-: भूमिका :-
-
- -: सम्पादकीय :-
- -: भूमिका :-
- पाठ १ - शैतान का, पाप में गिरना
- पाठ २ - मनुष्य का पतन
- पाठ ३ - उद्धार की योजना
- पाठ ४ - ख्रीस्त-यीशु का पहला आगमन
- पाठ ५ - यीशु की सेवकाई
- पाठ ६ - यीशु का बदला हुआ रूप
- पाठ ७ - ख्रीस्त का पकड़वाया जाना
- पाठ ८ - यीशु का न्याय होता है।
- पाठ ९ - ख्रीस्त का क्रूसघात
- पाठ १० - ख्रीस्त का पुनरुज्जीवन
- पाठ ११ - ख्रीस्त का स्वर्गारोहण
- पाठ १२ - ख्रीस्त के चेले
- पाठ १३ - स्तिफनुस की मृत्यु
- पाठ १४ - साऊल का मन परिवर्तन
- पाठ १५ - यहूदियों ने पौलुस को मार डालने का निर्णय किया
- पाठ १६ - पौलुस यरूशलेम जाता है
- पाठ १७ - महान धर्मपतन
- पाठ १८ - पाप का रहस्य
- पाठ १९ - मृत्यु अनन्त काल तक का दुःखमय जीवन नहीं
- पाठ २० - धर्म सुधार
- पाठ २१ - मण्डली और दुनिया में एकता होती है
- पाठ २२ - विलियम मिल्लर
- पाठ २३ - पहिला दूत के समाचार
- पाठ २४ दूसरा दूत के समाचार
- पाठ २५ - आगमन के आन्दोलन का उदाहरण
- पाठ २६ - दूसरा उदाहरण
- पाठ २७ - पवित्र स्थान
- पाठ २८ - तीसरे दूत के समाचार
- पाठ २९ - एक मजबूत बेदी
- पाठ ३० - प्रेतवाद
- पाठ ३१ - लालच
- पाठ ३२ - डगमगाहट
- पाठ ३३ - बाबुल के पाप
- पाठ ३४ - जोरों की पुकार
- पाठ ३५ - तीसरा दूत के समाचार बन्द हुए
- पाठ ३६ - याकूब की विपत्ति का समय
- पाठ ३७ - सन्तों को छुटकारा मिला
- पाठ ३८ - सन्तों को पुरस्कार मिलता है
- पाठ ३९ - पृथ्वी उजाड़ की दशा में
- पाठ ४० - दूसरा पुनरुत्थान
- पाठ ४१ - दूसरी मृत्यु
Search Results
- Results
- Related
- Featured
- Weighted Relevancy
- Content Sequence
- Relevancy
- Earliest First
- Latest First
- Exact Match First, Root Words Second
- Exact word match
- Root word match
- EGW Collections
- All collections
- Lifetime Works (1845-1917)
- Compilations (1918-present)
- Adventist Pioneer Library
- My Bible
- Dictionary
- Reference
- Short
- Long
- Paragraph
No results.
EGW Extras
Directory
-: भूमिका :-
भूमिका व्यवस्था और साक्षी के विषय प्रभु के वचन के मुताबिक न बोलें तो उनमें कुछ ज्योति नहीं है - यशाः८:२०।GCH .0
२१वीं शताब्दी के शुरू में ऐसा लगता है कि हर व्यक्ति नबी की तरह बातें बोलता है। यहाँ तक कि “कम्पयूटर का इन्टरनेट” में भविष्यवाणियों का मकडा जाल सा लग गया हैं। कुछ लोगों का कहना है कि चीज अजीब सी लगती है। कैसे हम जान सकते हैं कि वे जो कहते हैं, सचमुच ईश्वर के नबी हैं और उसकी ओर से बोलते हैं। इसको हमें व्यवस्था और यीशु की साक्षी से तुलना करना होगा। प्राचीन काल में ईश्वर के दिए हुए वचनों को लिखे गए और बाईबिल में किताबें जोड़ी गई, उससे तुलना करने पर ये विपरीत न हों तो हम सच मानेंगे।GCH .0
यीशु जान कर ही बोले थे कि भविष्यवाणी अन्तिम दिनों में लोगों के लिये एक कठिन समस्या लायेगी - “बहुत से झूठे भविष्यवाक्ता उठेंगे और बहुत लोगों को भरमायेंगे, मत्ती २४:११” और भी कहा गया है, इस सम्बन्ध में। ईश्वर ने यूहन्ना को बताया “प्रियो, हरेक आत्मा को बिना जाँच किये विश्वास मत करो क्योंकि बहुत से झूठे नबी पृथ्वी पर फैल गए हैं।” यूहन्ना ४:१। इसमें एलेन ह्वाईट भी शमिल है। इस किताब को पढ़ कर बाईबिल से तुलना कर देखो। क्या यह कसौटी में खरा उतरती है या नहीं ? हमारे स्वर्गीय दयालु पिता से प्रार्थना करें। वह अपनी पवित्रात्मा भेज कर हमें सच्चाई का मार्ग में अगुवाई करेगा।GCH .0
