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कुलपिता और भविष्यवक्ता - Contents
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    अध्याय 40—बिलाम

    यह अध्याय गिनती 22-24 पर आधारित है

    बाशान पर विजय प्राप्त करने के पश्चात यरदन को लौटते समय, कनान पर तत्काल आक्रमण की तैयारी में, इज़राइलियों ने यरीहो की तराई के ठीक सामने नदी के किनारे पड़ाव डाला। वे मोआब देश की सीमा पर थे, और आक्रमणकारियों की निकटता ने मोआबी लोगों को भयभीत कर दिया।PPHin 445.1

    मोआब के लोगों को इज़राइल द्वारा छेड़ा नहीं गया था, लेकिन पड़ोसी देशों में होने वाली घटनाओं को उन्होंने चिंताजनक पूर्वाभास से देखा था। एमोरियों पर जिनके सम्मुख वे पीछे हटने को विवश हो गए थे, इब्रियों ने विजय प्राप्त कर ली थी और जो भू-खण्ड एमोरियों ने मोआब से छीना था अब इज़राइल के अधिकार में था। बाशान की सेनाओं ने बादल के स्तम्भ में आवृत उस रहस्यमयी शक्ति के आगे समर्पण कर दिया था, और असुरों के गढ़ो पर इब्रियों ने अधिकार कर लिया था। मोआबियों ने उनपर आक्रमण का जोखिम उठाने दुस्साहस नहीं किया, उनके पक्ष में कार्य करने वाली आलौकिक शक्तियों के सामने हथियारों का प्रयोग व्यर्थ था। लेकिन फिरौन की तरह, उन्होंने परमेश्वर के काम को निष्फल करने के लिये जादू-टोने की शक्ति की सहायता लेने का निश्चय किया। उन्होंने इज़राइल को श्राप देने पर विचार किया।PPHin 445.2

    मोआबवासी और मि्यानियों में धर्म और राष्ट्रीयता के बन्धन के कारण घनिष्ठ सम्बन्ध थे। और मोआब के राजा बालक ने सजातीय लोगों के भय के जागृत किया और इज़राइल के विरूद्ध अपनी युक्तियों में उनका सहयोग इस सन्देश द्वारा प्राप्त किया, ‘अबवह दल हमारे चारों ओर के सब लोगों को ऐसा चट कर जाएगा, जिस तरह बैल खेत की हरी घास को चट कर जाता है।” मेसोपोतामिया निवासी बिलाम, सूचना के अनुसार, अलौकिक शक्तियों का स्वामी था, और उसकी कीर्ति मोआब देश तक पहुँच गई थी। उनकी सहायता के लिये उसे बुलवाने का निर्णय लिया गया। तदानुसार “मोआबी और मिश्यानी पुरनियों’ के सन्देशवाहकों को भेजा गया ताकि वे इज़राइल के विरूद्ध उसकी भविष्यवाणी और सम्मोहन की सेवाओं को प्राप्त कर सके। राजदूत तत्काल ही लम्बी यात्रा पर निकल पड़े जो मेसोपोतामिया के मरूस्थल के पार, पहाड़ो के ऊपर से होकर की जानी थी और बिलाम को ढूंढ कर उन्होंने उसे राजा का यह सन्देश दिया, “सुन, एक दल मिस्र से निकल आया है, और भूमि उनसे ढक गईं है, और अब वे मेरे ही सामने आकर बस गए है, इसलियों आ, और उन लोगों को मेरे निमित्त श्राप दे, क्‍योंकि वे मुझसे अधिक बलवन्त है, तब सम्भव है कि हम उनपर जयवन्त हो, और हम सब इनको अपने देश से मारकर निकाल दे, क्‍योंकि यह में जानता हूँ कि जिसको तू आशीर्वाद देता है वह अन्य होता हैऔर जिसको तू श्राप देता है, वह श्रापित होता है।’PPHin 445.3

