह शक्ति मिली थी पर मर गया तो सोच रहे थे कि आश्चर्य कर्म करने का अधिकार भी न रहेगा। पतरस को उनकी घबड़ाहट का पता लग गया। उसने उन्हें कहा - ‘हे इस्त्राएली लोग, तुम इसको देखकर क्यों आश्चर्य करते हो और हमारी ओर देखते हो? अब्राहम, इसाहक और याकूब का ईश्वर जिसने अपने पुत्र यीशु की महिंमा की, जिसे तुमने इन्कार कर उसे मार डालने की इच्छा से पिलातुस को सौंपा था। तुमने उस पवित्र और निर्दोषजन को हत्या करने की स्वीकृति पाने के लिए उसके पास लाया था। उसे ईश्वर ने मरे हुए में से जिलाया जिस1SG 55.2

    की गवाही हम देते हैं।’ पतरस ने कहा कि उसका यीशु पर विश्वास ने, उसे जो पहिले लंगड़ा था, चंगा किया। प्रधान याजक और प्राचीन लोग इस बात को सुनना नहीं चाहते थे। उन्होंने चेलों को पकड़ कर बन्दीगृह में डाल दिया। परन्तु चेलों की इसी एक बात से हजारों लोग जी उठने और स्वर्ग जाने को विश्वास कर मन परिवर्तन कर लिए। इससे प्रधान याजक और प्राचीनो को बड़ा दुःख हुआ। उन्होंने यीशु को क्रूस पर चढ़ाया था और सोचते थे कि इससे लोगों का विरोध प्रदर्शन उनके ऊपर होगा पर अब तो बद से बदतर होने जा रहा था। अब तो चेले सीधा उन पर हत्या करने का दोष लगा रहे थे। उन्हें मालूम नहीं हो रहा था कि यह क्रोध कितना दूर तक आगे बढ़ेगा, लोग उनसे कैसा व्यवहार करेंगे, इसकी चिन्ता में डूबे थे। वे आसानी से यीशु के चेलों को मृत्युदण्ड दे सकते थे परन्तु वे पत्थरावह किये जाने के डर से ऐसा नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने चेलों को सभा में लाने को कहा। जो यीशु को मार डालने के लिए हल्ला कर रहे थे। वे भी वहाँ थे। पतरस जब यीशु को शपथ खाते और शाप देते हुए इन्कार कर रहा था तो वे भी वहाँ थे। वे पतरस को डराने ध् ामकाने चाह रहे थे, पर वह अभी निडर बन गया था। यीशु की बड़ाई, करने का अवसर पतरस को अभी मिला था। डरपोक बन कर वह पहले यीशु को मुकर चुका था। उसी का प्रायश्चित करने के लिए उसने साहस दिखाया और कहा कि जिसको तुमने क्रूसघात किया था उसे ईश्वर ने जिलाया और उसी के द्वारा यह व्यक्ति जो तुम्हारे सामने खड़ा है, चंगा हुआ है। जिस कोने का पत्थर को तुमने त्यागा था वही पत्थर अब सिर बन गया। स्वर्ग के नीचे मनुष्यों के बीच में कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया है यीशु को छोड़, जिससे हम उद्धार पा सकते हैं।1SG 56.1

    पतरस और यूहन्ना की इस गवाही से लोग चकित हो गए। यीशु साथ रहने से उन्हें ज्ञान मिला है क्योंकि यीशु को जब क्रूस काठ पर ठोका जा रहा था तो वह निडर और गम्भीर स्वभाव का था, ठीक इन का भी वही स्वभाव है। यीशु ने अपनी उदास भरी नजर से पतरस को देखकर उसके इन्कार करने को डाँटा था। अभी पतरस जब साहस के साथ यीशु की गवाही देने लगा तो यीशु ने उसे फिर ग्रहण कर आशिष दी। यीशु को ग्रहण करने के स्वरूप में उसे पवित्रात्मा का वरदान मिला।1SG 57.1

