जोरों की पुकार
- शैतान का, पाप में गिरना
- मनुष्य का पतन
- उद्धार की योजना
- रव्रीस्त-यीशु का पहला आगमन
- यीशु की सेवकाई
- यीशु का बदला हुआ रूप
- ख्रीस्त का पकड़वाया जाना
- यीशु का न्याय होता है
- रव्रीस्त का क्रूसघात
- ख्रीस्त का पुनरुज्जीवन
- ख्रीस्त का स्वर्गारोहण
- ख्रीस्त के चेले
- स्तिफनुस की मृत्यु
- साऊल का मन परिवत्र्तन
- यहूदियों ने पौलैलुसुस को मार डालने का निर्णर्यय किया
- पौलुस यरूशलेम जाता है
- महान धर्मपतन
- पाप का रहस्य
- मृत्यु अनन्त काल तक का दुःखमय जीवन नहीं
- धर्म सुधार
- मण्डली और दुनिया में एकता होती है
- विलियम मिल्लर
- पहिला दूत के समाचार
- दूसरा दूत के समाचार
- आगमन के आन्दोलन का उदाहरण
- दूसरा उदाहरण
- पवित्र स्थान
- तीसरे दूत के समाचार
- एक मजबूत बेदी
- प्रेतवाद
- लालच
- डगमगाहट
- बाबुल के पाप
- जोरों की पुकार
- तीसरा दूत के समाचार बन्द हुए
- याकूब की विपत्ति का समय
- सन्तों को छुटकारा मिला
- सन्तों को पुरस्कार मिलता है
- पृथ्वी उजाड़ की दशा में
- दूसरा पुनरूत्थान
- दूसरी मृत्यु
Search Results
- Results
- Related
- Featured
- Weighted Relevancy
- Content Sequence
- Relevancy
- Earliest First
- Latest First
- Exact Match First, Root Words Second
- Exact word match
- Root word match
- EGW Collections
- All collections
- Lifetime Works (1845-1917)
- Compilations (1918-present)
- Adventist Pioneer Library
- My Bible
- Dictionary
- Reference
- Short
- Long
- Paragraph
No results.
EGW Extras
Directory
जोरों की पुकार
मैंने देखा कि दूतगण स्वर्ग में इधर-उधर तेजी से घूम रहे थे। वे कभी स्वर्ग से नीचे पृथ्वी पर आते थे और कभी पृथ्वी से ऊपर स्वर्ग की ओर जाते थे। वे कुछ प्रमुख घटना को पूरा करना चाहते थे। मैंने एक दूसरा स्वर्गदूत को देखा जिसे पृथ्वी पर आने के लिये हुक्म दिया गया। तीसरा दूत के साथ मिल कर उसके संवाद को बलवान और जोरदार बनाने कहा। जैसे वह उतरा तो उसे अधिक शक्ति और महिमा दी गई। पृथ्वी प्रकाश से भर गयी। इसके आगे और पीछे प्रकाश उजियाला करता गया और उसने बड़े जोर से पुकार कर कहा - “बाबुल, बड़ा बाबुल गिर पड़ा”। यह प्रेतों-दुष्टात्माओं और घृणित पक्षियों का अड्डा बन गया है। बाबुल के गिरने का संवाद दूसरा दूत से सुनाया था। उसे फिर कुछ बुराईयों को जोड़ कर सुनाया गया जो १८४४ ई. में मंडलियों में घुस गई थीं। इस दूत का काम ठीक समय पर हुआ और तीसरा दूत का काम में जोर डाला गया। परमेश्वर के लोगों को चारों ओर तैयार किया जिससे वे परीक्षा के समय स्थिर खड़े रह सकें। मैंने उन पर रोशनी चमकती हुई देखी। वे एक साथ मिल कर निर्भय हो कर बड़ी शक्ति से संवाद पेश करने लगे। उस महान दूत की मदद करने के लिये स्वर्ग से