    एक समय था बिलाम एक भला मनुष्य और परमेश्वर का भविष्यद्वक्ता था, लेकिन उसने स्व-धर्म त्याग किया था, और वह लालचीपन का आदी हो गया था, फिर भी वह ‘सर्वोच्च’ का दास होने का दावा करता था। वह इज़राइल के पक्ष में किये गए परमेश्वर के कार्य से अनभिज्ञ नहीं था, और जब सन्देशवाहकों ने अपना सन्देश सुनाया, वह भली-भाँति जानता था कि बालक के उपहारों को अस्वीकार करना और उसके दूतों को विदा करता उसका कर्तव्य था। लेकिन उसने प्रलोभन से मन बहलाने का साहस किया, और यह घोषणा करते हुए कि वह परमेश्वर से परामर्श किये बिना कोई निश्चित उत्तर नहीं दे सकता था, उसने दूतों से रात को वही उसके साथ रूकने का आग्रह किया। बिलाम जानता था कि उसका श्राप इज़राइल को हानि नहीं पहुँचा सकता था। परमेश्वर उनके पक्ष में था, और जब तक वे उसके प्रति निष्ठावान थे, तब तक पृथ्वी या अधोलोक की कोई भी अनिष्टकारी शक्ति उनपर विजयी नहीं हो सकती थी। लेकिन दूतों के इन शब्दों ने उसके घमण्ड को हवा दी, “जिसे तू आशीर्वाद देता है, वह धन्य हो जाता है, और जिस तू श्राप देता है, वह श्रापित हो जाता है। भावी प्रतिष्ठा और बहुमूल्य उपहारों ने उसके लालच को उत्तेजित कियाऔर उसने लालच में प्रदत्त खजाने को ग्रहण कर लिया, और फिर परमेश्वर की इच्छा के प्रति सम्पूर्ण आज्ञाकारिता का दावा करते हुए, उसने बालाक की अभिलाषाओं के साथ समझौता करने का प्रयत्न किया।PPHin 446.1

    रात्रि के समय परमेश्वर का स्वर्गदूतत बिलाम के पास यह सन्देश लेकर आया, “तू इनके संग मत जा, उन लोगों को श्राप मत दे, क्योंकि वे आशीष के भागी हो चुके है।PPHin 446.2

    प्रातः काल बिलाम ने हिचकिचाते हुए दूतों को विदा किया लेकिन उन्हें नहीं बताया कि परमेश्वर ने उससे क्‍या कहा था। लाभ और सम्मान की परिकल्पना का खंडन हो जाने से कोधित वह चिड़चिड़ा कर बोला, “तुम अपने देश को चले जाओ, क्‍योंकि यहोवा मुझे तुम्हारे साथ जाने की आज्ञा नहीं देता।’PPHin 446.3

    2 पतरस 2:15 में लिखा है, बिलाम ने “अधर्म की मजदूरी को प्रिय जाना ।” लालच के पाप ने, जिसे परमेश्वर मूर्तिपूजा के तुल्य ठहराता है, उसे अवसरवादी बना दिया, और इस एक अवगुण के माध्यम से शैतान ने उसको पूर्णतया अपने नियन्त्रण में कर लिया। इसी के कारण वह विनाश को प्राप्त हुआ। प्रलोभन देने वाला मनुष्य को परमेश्वर की सेवा करने से रोकने के लिये सांसारिक लाभ और सम्मान का लालच देता है। वह उन्हें कहता है कि उनकी अत्याधिक अंतर्विवेकशीलताउन्हें समृद्धि से वंचित रखती है। इस प्रकार बहुत से लोग विशुद्ध सत्यनिष्ठा के मार्ग को छोड़ देने का दुस्‍स्साहस करने के लिये प्रेरित हो जाते है। एक गलत कदम दूसरे को आसान बना देता है, और वे ढीठ होते जाते है। एक बार स्वयं को अधिकार की अभिलाषा और लालच के नियन्त्रण के प्रति समर्पित कर देने के पश्चात वे बुरे से बुरे कार्य करने लगते है। कई स्वयं को सन्तुष्ट करने का प्रयत्न करते है कि किसी सांसारिक लाभ के कारण वे सत्यनिष्ठा को कुछ समय के लिये त्याग सकते है, और लक्ष्य प्राप्ति के पश्चात, जब भी वे चाहे अपना रास्ता बदल सकते हैं। ऐसे लोग स्वयं को शैतान के जाल में उलझा रहे हैं और उनका बच कर निकल आना शायद ही कभी होता है।PPHin 447.1