    प्रधान याजक चेलों को घृणा करते थे उसे प्रगट नहीं कर सके। उन्होंने उन्हें सभा से बाहर भेज कर अपने आप में कहा कि इनको क्या किया जाय क्योंकि इन्होंने सचमुच एक बड़ा अचम्भा का काम किया है और यरूशलेम के आस-पास रहने वाले सभी लोग जान गये हैं जिस को हम भी इन्कार नहीं कर सकते। इस समाचार के फैलने से वे डरते थे। यदि यह फैल जायेगा तो उनका अधिकार भी खत्म होगा और वे हत्यारा के समान देखे जायेंगे। इसलिये उन्होंने यह चेतावनी देना अच्छा समझा कि उन्हें डरा-धमका कर भेज दें और कहें कि यीशु के नाम से लोगों को कुछ भी मत सुनाओं नहीं तो मार डाले जाओगे। इस पर पतरस ने कठोर रूख धारण कर कहा कि हमने जो कुछ देखा और सुना है उसे बिना बताये नहीं रह सकते हैं। 1SG 57.2

    यीशु का अधिकार पा कर चेले हर रोगी व्यक्ति को जो उनके पास आता था प्रतिदिन चंगा करते रहे। प्रधान याजक, पुरोहित और जो लोग उनके साथ थे वे इन बातों से घबड़ा गए। सैकड़ों लोग, क्रूसघातित, जी उठे और स्वर्ग पर चढ़ा हुआ यीशु के चेले बनने लगे। उन्होंने इस उत्तेजना को बन्द करने के लिये चेलों को जेल में डालने लगे। इस पर शैतान और उसके बुरे दूतों को बहुत आनन्द लगा। पर ईश्वर के दूत भी जेलों में जाकर उसका दरवाजा खोल कर उन्हें छुड़ाने लगे और उनके मना करने पर भी मन्दिरों में जाकर प्रचार करने को कहा। कौंसिल में चेलों को जेल से लाने के लिये कहा गया पर जेलों के दरवाजे खोलने पर उन्हें नहीं पाये। वे याजकों और प्राचीनों के पास लौट कर बताने लगे कि हमने तो खिड़की-दरवाजे सब ठीक से बन्द किये थे और पहरेदार बाहर खड़े होकर पहरा दे रहे थे फिर भी दरवाजा को खुला पाया और अन्दर कोई कैदी नहीं था। इसी वक्त एक व्यक्ति उनको बता रहा था कि जिनको आप लोगों ने बन्द कर रखा था, वे तो खड़े होकर मन्दिर में उपदेश दे रहे हैं। तब कप्तान अपने कर्मचारियों को साथ लेकर उन्हें बिना कुछ किये ले आया क्योंकि पत्थरवाह किये जाने का डर था। जब उन्हें कौंसिल में लाया गया तो प्रधान याजक ने पूछा - ‘क्या हमने तुम्हें सख्त मना नहीं किया था कि यीशु के नाम से प्रचार मत करो, और देखो तुमने सारे मरूशलेम के आस-पास अपना सिद्धान्त को प्रचार किया है और हमें यीशु का हत्यारा होने का दोष लगाया है।’1SG 57.3

    वे तो ढोंगी थे। परमेश्वर से बढ़कर मनुष्यों से प्रशंसा पाना चाहते थे। उसके दिल कठोर थे। चेलों ने बड़ा आश्चर्य कर्म किया था। उससे नाराज थे। वे जानते थे कि यदि चेले यीशु के क्रूसघात, जी उठना और स्वर्ग पर जाने की कहानी को बतायेंगे तो वे उसके हत्यारे साबित होंगे। वे यीशु को मार डालने की जिम्मेदारी और उसका खून को अपने और अपने बच्चों के ऊपर नहीं लेना चाहते थे यद्यपि कि वे पहले लेने के लिये राजी थे। चेलों ने साहसपूर्वक घोषणा की कि मनुष्य से बढ़कर हम ईश्वर की बात मानेंगे।1SG 58.1