दूसरे दूत भेजे गए। मैंने उनको चारों ओर प्रचार करते देखा। हे! मेरे लोगो वहाँ से निकल जाओ जिससे तुम उसके पापों का भागीदार न बनोगे। उसकी विपत्ति तुम पर न गिर पड़े। क्योंकि उसके पाप तो स्वर्ग तक पहुँच गए हैं। ईश्वर ने उसके पापों को स्मरण कर लिया है। इस संवाद ने तो तीसरा दूत का संवाद को और बढ़ाया जैसा १८४४ ई. में दूसरा दूत ने “आधी रात की पुकार” बोल कर संवाद दिया था उसी में इसको भी जोड़ा गया। ईश्वर की आत्मा धीरज धर कर प्रतीक्षा करने वालों पर ठहरी हुई थी। अब वे इस चेतावनी का संवाद को - बाबुल गिर पड़ा वहाँ से निकल आओ, को बिना डर जोर से फैलाने लगे। ऐसा करने से या वहाँ से निकल कर वे अपने को भयानक विनाश से बचा सकते हैं। 1SG 164.1
प्रतीक्षा कर रहे लोगों पर ज्योति पड़ी और इसका प्रकाश चारों ओर दिखाई देने लगा। जिन लोगों ने पहले दूतों की पुकार सुन कर इनकार किया था वे अब इसको ग्रहण कर पतित मंडली से निकाल कर आये। जबसे ये समाचार सुनाये गये थे बहुत वर्षों के बाद लोग अपनी जिम्मेदारी को समझे और जब उनपर ज्योति पड़ी तो जीवन और मरण को चुनने का मौका मिला। कुछ लोगों ने जीवन को चुना और उनके साथ मिल गए। जिन्होंने सब आज्ञाओं को मानने को निर्णय लिया था। तीसरा दूत के इस सुसमाचार से लोगों को परखा और अनमोल आत्माओं ने अपना चर्च छोड़ कर इस सत्य को ग्रहण किया। ईमानदारों के बीच में यह वचन बहुत जोर से काम करने लगा जबकि ईश्वर की ओर से भी एक शक्ति काम कर रही थी। वह इनलोगों के रिश्तेदारों और मित्रों को इन्हें भड़काने से रोक रखी थी। आखिरी पुकार, बेचारे गुलामों के लिये भी हुई। उनमें से जो लोग ईश्वर के खोजी थे वे नम्रभाव से ईश्वर के सन्मुख आकर छुटकारा का गीत आनन्द से गाने लगे। उनके मालिक आश्चर्य और डर के कारण उन्हें स्वीकार करने से रोक न सके। बहुत बड़ा आश्चर्य काम के साथ मरीजों को चंगा किया गया और विश्वास करने वालों के बीच अद्भुत कामों के चिन्ह दिखाई दिए। इसमें ईश्वर का हाथ था। सन्त लोग अपना विवेक का सहारा लेकर सब आज्ञाओं को मानने से नहीं डरे। उन्होंने तीसरा दूत का संवाद को जोरों से फैलाया। तीसरा दूत का यह संवाद “आधी रात की पुकार” से भी बढ़ कर शक्ति के साथ पूरा होगा। 1SG 165.1
ईश्वर के दासों को स्वर्ग से शक्ति मिली। पवित्रता की ज्योति से भरपूर होकर चमकते चेहरों के साथ, संवाद को प्रचार करने निकले। अनमोल आत्माओं को जो चारों ओर विनाश हो रहे चर्चों में थे, उन्हें जल्दी से निकाल लिये गये जैसा लूत को सदोम आमोरा के विनाश से निकाला गया था। ईश्वर के लोगों को पवित्रात्मा की मदद से परीक्षा के समय स्थिर खड़े रहने के लिये दृढ़ किया गया। बहुत से लोग एक साथ चिल्ला उठे - सन्तों का धीरज इसी में है कि परमेश्वर की अब आज्ञाओं को मानते और यीशु पर विश्वास करते हैं।1SG 166.1