    जब दूतों ने भविष्यद्क्ता के उनके साथ आने की अस्वीकृति की सूचना बालाक को दी, उन्होंने यह नहीं बताया कि परमेश्वर ने उसे मना किया था। इस विचार से कि बिलाम का विलम्ब मात्र अधिक उपहारों की प्राप्ति के लिये था, राजा ने और हाकिम भेजे जो पहले भेजे गए हाकिमों से अधिक प्रतिष्ठित और गिनती में भी अधिक थे। उसने बिलाम को और उच्च सम्मानों का आश्वासन दिया और इन हाकिमों को बिलाम की किसी भी शर्त को मान लेने का अधिकार दिया। भविष्यद्वक्ता के लिये बालाक का यह सन्देश था, “”मेरे पास आने से किसी कारण मना मत कर, क्‍योंकि मैं निश्चय तेरी बड़ी प्रतिष्ठा करूंगा, औरजो कुछ तू मुझ से कहे वहीं मैं करूंगा, इसलिये आ, और उन लोगों को मेरे निमित्त श्राप दे।PPHin 447.2

    बिलाम को दूसरी बार परखा गया। दूतों की सानुरोध यातना के उत्तर में उसने अधिक सत्यनिष्ठा और अंतर्विवेकशीलता का दावा किया, और उन्हें विश्वास दिलाया कि सोने और चांदी की कितनी भी मात्रा उसे परमेश्वर की इच्छा के विपरीत जाने को प्रेरित नहीं कर सकती। लेकिन राजा के निवेदन को स्वीकार करने की उसकी तीव्र इच्छा थी, और यद्यपि परमेश्वर की इच्छा उसे निश्चित रूप से ज्ञात करा दी गईं थी, उसने दूतों से रूकने का आग्रह किया, ताकि वह परमेश्वर से और पूछताछ कर पाएँ, मानों अनन्त परमेश्वर कोई मनुष्य था, जिसे मनाया जा सकता था। PPHin 447.3

    रात्रि के समय प्रभु बिलाम पर प्रकट हुआ और उसने उससे कहा, “यदि वे पुरूष तुझे बुलाने आए है, तो तू उठकर उनके साथ जा, परन्तु जो बात मैं तुझ से कहूँ उसी के अनुसार करना ।” यहां तक परमेश्वर ने बिलाम को अपनी निजी इच्छा का पीछा करने दिया क्‍योंकि वह इसी के लिये कत-संकल्प था। वह परमेश्वर की इच्छा को पूरी करने का इच्छुक नहीं था, वरन्‌ उसने अपना रास्ता स्व्यं चुना, और उसके बाद परमेश्वर की स्वीकृति प्राप्त करने का प्रयत्न किया।PPHin 448.1

    वर्तमान समय में भी हजारों है जो यही रास्ता अपनाते हैं। यदि उनका कर्तव्य उनके झुकाव के साथ सामन्जस्यपूर्णहो तो उन्हें उस कर्तव्य को समझने में कोई कठिनाई नहीं होती। बाईबिल में यह स्पष्ट रूप से उनके सम्मुख रखा गया है या तक और परिस्थितियों के माध्यम से स्पष्टतया सूचित किया गया है। लेकिन यह प्रमाण उनकी कामनाओं और झुकाव के बिल्क॒ल विपरीत है, इसलिये वे प्रायः इन्हें एक तरफ रखकर, अपने कर्तव्य के ज्ञान के लिये परमेश्वर के पास जाने की परिकल्पना करते हैं। दिखावटी अंतर्विवेकशीलता के साथ वे प्रकाश के लिये लम्बी और आग्रहपूर्ण प्रार्थना करते है। लेकिन परमेश्वर के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता। ऐसे व्यक्तियों को वह प्रायः उनकी इच्छाओं के पीछे जाने की और उसका फल भुगतने की अनुमति दे देता है। भजन संहिता 81:11,12में लिखा है, “परन्तु मेरी प्रजा ने मेरी न सुनी, इज़राइल ने मुझे न चाहा। इसलिये मैंने उसको उसके मन के हठ पर छोड़ दिया, कि वह अपनी ही युक्तियों के अनुसार चलें ।” जब कोई एक कर्तव्य को स्पष्ट रूप से देखता है तो उसे उस कर्तव्य का पालन न करने देने की प्रार्थना लेकर परमेश्वर के पास जाने की परिकल्पना नहीं करनी चाहिये। इसके बजाय उसे, दीन होकर और समर्पण की भावना से उस कार्य को करने के लिये ईश्वरीय शक्ति और बुद्धिमत्ता की विनती करनी चाहिये। PPHin 448.2

