Loading...
Larger font
Smaller font
Copy
Print
Contents
महान संघर्ष - Contents
  • Results
  • Related
  • Featured
No results found for: "".
  • Weighted Relevancy
  • Content Sequence
  • Relevancy
  • Earliest First
  • Latest First
    Larger font
    Smaller font
    Copy
    Print
    Contents

    पाठ १५ - यहूदियों ने पौलुस को मार डालने का निर्णय किया

    प्रधान पुरोहित और शासकों ने जब देखा कि पौलुस के अनुभव की कहानी का प्रभाव लोगों पर पड़ने लगा तो वे जलन से उसे मार डालने का विचार किया। उन्होंने देखा कि वह साहस के साथ प्रचार कर बहुत से आश्चर्य कर्म भी कर रहा है और बहुत से लोग सुन कर परम्परा को छोड़ रहे हैं। उन्हें (यहूदियों को) यीशु का हत्यारा ठहराया जा रहा है। उनका क्रोध I भड़क उठा। वे कौंसिल में विचार करने लगे कि उसको क्या करना चाहिए जिससे लोगों के सुनने की उत्तेजना बन्द हो। उन्हें एक ही उपाय सूझा, वह तो था, उसे मार डाला जाय। उनकी इच्छा को ईश्वर जानता था। इसलिये उसने दूतों को उसकी रक्षा करने भेजा ताकि पौलुस यीशु के नाम से दुःख उठाते हुए अपना काम पूरा करे।GCH 67.1

    पौलुस को सूचना दी गई कि लोग उसको मार डालना चाहते हैं। शैतान ने अविश्वासी यहूदियों को चलाया कि जब पौलुस दमिशक नगर से निकलेगा तो उसी समय उसे कत्ल करेंगे, यह सोचकर वे दिन रात नगर के फाटक का पहरा देते थे। परन्तु चेलों ने पौलुस को रात के समय टोकरी में बैठा कर रस्सी के सहारे दीवाल के किनारे से बाहर उतार दिया। उसे कत्ल करने में असफल होने पर वे लज्जित हुए और शैतान का काम विफल हुआ। पौलुस चेलों से मिलने के लिए यरूशेलम गया पर चेले उससे डर रहे थे। वे विश्वास नहीं कर पा रहे थे कि अब यीशु का चेला बना है। दमिशक में यहूदी लोग उसे मार डालने की खोज में थे, इसलिए उसके भाई यरूशेलम में मिलना नहीं चाह रहे थे, परन्तु बरनाबस ने उसे चेलों के पास लाया और बताया कि कैसे उसने यीशु को पाया। इसके बाद वह यीशु के नाम का प्रचार वहाँ बहुत साहस के साथ किया।GCH 67.2

    शैतान पौलुस को मार डालने के लिये यहूदियों को भड़का रहा था तब यीशु ने पौलुस को वहाँ से चले जाने को कहा। जब वह दूसरे नगरों में जाकर प्रचार करने और आश्चर्य कर्म करने लगा तो बहुत से लोग विश्वास कर यीशु के चेले बन गए। पौलुस ने जब एक बहुत वर्षों का लंगड़ा को अच्छा किया तो लोग उसे देवता समझ कर घुटना टेक कर दण्डवत करने लगे तो उसने मना कर कहा कि ऐसा मत करो क्यों कि हम भी एक मनुष्य हैं। तुम्हें तो उस ईश्वर की उपासना करनी है जिसने स्वर्ग-पृथ्वी और समुद्र तथा सब जीव-जन्तुओं को बनाया है। पौलुस ने लोगों के सामने ईश्वर की महिमा की पर उन्हें उसकी झुककर प्रणाम करने से रोक न सका। विश्वास के द्वारा सच्चा ईश्वर का ज्ञान लोगों के मनों में भर कर उसकी उपासना कर उसका आदर करना सिखाया गया। जब पौलुस उनको विश्वास दिला कर यीशु को मानने कहता था तो शैतान दूसरे शहर के यहूदियों को भड़का कर उसके पीछे-पीछे जाकर उसके कामों में बाधा डालने कहा। यहूदियों ने मूर्तिपूजकों को अपनी ओर मिला कर झूठी रिपोर्ट पौलुस के विरूद्ध दी। कुछ देर पहले ये ही लोग पौलुस के अच्छे कामों की बड़ाई कर रहे थे पर अब वे बदल गए और नगर से बाहर लेकर पत्थर से मारने लगे। उसे मरा हुआ समझ कर चले गये। पर कुछ चेले उसके बगल में खड़े होकर विलाप कर रहे थे। इतने में पौलुस उठ बैठा तो चेले बहुत खुश हुए। इसके बाद वे नगर को चले गए।GCH 68.1

