पाठ १० - ख्रीस्त का पुनरुज्जीवन
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- -: सम्पादकीय :-
- -: भूमिका :-
- पाठ १ - शैतान का, पाप में गिरना
- पाठ २ - मनुष्य का पतन
- पाठ ३ - उद्धार की योजना
- पाठ ४ - ख्रीस्त-यीशु का पहला आगमन
- पाठ ५ - यीशु की सेवकाई
- पाठ ६ - यीशु का बदला हुआ रूप
- पाठ ७ - ख्रीस्त का पकड़वाया जाना
- पाठ ८ - यीशु का न्याय होता है।
- पाठ ९ - ख्रीस्त का क्रूसघात
- पाठ १० - ख्रीस्त का पुनरुज्जीवन
- पाठ ११ - ख्रीस्त का स्वर्गारोहण
- पाठ १२ - ख्रीस्त के चेले
- पाठ १३ - स्तिफनुस की मृत्यु
- पाठ १४ - साऊल का मन परिवर्तन
- पाठ १५ - यहूदियों ने पौलुस को मार डालने का निर्णय किया
- पाठ १६ - पौलुस यरूशलेम जाता है
- पाठ १७ - महान धर्मपतन
- पाठ १८ - पाप का रहस्य
- पाठ १९ - मृत्यु अनन्त काल तक का दुःखमय जीवन नहीं
- पाठ २० - धर्म सुधार
- पाठ २१ - मण्डली और दुनिया में एकता होती है
- पाठ २२ - विलियम मिल्लर
- पाठ २३ - पहिला दूत के समाचार
- पाठ २४ दूसरा दूत के समाचार
- पाठ २५ - आगमन के आन्दोलन का उदाहरण
- पाठ २६ - दूसरा उदाहरण
- पाठ २७ - पवित्र स्थान
- पाठ २८ - तीसरे दूत के समाचार
- पाठ २९ - एक मजबूत बेदी
- पाठ ३० - प्रेतवाद
- पाठ ३१ - लालच
- पाठ ३२ - डगमगाहट
- पाठ ३३ - बाबुल के पाप
- पाठ ३४ - जोरों की पुकार
- पाठ ३५ - तीसरा दूत के समाचार बन्द हुए
- पाठ ३६ - याकूब की विपत्ति का समय
- पाठ ३७ - सन्तों को छुटकारा मिला
- पाठ ३८ - सन्तों को पुरस्कार मिलता है
- पाठ ३९ - पृथ्वी उजाड़ की दशा में
- पाठ ४० - दूसरा पुनरुत्थान
- पाठ ४१ - दूसरी मृत्यु
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पाठ १० - ख्रीस्त का पुनरुज्जीवन
चेले बहुत उदास के साथ सन्त दिन बिता रहे थे और यीशु इस दिन कब्र में आराम कर रहा था। धीरे-धीरे रात गुजरती जा रही थी। जो दूत कब्र का पहरा दे रहे थे उन्हें मालूम हुआ कि उनका प्रिय कप्तान, ईश्वर का बेटा था, कब्र से उठने का समय निकट आ रहा था। जब वे उसकी विजय की घड़ी का इन्तजार बहुत उत्सुकता से कर रहे थे कि एक स्वर्गदूत बहुत तेजी से उड़ता हुआ स्वर्ग से आया। उसका चेहरा तो बिजली की चमक जैसी थी और वस्त्र तो बर्फ जैसा सफेद था। उसका प्रकाश से अंधकार रास्ता उजला हो गया। बुरे दूत वहाँ अपनी जीत की खुशी में यीशु की लोथ को अपने कब्जे में रखना चाहते थे। वे इस ज्योति को देखकर इर से भाग खडे हुए। एक दूत जिसने यीशु को विनम्र होने की दशा में देखा था, वहीं कब्र की देखभाल कर रहा था और जब यह दूत आया तो दोनों कब्र के पास गए। जैसे ही वे कब्र के पास पहुँचे तो पृथ्वी कांप उठी और एक भंयकर भूकम्प हुआ। मजबूत दूतों ने पत्थर को पकड़ कर उसे किनारे लुढ़का दिया और उस पर बैठ गये।GCH 44.1
