पाठ २९ - एक मजबूत बेदी
-
- -: सम्पादकीय :-
- -: भूमिका :-
- पाठ १ - शैतान का, पाप में गिरना
- पाठ २ - मनुष्य का पतन
- पाठ ३ - उद्धार की योजना
- पाठ ४ - ख्रीस्त-यीशु का पहला आगमन
- पाठ ५ - यीशु की सेवकाई
- पाठ ६ - यीशु का बदला हुआ रूप
- पाठ ७ - ख्रीस्त का पकड़वाया जाना
- पाठ ८ - यीशु का न्याय होता है।
- पाठ ९ - ख्रीस्त का क्रूसघात
- पाठ १० - ख्रीस्त का पुनरुज्जीवन
- पाठ ११ - ख्रीस्त का स्वर्गारोहण
- पाठ १२ - ख्रीस्त के चेले
- पाठ १३ - स्तिफनुस की मृत्यु
- पाठ १४ - साऊल का मन परिवर्तन
- पाठ १५ - यहूदियों ने पौलुस को मार डालने का निर्णय किया
- पाठ १६ - पौलुस यरूशलेम जाता है
- पाठ १७ - महान धर्मपतन
- पाठ १८ - पाप का रहस्य
- पाठ १९ - मृत्यु अनन्त काल तक का दुःखमय जीवन नहीं
- पाठ २० - धर्म सुधार
- पाठ २१ - मण्डली और दुनिया में एकता होती है
- पाठ २२ - विलियम मिल्लर
- पाठ २३ - पहिला दूत के समाचार
- पाठ २४ दूसरा दूत के समाचार
- पाठ २५ - आगमन के आन्दोलन का उदाहरण
- पाठ २६ - दूसरा उदाहरण
- पाठ २७ - पवित्र स्थान
- पाठ २८ - तीसरे दूत के समाचार
- पाठ २९ - एक मजबूत बेदी
- पाठ ३० - प्रेतवाद
- पाठ ३१ - लालच
- पाठ ३२ - डगमगाहट
- पाठ ३३ - बाबुल के पाप
- पाठ ३४ - जोरों की पुकार
- पाठ ३५ - तीसरा दूत के समाचार बन्द हुए
- पाठ ३६ - याकूब की विपत्ति का समय
- पाठ ३७ - सन्तों को छुटकारा मिला
- पाठ ३८ - सन्तों को पुरस्कार मिलता है
- पाठ ३९ - पृथ्वी उजाड़ की दशा में
- पाठ ४० - दूसरा पुनरुत्थान
- पाठ ४१ - दूसरी मृत्यु
Search Results
- Results
- Related
- Featured
- Weighted Relevancy
- Content Sequence
- Relevancy
- Earliest First
- Latest First
- Exact Match First, Root Words Second
- Exact word match
- Root word match
- EGW Collections
- All collections
- Lifetime Works (1845-1917)
- Compilations (1918-present)
- Adventist Pioneer Library
- My Bible
- Dictionary
- Reference
- Short
- Long
- Paragraph
No results.
EGW Extras
Directory
पाठ २९ - एक मजबूत बेदी
मैंने एक मजबूत संगठित दल को देखा जो विश्वास में दृढ़ थे। वे उनको नजदीक आने नहीं दे रहे थे जो विश्वास में अस्थिर होकर डगमगा रहे थे। ईश्वर ने इनके विश्वास को ग्रहण किया था। मुझे तीन कदम दिखाये गए - पहिला, दूसरा और तीसरा दूत के समाचार थे। दूत ने कहा - हाय! उस व्यक्ति को जो इस संवाद को रोके या उसको बिगाड़े। इस संवाद को सच्चे रूप से समझने का अर्थ ही प्रमुख है। मनुष्य का अन्तिम लक्ष्य उस पर निर्भर करता है जिस प्रकार से वह संवाद पाता है। मैं इस संवाद के द्वारा नीचे उतारा गया और देखा कि लोगों में अपना अनुभव कितना दाम देकर खरीदा था। बहुत दुःख और संघर्ष उठा कर उन्हें प्राप्त हुआ था। धीरे-धीरे ईश्वर ने उन्हें आगे अगुवाई कर एक ठोस मजबूत चबूतरा (बेदी) पर ला कर खड़ा किया। मैंने फिर देखा कि लोग वहाँ पहुँचे और चबूतरा पर चढ़ने के पहले उसकी नींव की जाँच की। कुछ लोगों ने तो बड़ी खुशी से मंच पर प्रवेश किया। दूसरों ने उसकी नींव की आलोचना कर इसमें कुछ गलती दिखाई। उन्होंने चाहा की इस में सुधार हो ताकि दूसरे लोग भी आवें और खुश हों। कुछ लोग तो तर्क की, इसकी जाँच की और इसमें गलती दिखा कर इसकी