    जब पौलुस प्रचार कर रहा था तो एक औरत जिसमें आश्चर्यकर्म करने की आत्मा थी, वह पौलुस के पीछे-पीछे चलकर कह रही थी कि ये ईश्वर के दास हैं, ये हमें उद्धार पाने की राह दिखाते हैं। वह उनके साथ बहुत दिनों तक थी। पौलुस को इस बात की नाराजगी थी क्यों कि उसके चिल्लाने से लोगों का मन सच्चाई की ओर से भटक रहे थे। इस प्रकार शैतान उस स्त्री के द्वारा लोगों को भ्रम में डालने का काम कर चेलों के काम को निस्प्रभाव कर रहा था। पौतुस तंग आ गया। उसने दुष्टात्मा को डाँट कर स्त्री से निकल जाने कहा। दुष्टात्मा निकल गई।GCH 68.2

    चेलों के द्वारा स्त्री से दुष्टात्मा निकाले जाने पर वह अब आश्चर्य का काम न कर यीशु की शिष्या बन गई। इससे मालिक की आमदनी घटी। तो मालिक को शैतान ने उभाड़ा कि झूठा दोष लगा कर उन्हें कैदखाने में डालें । पौलुस और सिलास दोनों को बाजार में पकड़ कर प्रधानों और मजिस्ट्रेटों के पास लाए। उन पर दोष लगाया गया कि ये लोग नगर में गड़बड़ी फैला रहे हैं। जब बड़ी भीड़ उनके विरूद्ध उठी तो मजिस्ट्रेट ने उनके कपड़े फाड़ कर पीटने को कहा। बहुत मार मारने के बाद उन्हें जेल में डाला गया। जेलर को ठीक से देखने का आदेश दिया गया। कड़ा आदेश पाकर उसने उन्हें जेल घर के सब से अन्दर का कमरा में रखा और उनके पाँवों में भी बेड़ियाँ डाल दी। स्वर्गदूत भीतर भी उनके साथ गए। ईश्वर की शक्ति ने यहाँ भी एक आश्चर्यकर्म कर उसकी महिमा बढ़ाई। स्वर्गदूत भीतर जा कर, लोहे का दरवाजा खोलकर, उनके पाँवों की बेड़ियाँ भी खोल कर बाहर निकाल लाये। आधी रात को जब पौलुस और सिलास गीत गा रहे थे तो अचानक भूकम्प हुआ और जेल घर का दरवाजा खुल गया। मैंने देखा कि उनके पाँवों की बेड़ियाँ खुल गईं। रात को जब जेल का मालिक ने देखा कि दरवाजा खुला है और कैदी नहीं है तो बहुत डर गया। वो सोचने लगा कि अब उसे मृत्युदण्ड मिलेगा। वह आत्महत्या करने के लिए तलवार म्यान से निकाल रहा था तो पौलुस चिल्ला कर कहने लगा - ‘अपने को कुछ मत कर, क्योंकि हम यहीं हैं, नहीं भागे हैं।’ ईश्वर की आत्मा ने उसे विश्वास दिलाया। उसने बत्ती बँगा कर देखा कि पौलुस और सिलास वहाँ मौजुद हैं। उनके पाँवों पर गिर कर कहने लगा कि हे! महाशय, बचने के लिये मैं क्या करू ? उन्होंने उसे सलाह दी कि तू यीशु पर विश्वास कर तो तू और तेरा घर के सब लोग बचेंगे। तब जेलर ने अपने घर के सब को जमा किया। पौलुस ने उन्हें वचन सुनाया। जेलर ने उनसे सहानुभूति प्रकट कर उनके घावों में मरहम-पट्टी बाँधी। उन्हें खाना खिलाया। बपतिस्मा लेकर उनके साथ आनन्द मनाया। उसके घर के सब लोग यीशु पर विश्वास करने लगे।GCH 69.1

    ईश्वर की शक्ति का यह गौरवमय कहानी और जेलर और उसके घराने के लोगों का बपतिस्मा लेने की कहानी चारों ओर फैल गई। जब शासकों ने सुना तो ये डर गये। उन्होंने जेलर को कहला भेजा कि उन्हें मुक्त कर दें। पौलुस जेल से चुपचाप जाना पसन्द नहीं कर रहा था। उसने उन पर दोष लगाया कि मैं एक रोमन नागरिक हूँ और बिना दोष का मुझ पर मार पड़ी है यह रोमन नागरिक होने के नाते अनुचित काम हुआ है। अभी मुझे चुपचाप भेजना चाहते हैं, नहीं, ऐसा नहीं होगा। उन्हें खुद आकर हमें जेल से ले जाना होगा। पौलुस और सिलास ईश्वर की महिमा को छिपाना नहीं चाहते थे। जब मजिस्ट्रेट ने सुना कि वे रोमन नागरिक हैं तो वह भी डर गया। वे वहाँ आकर उनसे अर्जी करने लगे कि वे नगर छोड़कर चले जाएँ।GCH 70.1

    ______________________________________
    आधारित वचन प्रेरित क्रिया १३ और १४
    GCH 70.2

    Larger font
    Smaller font
    Copy
    Print
    Contents