पहरेदार लोग बहुत डर गए। यीशु की लोथ की रक्षा करने आये थे पर बेहोश हो गए। अपनी ड्यूटी का ख्याल न कर वे स्वर्ग दूत की तेज रोशनी को देख कर मूर्छित हो कर गिर पड़े। एक दूत ने बड़ा पत्थर को कब्र का दरवाजा से हटा दिया और चिल्ला कर कहा - हे ईश्वर का पुत्र उठ, तुझे तेरा पिता बुला रहा है। मृत्यु अब उसे पकड़ कर न रख सकी। यीशु जी उठ गया। दूसरा स्वर्ग दूत कब्र के अन्दर घुस कर बैठ गया जब कि यीशु जी उठ कर वहाँ से निकल गया। इस दृश्य को स्वर्ग दूत आश्चर्य से देख रहे थे। यीशु कब्र से निकल कर जा रहा था तो दूतों ने उसकी महिमा का गीत स्वागत के रूप में गाया। शैतान ने हार मान ली। स्वर्गदूत की ज्वाला से उसके बुरे दूत पहले ही डर से भाग चुके थे। वे अपने गुरु को शिकायत सुना रहे थे कि हमारा शिकार को जबर्दस्ती छीन लिया गया। जिसे वे घृणा कर रहे थे वह अब जी उठ गया।GCH 44.2
शैतान और उसके बुरे दूत इस बात को लेकर कुछ क्षण खुशी मना रहे थे कि पापियों की जीवन ने उनका प्रिय प्रभु की जान ले ली थी। उसे कब्र का मुंह देखना पड़ा। पर उनका यह झूठा आनन्द थोड़ी देर का था। यीशु पर उनकी विजय मरने तक ही थी। जी उठ कर उसने सब पापियों के लिए मुक्ति का दरवाजा खोल दिया।GCH 45.1
शैतान को कुछ देर के लिये उदास होना पड़ा। उसने एक आम सभा बुला कर अपने दूतों को क्या करना होगा उसे बताया। वे ईश्वर के राज्य के विरूद्ध काम करने को तैयार हुए। शैतान ने उनको मुख्य पुरोहित और प्राचीनों के पास भेजा। शैतान के दूत आकर कहने लगे कि हमने उनको ट्राने में और उनका दिल को कठोर करने में सफलता पाई। उन के विश्वास को भी अंधा कर दिया ताकि वे यीशु के जी उठने पर विश्वास न करें। यदि वे जान जायेंगे कि यीशु जी उठा है तो लोग उन पर यह कह कर हमला करेंगे कि उन्होंने निर्दोष व्यक्ति को मार डाला है।GCH 45.2
जब स्वर्गदूत स्वर्ग चले गए तो रोमन सिपाही उठ कर चारों ओर देखने लगे, ऐसा श्रीमती ई. जी. ह्वाईट ने दर्शन में देखा। उन्होंने आश्चर्य से देखा कि पत्थर हटा दिया गया है। यीशु वहाँ नहीं है। इस खबर को देने के लिये वे प्रधान याचक और प्राचीनों के पास वे दौड़ते-दौड़ते गए। उसके हत्यारों ने यीशु के जी उठने की खबर सुनी तो उनके चेहरे पीले हो कर मुझ गये। वे डर कर कहने लगे कि यदि सिपाहियों की रिपोर्ट सही है तो हम तो मर गए। कुछ देर के लिये तो वे किम्। कर्त्तव्यविमूढ़ हो गये यानी क्या करना और न करना है उसे भूल गये। अन्त में उन्होंने फैसला किया कि सिपाहियों को रूपये देकर इस बात को छिपाये रखने कहेंगे। उन्हें कहलवायेंगे कि हम लोग सो रहे थे उस वक्त उसके चेले चुराकर ले गए। ड्यूटी के समय सोने की बात कहने से तो उन्हें सजा मिलेगी। उस पर याजकों और प्राचीनों ने कहा कि हम रोमन गर्वनर को पैसे देकर बहका देंगे कि यीशु जी नहीं उठा पर उसके चेले चुरा कर भाग गये। जब यीशु क्रूस में अपने प्राण दे दिये तो भूकम्प हुआ, चट्टानें फट कर उड़ने लगीं और सन्तों की कड़ें खुल गयीं। ठीक उसी तरह की घटना यीशु के जी उठने के समय हुई। ये चहेते सन्त, महिमापूर्ण कब्रों से उठे। वे कुछ ही चुने हुए सन्त लोग हैं जो जी उठ कर यीशु के साथ रहे। यीशु के जी उठने को छिपाने के लिए जब याजक और प्राचीन लोग कोशिश कर रहे थे तो ईश्वर ने एक दल को तैयार किया जो उसके जी उठने की गवाही दे।GCH 45.3
