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महान संघर्ष - Contents
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    पाठ १६ - पौलुस यरूशलेम जाता है

    यीशु को ग्रहण करने के कुछ दिनों बाद पौलुस यरूशेलम जाकर यीशु और उसके अनुग्रह के विषय प्रचार करने लगा। यीशु का चेला बनने के कारण याजक और पुरोहित लोग उससे गुस्सा हो रहे थे और उसकी जान लेना चाहते थे। यीशु ने उसकी जान बचाने के मतलब से दिखाई देकर कहा कि तू यहाँ से भाग जा क्यों कि वे मुझे यहाँ ग्रहण नहीं करेंगे। पौलस ने यीशु से आग्रह किया कि हे! प्रभु, मैं तो तेरे लोगों को पकड़ कर कैद करता और पीटता भी था। और तेरा मार्तिर दास स्तिफनुस का पत्थरवाह किया जा रहा था तो वहाँ खड़ा होकर उसके वस्त्रों की रखवाली कर रहा था। पौलुस ने सोचा कि यरूशलेम के यहूदी उसका सामना नहीं कर सकेंगे। उन्हें मानना पड़ेगा कि पौलुस की बदलाहट जरूर ईश्वर की ओर से हुई है। पर यीशु ने कहा - ‘तू यहाँ से चला जा, मैं तुझे अन्य जातियों के पास भेजता हूँ।’ यरूशलेम से दूर रह कर पौलुस ने भिन्न-भिन्न स्थानों के लोंगो के लिये अपने अनुभव का शक्तिशाली चिट्टियाँ लिख कर भेजी। किन्तु कुछ लोगों ने इन चिट्टियों का प्रभाव को बिगाड़ने की चेष्टा की। उनको मानना पड़ा कि उसकी चिट्टियाँ प्रभावोत्पादक हैं परन्तु अनुपस्थित रहने के कारण उसका उपदेश का कोई अर्थ नहीं रहता या ग्रहण करने योग्य नहीं ठहरता।GCH 71.1

    मैंने देखा कि पौलुस एक विद्वान था और उसका ज्ञान और अच्छा चरित्र से लोग मोहित हो जाते थे। विद्वान लोग उनसे प्रसन्न होकर उसकी बातों पर विश्वास कर यीशु को ग्रहण करते थे। जब वह राजाओं और बड़ी भीड़ के सामने चतुर वक्तृत्व से पेश आता था तो सब लोग मुग्ध होते थे। पर इससे याजक और प्राचीन लोग तो गुस्सा होते थे। पौलुस तर्कवितर्क की गहराई तक जाकर अपने साथ लोगों को विचारों की उड़ान में आसमान तक उठा ले जाता और ईश्वर का अनुग्रह का अमृत जल पिलाता तथा ख्रीस्त का अद्भुत प्रेम से सराबोर कर देता था। इसके बाद वह सर्वसाधारण की समझ की बोली में समझा कर अपने अनुभव को जोरदार ढंग से पेश करता था। इस प्रकार लोंगो के मन में एक गहरी रूचि उत्पन्न कर यीशु को ग्रहण करने के लिए ललकारता था।GCH 71.2

    प्रभु ने पौलुस को दर्शन देकर कहा कि तुम्हें यरूशलेम जाना है वहाँ तुम्हें मेरे नाम के कारण बाँधेगे और दुःख देंगे। पौलुस यद्यपि बहुत दिनों से कैदी था फिर भी प्रभु उसके द्वारा विशेष काम करवाना चाहता था। पौलुस को कैद करने का अर्थ था सुसमाचार का फैलना। पौलुस, जब एक नगर से दूसरे नगर जा-जा कर अपनी बदलाहट जीवन का अनुभव राजाओं और गवर्नरों को बताता था तो वे यीशु के विषय में जानते थे। हजारों की संख्या में विश्वास कर उसके नाम से आनन्द करते थे। मैंने देखा कि पौलुस की जल-यात्रा से भी बहुत से नाविकों और जहाज के सवारियों को भी यीशु के विषय जानने का मौका मिला। क्योंकि वह बहुत से अद्भुत काम भी करते थे। राजा और गवर्नर लोग उसकी तार्किक बुद्धि को देखकर चकित हो जाते थे। बड़े जोश और पवित्रात्मा की शक्ति पाकर प्रचार करता था और अपना मन-परिर्वतन की अद्भुत घटनाओं का जिक्र करता था। इससे लोगों के मन में यीशु ही ईश्वर का बेटा होने का विश्वास जागता था। कुछ लोग उसकी सुन कर ताज्जुब हो जाते थे। हेरोद ने कह डाला कि तुमने करीब-करीब मुझे मसीही बना लिया। कुछ लोग कहने लगे कि जो सुने हैं। उसके विषय बाद में सोचेगें। शैतान ने इसका लाभ उठाया। बाद में उनके मनों को कठोर कर दिया और वे यीशु को ग्रहण करने से इन्कार कर दिये।GCH 72.1