नींव जो डाली गई है उसे गलत कहा। मैंने देखा कि करीब सभी लोग जो चबूतरा में मजबूती से खड़े थे, मिलकर वो इसकी शिकायत कर रहे थे, उन्हें चेतावनी दी। उन्होंने इसे ईश्वर का अद्भुत काम कह कर स्वीकार किया जिसने उन्हें मजबूत चबूतरा (सच्चाई की नींव) पर ला खड़ा किया है। सब अपनी आँखें स्वर्ग की ओर उठा कर एक स्वर से ईश्वर की महिमा के गीत गाये। इसका प्रभाव उनलोगों पर पड़ा जिन्होंने शिकायत कर चबूतरा छोड़ा था। वे फिर आकर ऊपर उठे।GCH 139.1
मुझे यीशु के पहला आगमन की पुकार की ओर दिखाया गया। यूहन्ना बपतिस्मा देनेहारा को एलिया नबी की आत्मा और शक्ति से यीशु के आने की तैयारी करने भेजा गया था। जिन लोगों ने यूहन्ना की गवाही को ग्रहण नहीं किया था वे लोग यीशु की शिक्षा का भी कोई फायदा नहीं उठा सके। यीशु को मसीह कह कर स्वीकार की पुकार का विरोध करने में उन्हें बहुत कठिन लगा। यूहन्ना का संवाद को इनकार करने से शैतान ने उन्हें और भी दूर भटका दिया, जिससे वे उसको क्रूस पर चढ़ाने से भी नहीं हिचके या रूके। ऐसा करने के द्वारा वे ऐसी परिस्थिति में पड़े जिससे पेन्तीकोष्ट के दिन उन्हें पवित्रात्मा नहीं मिला और उसकी आशिष से भी वंचित रह गए तथा स्वर्ग का पवित्र स्थान के विषय भी शिक्षा नहीं मिली। मन्दिर का परदा ऊपर से नीचे तक फट कर दो भागों में विभक्त हो जाने का अर्थ था कि अब यहूदियों की बिलदान करने की विधि को ईश्वर ग्रहण नहीं करेगा। महान बलिदान चढ़ाया गया और उसे ग्रहण भी किया। पेन्तीकोष्ट के दिन चेलों पर पवित्रात्मा उतर कर उनके मनों को पृथ्वी का महापवित्र स्थान से स्वर्ग का महापवित्र स्थान की ओर अगुवाई कर ले गया। यीशु अपना लोहू लेकर उसमें घुस गया और अपना बहाया हुआ लोहू से चेलों को अभिषिक्त कर उनका प्रायश्चित का काम किया। यहूदी लोग अब पूर्ण धोखा और अंधकार में पड़ गए हैं। उद्धार के लिये जो उन्हें ज्योति मिलनी चाहिए उसे उन्होंने खो दी है। अब तक वे अपना मेम्ने का बलिदान चढ़ा कर व्यर्थ की विधि पर विश्वास कर रहे थे। पवित्र स्थान में यीशु की विचवाई से उन्हें कुछ लाभ नहीं मिलेगा। स्वर्ग का पवित्र स्थान की विधि को पृथ्वी पर का पवित्र स्थान में पूरा किया जाता था। अभी स्वर्ग का पवित्र स्थान के विषय उन्हें कुछ ज्ञान नहीं था।GCH 140.1
यहूदियों ने यीशु को इन्कार कर उसे क्रूस पर चढ़ाया इसे बहुत लोग भयानक दृष्टि से देखते हैं। जब वे यीशु का तिरस्कृत कहानी को पढ़ते हैं तो वे सोचते हैं कि खीस्त को वे प्रेम करते हैं और पतरस जैसा इनकार नहीं किये हैं और न उसे यहूदियों की तरह क्रूस पर चढ़ाये हैं। परन्तु ईश्वर ने उसके पुत्र पर जो उनके द्वारा सहानुभूति प्रकट की गई है उसे देखा है और साबित भी किया है कि उसे प्यार करने का कैसा स्वांग या ढोंग रचा गया है।GCH 141.1