अभी तो विश्वास करने योग्य नहीं लगता है। परन्तु २०वीं शताब्दी के अन्त होने के एक-दो साल पहले, जो अपने को मसीही कहलाते थे वे उनके कट्टर विरोधी थे जो यह कहकर दावा करते थे कि मुझे ईश्वर की ओर से ज्योति मिली है। वे प्रकाशित वाक्च का २२:१८, १९ पदों के आधार पर अपने को साबित करने कहते थे। जो कोई भविष्यवाणी की इन बातों को सुनता है उन सबको साक्षी देकर कहता हूँ कि यदि कोई इसमें से कुछ जोड़े तो ईश्वर इस किताब में जो विपत्ति लिखी गई है उसे उसके जीवन में भी जोड़ेगा और यदि कोई इस भविष्यवाणी की किताब में से कुछ घटाये तो उसका भाग्य जीवन की किताब में से पवित्र नगर में से और जो भी आशिष इस किताब में है, ले लिया जायेगा।GCH .0
क्या इस कथन के बाद यूहन्ना के मरने पर कोई नबी ईश्वर की ओर से नहीं उठा ? यदि ऐसा ही है तो क्यों यीशु ने हमें चेतावनी दी है कि झूठे नबियों से चौकस रहो। क्यों यूहन्ना ने पवित्र आत्मा में हो कर कहा कि आत्माओं को परखो ? यूहन्ना ने पवित्र आत्मा में हो कर कहा कि आत्माओं को परखो ? यूहन्ना के बाद जितने नबी आये उनको हम परखने के लिए लापरवाह होते तो हमारे लिये यह क्या सहज नहीं था, कि कौन सच्चा है और कौन झूठा, पर ईश्वर की योजना ऐसी नहीं थी। जब हमें नई सच्चाई की जरूरत पड़ी तो अपनी इच्छा को जानवाने के लिये हमें दी ताकि सच्चा दिलवाला परख कर देखे कि यह सच है कि नहीं। यदि सच है तो खुशी से ग्रहण कर उसको माने। जी हाँ, शैतान को भी यह मौका मिला है कि लोगों को ठगे। यदि उसे मौका न दिया जाए तो वह ईश्वर को अन्यायी ठहरायेगा।GCH .0
पवित्रात्मा से प्रेरित होकर पौलुस ने कुछ विशेष बातों और छोड़े गए प्रश्नों को पूछा जो पहिला कुरिन्थियों १२ अध्याय में मिलता है। क्या सब प्रेरित हैं ? क्या सब नबी हैं ? क्या सब को विभिन्न भाषाओं को बोलने की क्षमता है, इसके बाद वह कहता है कि इस सम्बन्धी मैं और उत्तम तरीका से बताऊँगा। इस सारे वरदानों को प्राप्त कर यदि मुझमें प्रेम नहीं है तो कोई फायदा नहीं होगा। चौदहवाँ अध्याय में एक कदम आगे बढ़ कर कहता है कि प्रेम करना सीखो और आत्मिक दान पाने की भी इच्छा रखो परन्तु और भी अच्छा होगा कि तुम भविष्यवाणी कर सको “इसलिये भाईयों भविष्यवाणी करने के लिए अधिक इच्छा करो और विभिन्न भाषा बोलने के लिए भी मना मत करो” । आत्मा को मत बुझने दो। भविष्यवाणी करने से तुच्छ न समझो। सब की जाँच करो, जो अच्छा है उसे पकड़े रहो। १ थिस्सलुनी : ७:१९-२१GCH .0
“महान संघर्ष” के दर्शन एलेन ह्वाईट को अमेरिका का ओहियो नगर में १८५८ ई० की बंसत ऋतु के समय मिले । ज्यादातर इन्होंने दर्शन ही में देखे । एग्यारह वर्ष पहले देखी थी पर जब उसे लिखने कहा गया तो शैतान ने बाधा डालने के लिए बहुत जोर लगाया था। कुछ भाग विशेष कर ३० अध्याय १८४७ ई० में ही छापा गया था “छोटा झुंड”, १८५१ ई० में “क्रिश्चियन अनुभव” और १८५४ ई० में परिपूरक छोटी किताब छापी गई। ये सब पवित्रात्मा की प्रेरणा से एक कमजोर महिला के द्वारा लिखी गईं। शैतान ने बाईबिल को जगत से हटा देना चाहा था। इसके बाद जब ऐसा न कर सका तो इस में कई बाईबिल किताबों में गलतियों की भरमार ले आई। शैतान का दूसरा प्रयत्न इस किताब को भी बरबाद करना था। क्योंकि यह ईश्वर की सन्तानों के लिए दूसरी विशेष किताब हैं। पर ईश्वर ने इसकी रक्षा की।GCH .0
आज बहुत लोग हैं जो यह सवाल पूछ रहे हैं कि क्यों हमारी दुनिया में इतनी सारी समस्याएँ आ रही हैं, जैसे लड़ाईयाँ, खून-खराबी, व्यभिचारी और हाँ ईसाइयों के बीच में भी विभिन्न प्रकार के विश्वास करने वाले हैं। इन प्रश्नों के उत्तर तो तब मिलेंगे जब हम इस किताब को पढ़ कर समझने की कोशिष करेंगे। यह “महान संघर्ष” यीशु और शैतान के बीच दुनिया की सृष्टि के आरम्भ ही से चल रहा है।GCH .0
प्रिय पाठको, जब आप बाईबिल के साथ इस को तुलना करते हुए पढ़ेंगे तो ईश्वर आप को समझने का वरदान दे ताकि आप सब को परख कर देखेंगे।GCH .0
नोट : जीवन परिचय, भूमिका और प्रसंग का शब्द लिस्ट, एलेन ह्वाईट के द्वारा हर अध्याय के अन्त में और सर्वप्रथम छापी गई किताब में नहीं लिखे गये हैं।GCH .0