जिनको जिलाया गया था उनके विभिन्न डील-डौल थे। मुझे सूचित किया गया कि पृथ्वी के लोग अब अपनी शक्ति, आयु सीमा और डील-डौल में कम होते जा रहे हैं। शैतान इस पृथ्वी पर पाप को लाया और उस का प्रभाव से लोगों में बिमारियाँ आई, अभिशाप आया और मृत्यु आई। जो लोग जिलाये गये थे उनकी तुलना में ये बौने और कमजोर थे। लूत और आब्राहम के दिनों में लोग बड़े डील-डौल के होते थे और अधिक दिन भी जीते थे। पर इसके बाद लोग कमजोर और अल्पायु होते गए। शैतान लोगों को तंग कर कमजोर बनाते जा रहे हैं।GCH 46.1
जो लोग यीशु के साथ जी उठे वे दूसरे लोगों को भी दिखाई दे कर गवाही देने लगे - यीशु का बलिदान सफल हुआ। वह मर कर भी जी उठा। हम भी उसके साथ जी उठेगें । वे यह गवाही देने लगे कि उसकी महान शक्ति (अधिकार) से ही कब्र से बुलाये गए। शैतान और उस के बुरे दूतों के द्वारा प्राचीन और पुरोहितों की झूठी रिपोर्ट के बावजूद भी यीशु का जी उठना नहीं छिपाया जा सका। ये लोग जो यीशु के साथ जी उठे थे उन्होंने गवाही दी तथा यीशु स्वयं लोगों को दिखाई देकर बताया था कि वही यीशु है जो पहले था, मर गया था पर फिर जी उठा। उसने चेलों को धीरज और ढाढ़स दिया।GCH 47.1
जब यह समाचार एक शहर से दूसरा शहर और हर जगह फैलता गया तो यहूदी लोग डरने लगे बौर अपना पुराना घृणा की भावना को चेलों से छिपाने लगे। उनका सिर्फ एक ही मतलब था कि झूठी रिपोर्ट फैले और कुछ लोगों ने इसे विश्वास भी किया। यीशु के जी उठने का पक्का प्रमाण सुनकर पिलातुस भी डर गया। क्योंकि यीशु अपने साथ बहुत लोगों को जिलाया था। यीशु चेलों के बीच शान्ति छोड़ गया। जगत का यश को पाने के कारण अपना जीवन और अधिकार को बचाने के वास्ते उसने यीशु को क्रूसघात करने की अनुमति दी थी। उसको अब पूरा विश्वास हो गया कि वह (यीशु) एक साधारण और निर्दोष व्यक्ति ही नहीं वरण ईश्वर का पुत्र भी था जिसका खून का वह अपराधी था। पिलातुस का जीवन बहुत ही दुःखमय बना। वह वेदना से भर गया और आनन्द और आशा की किरण नहीं दिखाई देने लगी। अन्त में वह कष्टदायक मृत्यु से मरा। हेरोद का मन और भी कठोर हो गया। उसने सुना कि यीशु जी उठा है फिर भी उसके लिए कुछ फर्क नहीं पड़ा। याकूब को कत्ल करवा दिया और पतरस को भी इसी इच्छा से पकड़कर बन्दीगृह में डलवा दिया था।GCH 47.2
ईश्वर चाहता था कि पतरस जल्दी न मरे। उसे प्रभु का काम करना था। इसलिये दूत को भेज कर जेल से छुड़ा लिया।GCH 48.1
हेरोद पर ईश्वर की न्याय छड़ी तुरन्त गिरी। जब वह भीड़ में भड़कीला वस्त्र पहन कर अपनी बड़ाई ईश्वर से बढ़ कर करने लगा तो दूत ने उसके पेट में ऐसा मारा कि वह गिर कर बुरी हालत में मर गया।GCH 48.2