    मोआबी पतित, मूर्तिपूजक लोग थे, फिर भी उनकोप्राप्त प्रकाश के अनुसार स्वर्ग की दृष्टि में उनका पाप बिलाम के पाप से बड़ा नहीं था। वह परमेश्वर का भविष्यद्वक्ता होने का दावा करता था, जो भी वो कहता था उसे परमेश्वर के अधिकार से कहा गया माना जाता था। इस कारण जैसा वो चाहे वैसा ही बोलने की उसे अनुमति नहीं दी जा सकती थी, वरन उसे परमेश्वर द्वारा दिया गया सन्देश देना था। “जो बात मैं तुझ से कहूँ, उसी के अनुसार करना।” यह पवित्र आदेश था।PPHin 449.1

    यदि प्रात: काल दूत बिलाम को बुलाने के लिये आए, तो बिलाम को उनके साथ जाने की अनुमति प्राप्त हो गई थी। लेकिन बिलाम के विलम्ब के कारण खिनन्‍न, और एक और अस्वीक॒ति की अपेक्षा में, बिना उसके परामर्श के, दूत अपने घरों की ओर यात्रा पर निकल पड़े। अब बालाक के निवेदन को स्वीकार करने का बहाना नहीं बचा था। लेकिन बिलाम ने पुरूस्कार प्राप्त करने का दृढ़ संकल्प किया, और जिस पशु की सवारी का वह अभ्यस्थ था, उसे लेकर वह यात्रा पर निकल पड़ा। उसे डर था कि अभी भी ईश्वरीय अनुमति वापस ली जा सकती थी, वांछित पुरस्कार प्राप्त करने में किसी कारण असफलता के डर से अधीर होकर, वह उत्साहपूर्वक आगे बढ़ता गया।PPHin 449.2

    लेकिन “यहोवा का दूत उसका विरोध करने के लिये मार्ग रोककर खड़ा हो गया।” उस पशु ने पवित्र दूत को देखा, जिसे बिलाम नहीं देख पाया, और वह मुख्य मार्ग को छोड़कर खेत में चली गयी। तब बिलाम ने गदही को निर्दयता से मारा कि वह मार्ग पर फिर से आ जाए, लेकिन फिर, दीवारों के बीच संकीर्ण गली में दूत प्रकट हुआ और उस डरावनी आकृति से बचने के लिये, गदही दीवार से ऐसे सट गईं कि बिलाम का पैर दीवार से दब गया। बिलाम स्वर्गीय हस्तक्षेप से अनजान था, और वह नहीं जानता था कि परमेश्वर उसके मार्ग को अवरूद्ध कर रहा था। वह कोधित हो उठा, और गदही को निर्दयता से पीटते हुए, उसे आगे बढ़ने को विवश किया। PPHin 449.3