    मैंने देखा कि पहले तो शैतान ने लोगों की आँख को अंधा कर दिया जिससे वे न देख सकें और दूसरी बात यह कि उन्हें डाह से भटका दिया ताकि उसका काम पर विश्वास न करें। वह चेलों में से एक के मन में प्रवेश कर शत्रुओं के हाथ कर दिया जिससे वे यीशु को क्रूस पर चढ़ावें । यीशु के जी उठने पर उसने यहूदियों को एक झूठ से दूसरा झूठ बोलवाने में सफल हुआ। विशेष कर रोमन सिपाहियों से झूठी गवाही दिलवाया। यीशु का जी उठने का प्रमाण दुगुना हो गया क्योंकि जो उसके साथ जी उठे थे उन्होंने गवाही दी। यीशु अपने चेलों को दिखाई दिया। एक बार पाँच सौ लोगों को भी उनके साथ दिखाई दिया जिन्हें उसने जिलाया था। वे उसकी गवाही दे रहे थे।GCH 73.1

    शैतान ने यहूदियों को यीशु को ईश्वर का बेटा मानने से इन्कार करा कर ईश्वर का विरोध किया और यीशु को क्रूस पर घात कर उनका हाथ लहूलुहान करवा दिया। यीशु को ईश्वर का बेटा होने का जितना भी पक्का प्रमाण क्यो न दिया गया हो पर उन्होंने उसे इन्कार कर हत्या भी कर डाला। उनकी एक ही आशा और भरोसा शैतान जैसा ही है कि वे यीशु के विरूद्ध काम करे। चेलों को सता कर उन्हें घात कर उन्होंने उपद्रव करना शुरू किया। यीशु ख्रीस्त, जिसे उन्होंने क्रूस पर चढ़ाया था उसके विषय बोलने से उनके कानों में जूं तक नहीं रेंगती थी। जैसे स्तिफनुस के साथ हुआ, पवित्रात्मा ने उसके द्वारा यीशु को ईश्वर का पुत्र होने का प्रमाण दिया पर वे सुनने से कान बन्द करते थे जिससे वे उस पर विश्वास न करे। जब स्तिफनुस ईश्वर की महिमा से घिर गया था पर उन्होंने उसे पत्थरवाह कर दिया। शैतान ने यीशु के हत्यारों को अपने हाथ में जकड़ कर रखा था। बुरे काम से शैतान की प्रजा काँप गई। उन्हीं के द्वारा खीस्त के विश्वासियों को तंग कर सताने लगा। उसने यहूदियों के द्वारा अन्य जातियों को यीशु और उसके चेलों के विरूद्ध भड़काया। परन्तु ईश्वर के स्वर्गदूतों को भेज कर चेलों के प्रचार का काम को मजबूत किया। चेलों ने जो देखा और सुना तथा उसकी गवाही देने में डरकर अपनी जाने न्योछावर कर दी।GCH 73.2

    शैतान को यह देखकर खुशी हुई कि यहूदी अब तक उसके जाल में फंसे हुए हैं। वे अभी तक बेकार की उपासना विधि जैसे बलिदान चढ़ाना और परम्परा का नियम मानना, पालन करते हैं। जब यीशु ने क्रूस से चिल्ला कर कहा - ‘पूरा हुआ’ तो मन्दिर का पर्दा फट कर दो भाग हो गया। उसका मतलब यह था कि याजकों और पुरोहितों का बलिदान को मन्दिर पर ग्रहण नहीं किया जायेगा और न परम्परा से दी गई मूसा की विधियों को। पर्दा फट कर दो भाग होने का मतलब यह भी था कि यहूदियों और अन्यजातियों के बीच की खाई नहीं रहेगी। यीशु ने दोनों के लिये अपने प्राण बलिदान कर दिए। दोनों को विश्वास करना होगा कि यीशु ही उनका पाप-बलिदान और जगत का उद्धारकर्ता है।GCH 74.1

    जब यीशु क्रूस पर था, उस वक्त सिपाहियों ने उसका पंजर को बच्छं से बेधा तो खून और पानी बह निकले। खून और पानी दो धाराओं में बहने लगा। खून उनलोगों का पाप को धोने के लिए था जो यीशु पर विश्वास करते हैं और पानी जीवन-जल का प्रतीक था जिसे यीशु अपने विश्वासियों को देगा।GCH 74.2

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    प्रेरित क्रिया २४-२६
    GCH 74.3