बड़े भोर को जब पवित्र महिलाएँ यीशु की कब्र के पास सुगन्ध तेल से उसके शरीर को लगाने आईं तो उन्होंने देखा कि कब्र का पत्थर हटाया हुआ है। यीशु का शरीर भी वहाँ नहीं था। वे डर कर सोचने लगीं कि दुश्मनों ने यीशु की लोथ को चुरा लिया है। उन्होंने दो स्वर्गदूतों को उज्जवल वस्त्र पहने हुए देखा। उनके आने की बात को समझ कर दूतों ने कहा कि यीशु यहाँ नहीं है वह जी उठ कर गलील को चला गया। आओ कब्र को देख लो। जाकर चेलों को बता दो कि गलील चला गया है। महिलाएँ डर कर घबरा गई। वे तुरन्त चेलों के पास दौड़ कर गईं। वे तो यीशु की मृत्यु पर शोक कर रही थीं। उन्हें शान्ति नहीं मिल रही थीं। जब औरतों से जी उठने की खबर सुनी तो वे भी दौड़ कर कब्र के पास गये। पर सचमुच कब्र में यीशु नहीं था। गाड़ने के समय यीशु को जो मैलोन कपड़ा से लपेटा गया था वह तो मिला पर यीशु नहीं। फिर भी चेले सन्देह करने लगे कि वह कहाँ चला गया और कौन उठा ले गया। मरियम कब्र के आस-पास ही घूम रही थी। वह चिन्तित थी कि कैसे यीशु को देख पायेगी। कुछ भेद पाने की आशा से ही वह उसके आस-पास थी। दूतों ने उसे बता दिया था पर उस पर यकीन नहीं कर पा रही थी। दूतों ने नम्रता से कहा क्यों तुम रोकर विलाप कर रही हों। वह तो जी उठ चुका है, कह कर उन्होंने उसे शान्ति दी।GCH 48.3
जब वह कब्र को छोड़ कर जा रही थी कि यीशु उसके पीछे खड़ा हुआ था। उसने भी उसके दुःख करने का कारण पूछा और किसे खोज रही हो, कहा। “मेरी” तो उसे एक माली समझ रखी थी वह पूछने लगी - ‘हे माली ! बताओ यीशू को कौन ले गया ? या तुमने कहाँ रखा है। मैं तेल मालिश करने आयी हूँ। इस पर यीशु को रहम आया। वह अपने स्वर्गीय आवाज में बोल उठा - ‘मैं यीशु हूँ।’ इस आवाज से वह पहचान गई। वह बहुत खुश होकर उसे आलिंगन करना चाही। पर यीशु ने कहा - अभी मुझे मत छुओं क्योंकि मैं अब तक स्वर्ग का पिता के पास नहीं गया हूँ। यीशु ने कहा जा कर चेलों को बता दो कि मैं स्वर्ग में पिता के पास जा रहा हूँ। यीशु पिता के पास पहुँच कर उसके मुंह से उसके बलिदान और उद्धार कमाने का आशीर्वाद पाया और स्वर्ग और पृथ्वी का अष्टि कार भी उसे दिया गया।GCH 49.1
श्रीमती ह्वाईट दर्शन में देखी कि स्वर्गदूतों का झुंड यीशु को घेरते हुए स्वर्ग राज्य का नया यरूशलेम का फाटक तक स्वागत करने ले गये। वहाँ यीशु पिता और स्वर्गदूतों की महिमा के बीच प्रवेश कर पिता से आशीर्वाद लिया। महिमा से परिपूर्ण होने के बावजूद भी वह धरती के बेचारे चेलों को नहीं भूल सका। वह एक ही दिन के भीतर पृथ्वी पर लौट आया। पिता के पास जा कर अधिकार प्राप्त करने के बाद दूसरों के छूने से अब किसी को मना नहीं किया।GCH 49.2
इस समय में थोमस गैरहाजिर था। चेलों के लाख विश्वास दिलाने पर भी वह जी उठा हुआ यीशु पर विश्वास नहीं कर रहा था। उसने कहा कि जब तक मैं अपनी ऊँगली से यीशु के छेदे हुए पंजर पर न छू लँ, तब तक मैं यकीन नहीं करूँगा। ऐसा बोल कर अपने भाईयों के ऊपर अविश्वास प्रकट करने लगा। यदि सब लोग ऐसा ही माँग करें तो बहुत कम लोगों को ऐसा अवसर मिलेगा। ईश्वर की इच्छा थी कि यह खबर बातों-बातों में फैले, थोमस जैसा सन्देह करने वालों को ईश्वर पसन्द नहीं करता है। जब यीशु दूसरी बार चेलों के बीच में आया तो थोमस भी था उसने उसे बुलाकर कहा - अपनी ऊँगली मेरे पंजर का छेद में डाल कर देखो और विश्वास करो कि मैं यीशु हूँ। क्यों कि दुश्मनों ने मेरे पंजर पर बच्र्छा से छेद किया था। थोमस ने ऐसा ही किया और चिल्ला कर कहा - ‘हे मेरे प्रभु और ईश्वर!’ यीशु ने डाँटते हुए कहा कि - “तूने मुझे देख कर विश्वास किया। धन्य है वह जो सुन कर ही मुझ पर विश्वास करता है।”GCH 50.1