    फिर से “यहोवा का दूत आगे बढ़कर एक संकीर्ण स्थान पर खड़ा रहा, जहाँ न तो दाहिनी ओर हटने की जगह थी, और न बाई ओर, “और बेचारी गदही, डर से कॉपते हुए, बिलाम को अपने ऊपर लिये धरती पर बैठ गई। फिर तो बिलाम का कोध भड़क उठा और उसने गदही को पहले से भी अधिक निर्दयता से मारा। परमेश्वर ने अब अपना मुहँ खोला और, “गूंगी गदही केमाध्यम से मनुष्य की बोली बोल” उसने “भविष्यद्यकता के उस पागलपन को रोका ।”-2 पतरस 2:16 ।वह बोली, “मैंने तेरा क्या किया है कि तूने मुझे तीन बार मारा?”अपनी यात्रा में बाधित होने से कोधित, बिलाम ने गदही को ऐसे उत्तर दिया मानों वह एक बुद्धिजीवी प्राणी को संबोधित कर रहा हो- “क्योंकि तूने मेरा मजाक बनाया। यदि मेरे हाथमें तलवार होती तो मैं तुझे अभी मार डालता ।” यहाँ एक पेशेवर जादूगर था, जो एक सम्पूर्ण राष्ट्र को, उनकी शक्ति को निष्प्रभाव करने के लिये, उनको श्रापित करने के रास्ते पर था, जबकि उसमें जिस पशु की वह सवारी कर रहा था, उस पशु को मार डालने की भी योग्यता नहीं थी।PPHin 449.4

    बिलाम की आँखें अब खुली, और उसने परमेश्वर के स्वर्गदूत को हाथ में नंगी तलवार लिये, उसे मार डालने को तैयार खड़े देखा। भयभीत होकर, “वह झुक गया और मुहँ के बल गिरकर उसने दण्डवत किया।” स्वर्गदूत ने उससे कहा, “तूने अपनी गदही को तीन बार क्‍यों मारा? सुन तेरा विरोध करने को मैं ही आया हूँ इसलिये कि तू मेरे सामने उलटी चाल चलता है, और यह गदही मुझे देखकर मेरे सामने से तीन बार हट गई है। यदि वह मेरे सामने से हट न जाती, तो निःसन्देह मैं अब तक तुझे तो मार ही डालता, परन्तु उसे जीवित छोड़ देता बिलाम अपने प्राण के संरक्षण के लिये उस बेचारी गदही का, जिसे उसने इतनी निर्दयता से मारा था, ऋणी था। वह पुरूष, जो परमेश्वर का भविष्यद्वक्ता होने का दावा करता था, जिसने घोषणा की कि उसकी आँखें खुली थी, और उसने ‘सर्वशक्तिमान का दर्शन’ देखा, महत्वाकांक्षा और लोलुपता में इतना अंधा हो गया था कि गदही को दृष्टिगोचर परमेश्वर के दूत को वह पहचान नहीं सका। 2 कुरिन्थियों 4:4 में लिखा है, “और उन अविश्वासियों की बुद्धि इस संसार के ईश्वर ने अंधी करदी है”। कितने हैं जो इसप्रकार अंधेहो जाते है!पवित्र आज्ञा का उल्लंघन करके वे निषिद्ध मार्गों पर जाते है और नहीं जान पाते कि परमेश्वर और उसके स्वर्गवृत उनके विरूद्ध है। बिलाम की तरह वे उनपर कोधित होते हैं जो उनके विनाश को रोकते हैं।”PPHin 450.1

    अपनी गदही के साथ किये गए व्यवहार के द्वारा, बिलाम ने उसे नियन्त्रित करने वाली भावना का प्रमाण दिया था। नीतिवचन में 12:10 में लिखा है, “धर्मी अपने पशु के भी प्राण की सुधि रखता है, परन्तु दुष्टों की दया भी निर्दयता है।” बहुत कम इस बात का एहसास करते है, जैसा कि उन्हें करना चाहिये, कि पशुओं का शोषण या उन्हें उपेक्षा के कारण कष्ट उठाने को छोड़ देना पाप है। उसने, जिसने मनुष्य की सृष्टि की, उसी ने पशुओं को भी बनाया, और भजन संहिता 145:9में लिखा है, “उसकी दया उसकी सारी सृष्टि पर है।” पशुओं को मनुष्य की सेवा के लिये बनाया गया, लेकिन मनुष्य को उससे बलपूर्वक काम लेकर या कठोर व्यवहार द्वारा कष्ट पहुँचाने का कोई अधिकार नहीं है।PPHin 450.2