    पतरस ने कहा - ‘हमारे पूर्वजों का ईश्वर ने जिसे तुम क्रूस पर ठोंककर मार डाला था, उसे जिलाया है।’ उसे ईश्वर ने महिमा देकर अपनी दाहिनी ओर बैठा कर राजकुमार और त्राणकत्र्ता ठहराया है, इस्त्राएलियों को पश्चात्ताप करवाने और पापों की क्षमा देने के लिये भी। हमलोग गवाही देते हैं और पवित्रात्मा भी उनको देती है जो ईश्वर की बातों को मानते हैं। तब वे हत्यारे और भी क्रोधित हो उठे। वे चेलों को कत्ल कर फिर से अपना हाथ खून से रंग डालना चाहते थे। वे ऐसा विचार कर ही रहे थे कि स्वर्ग से एक दूत गामालिएल के पास आया और उन्हें सलाह देने को कहा। तब गामालिएल ने उन्हें सलाह दी कि इन लोगों को कुछ नहीं करना है। यदि यह मनुष्यों की ओर से है तो अपने आप बन्द हो जायेगा और यदि ईश्वर की ओर से चेले काम रहे हैं तो हमारे रोकने से भी नहीं रूकेगा। बुरे दूत और शैतान तो चाह रहे थे कि इन चेलों को मृत्युदण्ड मिले। लेकिन ईश्वर ने दूतों को भेज कर उन्हीं का दल में से एक प्रभावशाली व्यक्ति के द्वारा प्रेरितों का काम को रोकवाने से मना किया।1SG 59.1

    प्रेरितों का काम पूरा नहीं हुआ था। उनको राजाओं के सामने भी यीशु के विषय जो देखे थे और सुने थे, उसकी गवाही देनी थी। प्रेरितों को छोड़ने के पहले उन्होंने इन्हें मारा-पीटा और कहा कि इसके नाम से प्रचार मत करो। ईश्वर की महिमा करते हुए वे कौंसिल से बाहर गये और अपने को, यीशु के लिये दुःख सहने के कारण धन्य माने। मन्दिरों में जाकर प्रचार करने लगे और जहाँ-जहाँ उन्हें बुलाते थे वहाँ जाकर भी अपना कक्र्तव्य पूरा करने लगे। ईश्वर का वचन बढ़कर दुगुना बढ़ता गया। शैतान ने रोमन पहरेदारों को झूठ बोलवा कर कहा था कि जब हम सो रहे थे तो यीशु के चेले आकर उसे चुरा लिए। इस झूठ के द्वारा वे आशा कर रहे थे कि सच को छिपावें, परन्तु चारों ओर यीशु के जी उठने की गवाही देने वालों की भरमार से यह जंगल की आग की तरह फैलता गया। यीशु के नाम से अद्भुत-अद्भुत काम होने लगे। मनुष्य के पुत्र को मार डालने का अधिकार जब मिला था तो वे यीशु का खून का जिम्मेदारी लेना चाहते थे, अब उन पर चेले बड़े साहस के साथ यह जिम्मेदारी डाल रहे थे।1SG 59.2

    मैंने देखा कि ईश्वर के दूतों को विशेष आदेश दिया गया कि चेले जो विशेष सच्चाई का प्रचार कर रहें हैं, वह पीढ़ी से पीढ़ी तक के लिये धरोहर स्वरूप ठहरने वाला है, उनकी चिन्ता कर रक्षा करें। जो प्रेरित जी उठा यीशु, और स्वर्ग में चढ़ा यीशु की गवाही देते थे उन पर पवित्र आत्मा थी। उसी ने इन्हें इस सत्य को जो इस्त्राइलियों की आशा प्रचार करने की समर्थ दी। सब त्राणकत्र्ता यीशु पर नजर रखकर अपना जीवन का बलिदान देकर मार्ग दिखाया था उस पर चलने लगे मानो एकमात्र आशा वही है। मैंने यीशु की बुद्धि और समझ को देखा जब वह अपने चेलों को उसका काम को पूरा करने के लिए मार दिया गया। उसी काम को यहूदी या इस्त्राइली लोग नफरत कर मार डालना चाहते थे। शैतान के कामों को नष्ट करने का अधिकार चेलों को दिया गया था।1SG 60.1

    यीशु के नाम उन्होंने अद्भुत चिन्ह और विचित्र काम करके दिखाये पर दुष्टों के हाथों ने उसे क्रूस पर चढ़ाया। यीशु की मृत्यु और जी उठने के समय एक महिमा का प्रकाश चमक कर उस सत्यता को अमर किया कि यीशु ही जगत को बचाने वाला है।1SG 60.2

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