मैंने देखा जिनकी अभिज्ञाता पहिला और दूसरा दूतों के समाचार में है उन के समाचार पर हमें विश्वास कर चलना चाहिए। यीशु का जी उठना को जैसा सुन कर विश्वास करते हैं। चेलों ने बताया कि स्वर्ग के नीचे पृथ्वी के ऊपर यीशु को छोड़ कर कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया है जिससे हम उद्धार पायें। हमें सच्चाई की सब बातों को मानना चाहिए। दूसरा और तीसरा दूतों के समाचार में किसी एक का नहीं मानते हैं तो हमारा उसमें कोई हिस्सा न होगा जिसको प्रभु ने तैयार किया है।GCH 50.2
मैं देख रही थी, जब स्त्रियाँ यीशु के जी उठने के समाचार चारों ओर फैला रही थी तो शैतान भी प्रधानों और याजकों के द्वारा झूठी रिपोर्ट दिलवाने के लिये व्यस्त था। इधर ईश्वर भी मरे हुओं को जिलाकर यीशु के जी उठने की गवाही दिलवा रहा था।GCH 51.1
यीशु चालीस दिनों तक चेलों के साथ रहा और स्वर्ग राज्य के भेदों को समझाता था। उनका विश्वास को मजबूत कर रहा था। उनको आदेश देकर कहा कि जो कुछ तुम लोगों ने मेरे विषय में सुना और देखा उसका साक्षी जगत के सब लोगों को दो ताकि वे मुझ पर विश्वास कर जीवन पाएँ। उन्हें विश्वास दिला कर कहा कि मेरे कारण तुम लोग सताये जाओगे और दुःख उठाओगे, परन्तु जब तुम लोग मेरे वचनों को याद करोगे तो तुम्हें धीरज और शान्ति मिलेगी। उसने कहा कि मैंने शैतान की परीक्षा पर विजय पाई है। दुःख तकलीफों से गुजर कर उसे हराया है। इसलिए मुझ पर उसका अधिकार नहीं है। पर जो मुझ पर विश्वास करेगें उनके ऊपर भारी से भारी परीक्षा लायेगा। उसने आश्वासन दिया कि मेरी तरह विजयी होंगे। जब मेरे वचन के अनुसार चलेंगे तब। यीशु ने अपने चेलों को आश्चर्य कर्म करने का भी अधिकार दिया। दुष्ट लोग कभी-कभी तुम्हारे शरीर पर काबू पायेंगे। लेकिन जब तक तुम्हारे द्वारा इच्छित कामों की पूर्ति नहीं होती स्वर्गदूत आकर छुड़ा लेंगे। जब उनकी गवाही देने का काम खत्म हो जायेगा तो हो सकता है। कि उनका जीवन ले लिया जा सकता है। उसके चेले बहुत उत्तेजित होकर तथा ध्यान से उसका उपदेश सुन रहे थे। इसके बाद उन्हें पूरा यकीन हो गया कि यही जगत का उद्धारकर्ता है। उस की सारी बातें चेलों के मन में घुस गई। पर यह जान कर दुःखित हुए कि उनका गुरु उन्हें छोड़ कर स्वर्ग को जाने वाला है। यीशु ने फिर उन्हें शान्ति देकर कहा कि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जा रहा हूँ। फिर आकर तुम्हें वहाँ ले जाऊँगा। तब सदा तुम लोग मेरे साथ रहोगे। उसने फिर कहा कि मैं वहाँ जाकर तुम्हारे लिये पवित्रात्मा को भेजूंगा। वह आकर तुम्हें शान्ति देगा, सच्चाई को सिखायेगा और जिस रास्ते पर चलना होगा वहाँ तुम लोगों की अगुवाई करेगा। इन वचनों से शान्ति देकर यीशु ने अपना हाथ उठा कर उन्हें आशिष दी।GCH 51.2
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आधारित वचन प्रकाशित वाक्य १४:६-८, ९-१२,
मत्ती २८: लूका २४, यूहना २०:२६-२९॥GCH 52.1