    मनुष्य के पाप के कारण , “सारी सृष्टि अब तक मिलकर कराहती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है।”-रोमियों 8:22। इस प्रकार दुख और मृत्यु केवलमानव जाति पर ही नहीं, वरन्‌ पशु पर भी आए। इस प्रकार निश्चित रूप से, यह मनुष्य का कर्तव्य है कि वह परमेश्वर की सृष्टि पर उसकी आज्ञा के उल्लंघन द्वारा लाए गए कष्ट के भार को बढ़ाने के बजाय, कम करने का प्रयत्न करे । जो मनुष्य, पशु पर अपना अधिकार समझ कर, उसका शोषण करता है, वह कायर और अत्याचारी शासक है। कष्ट पहुँचाने की प्रवृति, चाहे वह हमारे सहवासियों के प्रति हो या जँगली पशुओं के प्रति हो, शैतानी है। कई लोग इस बात को नहीं समझते कि उनकी निर्दयता कभी ज्ञात नहीं होगी, क्योंकि अबोल व निर्दोष पशु उसे प्रकट नहीं कर सकते। लेकिन, यदि बिलाम की आंखो की तरह, इनकी आँखें भी खुल सकती तो वे परमेश्वर के दूत को स्वर्ग के न्यायालय में उनके विरूद्ध प्रमाणित करने, साक्षी के रूप में देख पाते। एक अभिलेख ऊपर स्वर्ग को जाता है और वह दिन आने को है जब परमेश्वर की सृष्टि का शोषण करने वालों के विरूद्ध दण्डाज्ञा की घोषणा की जाएगी। PPHin 451.1

    जब बिलाम ने परमेश्वर के दूत को देखा वह भयभीत होकर बोला, “मैंने पाप किया है, मैं नहीं जानता था कि तू मेरा सामना करने को मार्ग में खड़ा है, इसलिये अब यदि तुझे बुरा लगता है, तो मैं लौट जाता हूँ।” यहोवा ने उसे अपनी यात्रा पर आगे जाने की अनुमति दी, लेकिन इस समझौते के साथ कि उसके द्वारा बोले जाने वाले शब्द ईश्वरीय प्रभाव से नियन्त्रित होंगे।PPHin 451.2

    परमेश्वर मोआब को प्रमाण देगा कि इब्री स्वर्ग की सुरक्षा में थे और यह उसने प्रभावशाली तरीक से किया भी जब उसने मोआबियों को दिखाया कि परमेश्वर की अनुमति के अभाव में इज़राइलियों को श्राप देने में भी बिलाम कितना असमर्थ था। बिलाम के पहुँचने की सूचना पाकर, मोआब का राजा, उसका स्वागत करने, अपने परिचारकगण के साथ अपने राज्य की सीमा पर गया। बिलाम को मिलने वाले बहुमूल्य उपहारों को ध्यान में रखते हुए, जब उसने बिलाम के विलम्ब पर आश्चर्य प्रकट किया, तो भविष्यद्वक्ता का उत्तर था, “देख, मैं तेरे पास अया तो हूँ, परन्तु अब क्या मैं कुछ कह सकता हूँ? जो बात परमेश्वर मेरे मुहँ में डालेगा वही बात मैं कहूँगा।” बिलाम को इस प्रतिबन्ध का बहुत खेद था, उसे डर था कि उसका उद्देश्य पूरा नहीं हो सकंगा, क्योंकि परमेश्वर की नियन्त्रण की शक्ति उस पर थी।PPHin 451.3

    बड़े आडम्बरपूर्ण प्रदर्शन के साथ, राजा और उसके राज्य के प्रतिष्ठित व्यक्ति बिलाम को ‘बाल के ऊंचे स्थानों’ तक लेकर गए, जहाँ से वह इब्री सेना का सर्वक्षण कर सकता था। उन ऊंची ऊचाईयों पर खड़े भविष्यद्बक्ता को परमेश्वर के चुने हुए लोगों के पड़ाव पर दृष्टि करते हुए देखो! उन्हीं के इतने निकट हो रही घटनाओं के बारे में इज़राइली कितना कम जानते थे। दिन रात परमेश्वर द्वारा की गई सुरक्षा के बारे में कितना सीमित था उनका ज्ञान! कितना धुंधघला है मनुष्य का दृष्टिकोण! कितने पीछे हैं वो, हर युग में, उसकी करूणा और उसके प्रेम को समझने में! यदि वे उनके पक्ष में लगातार प्रयोग की गई परमेश्वर के सामर्थ्य को पहचान सकते, तो क्या उनके हदय उसके प्रेम के प्रति कृतज्ञता से, और उसकी सामर्थ्य और तेजस्विता के विचार पर श्रद्धा से भर नहीं जाते? PPHin 452.1