सुसमाचार को ग्रहण करने वालों के प्रति सारा स्वर्ग ऊपर से बहुत विकल होकर देखता है। बहुत लोग जो यीशु से प्रेम करने का स्वांग रचते हैं और उसके क्रूसघात की कहानी को पढ़ कर आँसू भी बहाते हैं, वे इस संवाद को ग्रहण करने के बदले गुस्सा होते हैं। और यीशु का आने का सुसमाचार का मजाक उड़ाते हैं। वे कहते हैं यह भ्रम है। जो उसके आने की बाट जोहते हैं उनसे शामिल नहीं होते हैं। उन्हें घृणा करते हैं। उनको मंडली में भी शामिल नहीं करते हैं। जिन्होंने पहिला दूत का संवाद को इनकार किया था, उन्हें दूसरा दूत का संवाद से कुछ फायदा नहीं मिला। वे आधी रात की पुकार का संवाद से भी फायदा नहीं उठा सके। इस संवाद को यदि वे ग्रहण करते तो उन्हें यीशु का महापवित्र स्थान की सेवकाई से फायदा होता था। दो दूतों के सुसमाचार को नहीं ग्रहण करने से उन्हें तीसरा दूत के समाचार का भी कोई फायदा नहीं हुआ। क्योंकि यह तो महापवित्र स्थान में सब के लिये प्रायश्चित का काम करता है। मैंने दूसरे नाम धराई मंडलियों को देखा कि इन्होंने भी इस संवाद का क्रूसघात किया याने इनकार किया जैसा यहूदियों ने यीशु को क्रूसघात किया था। इसलिये यीशु स्वर्ग का महापवित्र स्थान में प्रवेश किया है, उसका इन्हें कुछ ज्ञान नहीं है। इस तरह से वहाँ यीशु जो मध्यस्था (विचवाई) का काम कर रहा है, उसे उनको भी कुछ फायदा होने वाला नहीं है। जैसे यहूदी लोग व्यर्थ अपना बलिदान चढ़ा रहे हैं वैसा ही ये लोग भी पवित्र स्थान का पहिला भाग में व्यर्थ प्रार्थना रूपी बलिदान चढ़ा रहे हैं। यीशु पहिले ही इस स्थान को छोड़ चुका है। शैतान, इन नाम धराई क्रिश्चियनों की दशा को देख कर हँसता है, उन्हें अपने भ्रम का जाल में हँसा चुका है। उन्हें धार्मिक चरित्र पहनने का झूठा आश्वासन देकर अपना बना लिया है। अपनी शक्ति से वह उन्हें आश्चर्य काम कराता और चिन्ह भी दिखलाता है। ये सब झूठा ताज्जुबजनक काम हैं। किसी को यह इस रीति से और किसी को दूसरी रीति से ट्गता है। विभिन्न लोगों को विभिन्न भ्रमक वस्तुओं से ट्गता हैं। किसी एक धोखा को वे डरावना देखते हैं तो दूसरा को ग्रहण कर लेते हैं। किसी को प्रेतवाद (यानी मरा हुआ व्यक्ति से बात कर सकना) से ठ्णता है। किसी के पास वह ज्योति का दूत के समान आ कर ठगता है और अपना प्रभाव चारों ओर फैलाता है। मैंने झूठा धर्मसुधार का काम को चारों ओर फैलते हुए देखा। मंडलियों को जागृति में लायी गई और लोग सोचने लगे कि ईश्वर उनके बीच में अद्भुत रीति से काम कर रहा है जबकि ईश्वर नहीं पर दूसरी आत्मा काम करती है। इसका अन्त हो जायेगा और अन्त में मंडली को पहले से भी बुरी गति में छोड़ दी जायेगी।GCH 141.2
मैंने देखा कि इस एडवेंटिस्ट मंडलियों में भी कुछ लोग नाम के लिये क्रिश्चियन हैं। नामधराई कलीसिया या गिरी हुई मंडली में भी कुछ सच्चे पादरी प्रचारक हैं जिन्हें ईश्वर का क्रोध I रूपी प्याला को उंडेला जाने के पहले बुला लाना है, कदाचित वे इस सच्चाई को ग्रहण कर सकें। शैतान को मालूम है कि तीसरा दूत का संवाद जोर से पुकारे जाने के पहले इनमें ६ रार्मिक उत्तेजना या जागरण उत्पन्न कर उन्हें जिन्होंने पहले सच्चाई को त्याग दिया था, उनके मन में भ्रम डालेगा कि ईश्वर हमारे साथ है। वह सच्चे भक्तों को ठगने की आशा करता है। उन्हें अगुवाई करेगा और सोचवायेगा कि ईश्वर उनके साथ मंडली में काम कर रहा है। परन्तु उसका यह धोखेबाज काम अधिक देर तक ठहर न सकेगा। सच्चाई की ज्योति बहुत तेज चमकेगी और जो लोग ईश्वर की सच्चाई की खोज में या सच्ची मंडली की खोज में हैं वे उन गिरी हुई, पतित मंडली से निकल कर शेष मंडली में या एडवेंटिस्ट मंडली में शामिल होंगे।GCH 143.1
________________________________________
आधारित वचन प्रकाशित वाक्य २२:१६-२१GCH 143.2