बाबुल के पाप
- शैतान का, पाप में गिरना
- मनुष्य का पतन
- उद्धार की योजना
- रव्रीस्त-यीशु का पहला आगमन
- यीशु की सेवकाई
- यीशु का बदला हुआ रूप
- ख्रीस्त का पकड़वाया जाना
- यीशु का न्याय होता है
- रव्रीस्त का क्रूसघात
- ख्रीस्त का पुनरुज्जीवन
- ख्रीस्त का स्वर्गारोहण
- ख्रीस्त के चेले
- स्तिफनुस की मृत्यु
- साऊल का मन परिवत्र्तन
- यहूदियों ने पौलैलुसुस को मार डालने का निर्णर्यय किया
- पौलुस यरूशलेम जाता है
- महान धर्मपतन
- पाप का रहस्य
- मृत्यु अनन्त काल तक का दुःखमय जीवन नहीं
- धर्म सुधार
- मण्डली और दुनिया में एकता होती है
- विलियम मिल्लर
- पहिला दूत के समाचार
- दूसरा दूत के समाचार
- आगमन के आन्दोलन का उदाहरण
- दूसरा उदाहरण
- पवित्र स्थान
- तीसरे दूत के समाचार
- एक मजबूत बेदी
- प्रेतवाद
- लालच
- डगमगाहट
- बाबुल के पाप
- जोरों की पुकार
- तीसरा दूत के समाचार बन्द हुए
- याकूब की विपत्ति का समय
- सन्तों को छुटकारा मिला
- सन्तों को पुरस्कार मिलता है
- पृथ्वी उजाड़ की दशा में
- दूसरा पुनरूत्थान
- दूसरी मृत्यु
Search Results
- Results
- Related
- Featured
- Weighted Relevancy
- Content Sequence
- Relevancy
- Earliest First
- Latest First
- Exact Match First, Root Words Second
- Exact word match
- Root word match
- EGW Collections
- All collections
- Lifetime Works (1845-1917)
- Compilations (1918-present)
- Adventist Pioneer Library
- My Bible
- Dictionary
- Reference
- Short
- Long
- Paragraph
No results.
EGW Extras
Directory
बाबुल के पाप
जब से दूसरा दूत का समाचार सुनाया गया तो विभिन्न मंडलियों की स्थिति को देखने का मौका मिला। वे बुराई में खराब से खराब होते जा रहे थे। फिर भी वे अपने को ख्रीस्त के चेले बोलते थे। संसार के लोगों के बीच से उन्हें ईसाई कह कर पहचान पाना कठिन था। उनके पादरी बाईबिल से तो वचन पढ़ते थे पर साधारण उपदेश देते थे। प्राकृतिक हृदय के लिये कोई बाधाजनक नहीं था। काले हृदय के लिये आत्मा, सच्चाई की शक्ति और यीशु का उद्धार करना उन्हे अच्छे नहीं लगते थे। साधारण उपदेश में शैतान भी आराम से रहता है, पापी लोग भी डर से नहीं काँपते हैं और न उन्हें न्याय जो जल्द आने वाला है उसके विषय भी कुछ डर रहता है। दुष्ट पापी लोग भी धर्म का चोगा (वस्त्र) पहने हुए सन्तुष्ट रहते हैं और इसकी मदद और सहायता करते हैं। स्वर्गदूत ने कहा कि जब तक धार्मिकता के सारे हथियार से तैयार न हो तब तक इन्हें कोई जीत नहीं सकता है। अंधकार की शक्ति को नहीं दबा के रख सकता है। शैतान ने इन्हें सम्पूर्ण रूप से कब्जा कर लिया है। लोगों की बोली - वचन ईश्वर की सच्चाई प्रगट करने के बदले चुप बैठी है। स्वर्गदूत ने कहा - संसार से मित्रता कर और संसार की इच्छा पर चलकर ईश्वर के शत्रु बन गए हैं। यीशु के समय की सच्चाई जब शक्ति के साथ पेश की गई तो जगत की आत्मा इसके विरूद्ध उठ कर सताने की चेष्टा करने लगी। बहुत अधिक संख्या में जो नामधराई का ईसाई बने थे, वे सच्चे रूप से ईश्वर का चरित्र को नहीं जानते थे। लोगों का बुरा स्वभाव नहीं बदला था। लोगों का काला दिल ईश्वर का दुश्मन बना हुआ था। ईसाई नाममात्र के लिये थे पर वे शैतान के शिष्य थे। 1SG 160.1
मैंने देखा कि जैसे यीशु पवित्र स्थान छोड़ कर महापवित्र स्थान में प्रवेश किया तो मंडलियाँ उसी प्रकार त्यागी गई जैसे यहूदी लोग। वे व्यर्थ ही मन्दिर की विधि का पालन के लिये भेड़ बकरियों का बलिदान करते थे। मैंने मंडली में फैला हुआ भ्रष्टाचार को देखा। वे तो अपने को ईसाई होने का दावा कर रहे थे। उनके नाम, प्रार्थनाएँ और चेतावनियाँ ईश्वर के सामने घृणित ठहरते थे। दूत ने कहा - ‘ईश्वर उनकी उपासना के लिये जमा होने को भी पासन्द नहीं करेगा।’ विवेक को बिना चेतावनी दिए झूठ, छल और स्वार्थ के कामों को करने में लीन हैं। इन सब बुराईयों को करके वे धर्म का पोशाक को फेंकते हैं। मुझे साधारण मंडली का गर्व को भी दिखाया गया। उनके दिल-दिमाग में ईश्वर का स्थान नहीं था। पर उनका काला मन अपने पर निर्भर था। वे अपने बेचारे नाशवान शरीर को सिंगारते-सजाते हैं और उसे देखकर घमंड करते और सन्तुष्ट होते हैं। यीशु और उसके दूत उन्हें गुस्सा से देखते हैं। दूत कहता है कि उनके पाप और गर्व स्वर्ग तक पहुँच गए हैं। उनका भाग्य का निर्णय हो चुका है। न्याय और बदला लेना तो अभी रूका हुआ है पर तुरन्त ही किया जायेगा। प्रभु ने कहा बदला लेना मेरा काम है और शीघ्र मैं इसका प्रतिफल दूँगा। तीसरा दूत का डरावना संवाद सुनाया जायेगा और लोग महसूस करेंगे। उन्हें ईश्वर के क्रोध का कटोरा पीना पड़ेगा। असंख्य बुरे दूत जगत के चारों ओर फैल रहे हैं। मंडलियाँ और उसके सदस्यों को ये लोग घेर रहे हैं। इस तरह के धर्म मानने वालों को देख कर शैतान और उसके दूत खुश नजर आते हैं क्योंकि ईसाईयों ने धर्म का पोशाक तो पहना है पर उसमें कुकर्म और खून हो रहे हैं।1SG 161.1
सारा स्वर्ग मनुष्यों को गुस्सा से देख रहा था क्योंकि ये ही मनुष्य ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ सृष्टि में हैं पर भ्रष्टाचार में पड़ कर नीच बन गये हंै। अपने को ये सब से नीच स्तर का खूनी बना डाले हैं। प्रभु के चेलों की यह दुर्दशा देख कर यीशु की सहानुभूति भी उनको संवाद दिया था। वे दयनीय या गम्भीर पापों में सम्पूर्ण रूप से डूब कर मानव आत्मा के साथ गुलामी का कारोबार करते हैं। स्वर्गदूतों ने इसे लिख रखा। यह किताब में लिखा गया है। धर्मभक्त कैदी व्यक्तियों, कैद स्त्रियों, माता-पिता, बच्चों और भाई-बहनों के आँसू बोतल में बन्द कर स्वर्ग में रखे गये हैं। कष्ट, वेदना मनुष्यों को दुःख दर्द पहुँचाने के काम जगह-जगह चलाये जाते, उन्हें खरीद कर बिक्री किये जाते। ईश्वर अपना गुस्सा को थोड़ी देर के लिये रोके रखेगा। उसका क्रोध इन जातियों के ऊपर भड़क रहा है, विशेष कर उनके ऊपर जो अपने को ईसाई कहते हैं पर इस प्रकार के कारोबार में फँसे हुए हैं, और चला रहे हैं। इस तरह का अन्याय, अत्याचार और कष्ट जो यीशु के नम्र और दीन चेलों पर हो रहा है, उसे वह अनजाने निर्दय हो कर देख रहा है। इनमें से बहुत लोग इन्हें घृणा कर सन्तुष्ट होंगे। इन सब अवर्णनीय दुःख कष्टों को दे कर भी वे ईश्वर की उपासना करते हैं। यह तो एक गम्भीर मजाक है जिससे शैतान खुश होकर यीशु और उसके दूतों को ताना मार कर कहता है - क्या यीशु के चेले ऐसे ही होते हैं? 1SG 162.1
इन नामधराई मसीहियों ने मात्र्तिरों के कष्ट को पढ़ा तो उनकी आखों से आसुँ गिर पड़े। वे आश्चर्य कर कहने लगें कि लोग अपने भाईयों को सताने के लिये इतने कठोर दिल वाले बन गए थे। पर असल में तो वे भी अपने पड़ोसियों को गुलाम बनाते थे। सिर्फ इतना ही नहीं, उन्होंने अपने दिल को कठोर बनाकर अपने साथियों को प्रतिदिन क्रूरता से सताते थे। वे अमानुषिक रूप से तथा अत्याधिक क्रोध से लोगों को सताते थे उसको, यीशु के चेलों को पोप के लोग और गैर मसीही सताते एवं उससे तुलना करते हैं। स्वर्गदूत कहता है कि पोप के लोग और गैर मसीही लोगों का सताना न्याय के वक्त सहा जा सकेगा परन्तु इस समय के लोगों का नहीं। सताये गए लोगों का रोना और चिल्लाना स्वर्ग तक पहुँच गया। स्वर्गदूतगण इस कठोर व्यक्तियों का, ईश्वर के प्रतिरूप में बनाये गए लोगों को सताना देख कर आश्चर्य से मुँह फाड़ कर देखते थे। स्वर्गदूत बोला ऐसे लोगों के नाम खून से लिखे गए हैं, क्योंकि इन पर जलते हुए आँसुओं और मानसिक दुःखों का बोझ को सहना पड़ा था। ईश्वर का गुस्सा इस जगत के लोगों पर जो ज्योति पा चुके हैं, तब तक ठंडा न होगा जब तक कि उसका गुस्सा का प्याला न पीलें। जब तक कि बाबुल का बदला पूरी रीति से न चुकायेगा। उसके कर्मों की सजा दो गुनी दी जायेगी। 1SG 162.2
मैंने देखा कि गुलाम का मालिक को इसका जबाब देना चाहिए किस मतलब से उसने मनुष्यों को अज्ञानता में रख छोड़ा है। इन सारे गुलामों के पाप को इसी मालिक पर डालना चाहिये। ईश्वर पाप के गुलामों को स्वर्ग नहीं ले सकता है। केवल करूणामय ईश्वर ही क्षमा पाकर कोई भी गुलाम स्वर्ग जा सकेगा। उसका मालिक सातवाँ विपत्ति का कष्ट भोगेगा। वह दुष्टों के साथ जी उठ कर दूसरी भयानक मृत्यु भोगेगा। उसी समय ईश्वर का गुस्सा ठंडा होगा।1SG 163.1