Loading...
Larger font
Smaller font
Copy
Print
Contents
महान संघर्ष - Contents
  • Results
  • Related
  • Featured
No results found for: "".
  • Weighted Relevancy
  • Content Sequence
  • Relevancy
  • Earliest First
  • Latest First
    Larger font
    Smaller font
    Copy
    Print
    Contents

    पाठ २ - मनुष्य का पतन

    एलेन जी ह्वाईट कहती है - ‘मैंने पवित्र स्वर्ग दूतों को सदा अदनबारी में घुमते देखी। वे आदम और हव्वा को बागन में रहने का मतलब बताते थे। शैतान और बुरे दूतों को स्वर्ग से गिरने का कारण समझाते थे। स्वर्ग दूतों ने उन्हें चेतावनी दे कर समझाया था कि वे बागन में अकेला न घुमें। ऐसा हो सकता था कि शैतान के सम्पर्क में कभी आ जायेंगे। दूतों ने उन्हें उमझाया था कि ईश्वर के निर्देश का ठीक-ठाक पालन करें। सम्पूर्ण रूप से आज्ञा मान कर ही वे सुरक्षित रह सकते हैं। यदि वे ईश्वर के पूर्ण आज्ञाकारी बने रहेंगे तो शैतान उनका कुछ बिगाड़ न सकेगा।GCH 4.1

    शैतान ने हवा के साथ बात कर उसे ईश्वर की आज्ञा नहीं मानने के लिए बहकाया। हवा की पहली गलती अपने पति से भटकने की थी। दूसरी, वर्जित वृक्ष का फल न खाने के आस-पास घूमना, और तीसरी गलती परीक्षा में डालने वाले शैतान की बात सुननी थी। इस के बाद ईश्वर की बातों पर भी संदेह करना था। जिस दिन तुम इसका फल खाओगे निश्चय उस दिन तुम मर जाओगे। उस ने सोचा कि ईश्वर ने जैसा कहा है वैसा नहीं हो सकता है। वह अनाज्ञाकारी बनी। उसने हाथ बढ़ा कर फल तोड़ लिया और खाया भी। यह देखने और खाने दोनों में मनभावन लगता था। यह सोच कर ईष्र्या कर रही थी कि जो फल अच्छा है। उसे खाने से मना कर ईश्वर ने अच्छा नहीं किया है। अपने पति को लालच में डालकर फल भी खाने को दी। जो कुछ साँप ने कहा था उसे भी उसने अपने पति को बताया। शैतान को बोलने की शक्ति मिली है उस पर भी वह आश्चर्य कर रही थी।GCH 4.2

    आदम के चेहरे में जो उदासी थी मैंने उसे देखी। वह भयभीत और विस्मित दिखाई दे रहा था। उस के मन में एक संघर्ष चल रहा था। वह सोच रहा था कि यही वह दुश्मन है जिस के विषय उन्हें चेतावनी दी गई थी। अब उस की धर्मपत्नी मरेगी। वे अलग हो जायेंगे। हव्वा को वह बहुत प्यार करता था। बहुत उदास के साथ अन्त में उसने भी फल को छीन कर खा डाला। इसे देख कर शैतान बहुत खुश हुआ। उसने स्वर्ग में विद्रोह किया था। जो उस के पीछे चलते हैं उन पर वह सहानुभूति दिखा कर उनसे प्रेम करता है। वह गिरा और दूसरों को भी गिराता है। अब उसने स्त्री को ईश्वर की बातों पर सन्देह करवा कर उसकी असीम बुद्धि के विषय और उद्धार की योजना के विषय अविश्वास पैदा किया। शैतान को मालूम था कि स्त्री के साथ उसका पति भी पाप करेगा। आदम अपनी पत्नी के प्रेम-वश में होकर, ईश्वर की आज्ञा नहीं मानकर, पाप में गिरा।GCH 5.1

    मनुष्य के पाप में गिरने की खबर पूरे स्वर्ग में फैल गई। स्वर्गदूतों का वीणा बजाना बन्द हो गया। दूतों ने उदास होकर अपने मुकुट उतार कर फेंक दिए। सारा स्वर्ग में सनसनी फैल गई। इस दम्पत्ति को क्या करना होगा, इसका विचार होने लगा। वे डरने लगे कि कहीं वे जीवन का वृक्ष का फल खाकर अमर पापी तो न बन जाएँ। ईश्वर ने कहा कि उन्हें अदनबारी से निकाल बाहर करना होगा। तुरन्त स्वर्ग दूतों को जीवन का वृक्ष के पास कड़ा पहरा में लगा दिया गया। यह शैतान की ही योजना थी कि आदम और हव्वा ईश्वर की आज्ञा तोड़े। ईश्वर का क्रोध का शिकार बनें । जीवन का वृक्ष का भी फल खायें। अमर पापी बनकर सदा उसकी आज्ञा का उल्लंघन करते रहें । पर पवित्र दूतों को भेज कर उन्हें बागन से निकाला गया। इन दूतों के हाथ में चमकती हुई तलवारें थीं।GCH 5.2

    इस तरह शैतान को, मनुष्य को ठगने में, सफलता मिली। अपने पतन के साथ दूसरों को भी दुःख दिलाया। वह स्वर्ग से बाहर हुआ और ये पारादीश से।GCH 5.3

    ________________________________________
    आधारित बाईबिल अध्याय - उत्पत्ति ३ का पूरा।
    GCH 5.4

    Larger font
    Smaller font
    Copy
    Print
    Contents