    बिलाम को इब्रियों की बलि की भेटों का थोड़ा बहुत ज्ञान था, और उसे आशा थी कि उनसे बढ़कर मूल्यवान उपहारों द्वारा वह परमेश्वर की आशीष प्राप्त कर लेगा और अपने पापमय उद्देश्यों की उपलब्धि को निश्चित कर लेगा। इस प्रकार मूर्तिपुजक मोआबियों की भावनाएँ उसके विवेक को नियन्त्रित करने लगी थी। उसकी बुद्धिमता मूर्खता हो गई थी, उसकी आध्यात्मिक दृष्टि धुँधला गईं थी, और शैतान की शक्ति के आगे समर्पण करके वह स्वयं अंधा हो गया था। बिलाम के निर्देश से सात वेदियाँ बनवाई गई, और उसने प्रत्येक वेदी पर बलि की भेंट चढ़ाई। फिर वह परमेश्वर से मिलने एक “उच्च स्थान’ पर गया और उसने परमेश्वर द्वारा प्रकट किया हुआ सब कुछ बालाक को बताने की प्रतिज्ञा की।PPHin 452.2

    अपने हाकिमों और अधिकारियों के साथ मोआबका राजा बलि के पशु के पास खड़े रहे, और भविष्यद्बक्ता के लौटने की प्रतीक्षा में, उत्सुक प्रजा उसके चारों ओर एकत्रित हो गई । आखिरकार वह आया और लोग उन शब्दों के लिये रूके रहे जो घृणित इज़राइलियों के पक्ष में प्रयोग की जाने वाली अद्भुत शक्ति को हमेशा के लिये निष्प्रभाव करने वाले थे। बिलाम ने कहा-PPHin 453.1

    “बालाक ने मुझे आराम से, अर्थात मोआब के राजा ने
    मुझे पूरब के पहाड़ो से बुलावा भेजा,
    ‘आ, मेरे लिये याकूब को श्राप दे!”
    परन्तु जिन्हें परमेश्वर ने श्राप नहीं दिया
    उन्हें में क्या श्राप दूँ। और जिन्हें
    यहोवा ने धमकी नहीं दी, उन्हें
    मैं कैसे धमकी दूँ?
    चट्टानों की चोटी पर से वे मुझे दिखाई पड़ते है,
    पहाड़ियों पर से में उन्हें देखता हूँ,
    वह ऐसी जाति है जो अकेली बसी रहेगी
    और अन्य जातियों से अलग गिनी जाएगी
    याकूब के धूलि के किनके को कौन गिन सकता है?
    या इजराईल की चौथाई की गिनती कौन ले सकता है?
    सौभाग्य, यदि मेरी मृत्यु धर्मियों की सी
    और मेरा अन्त भी उन्हीं के समान हो ।”
    PPHin 453.2

    बिलाम ने इस बात का अँगीकार किया कि वह इज़राइल को श्रापित करने के उद्देश्य से आया था, लेकिन जो शब्द उसने कहे वे उसके ह्दय की भावनाओं के बिल्क॒ल विपरीत थे। उसे आशीर्वचन कहने को विवश किया गया था, जबकि उसका हृदय श्रापों से भरा था।PPHin 453.3

    बिलाम ने इज़राइलियों के पड़ाव पर दृष्टि डाली, और उनकी समृद्धि के प्रमाण को उसने अचरज से देखा। उसे बताया गया था कि वे एक असम्य, अव्यवस्थित समूह है, जो देश में घुमक्कड़ झुण्डों में फैले हुए है, और पड़ौसी देशों के लिये सताहट और भय का कारण है, लेकिन उनका अविर्भाव इसके बिल्कुल विपरीत था। उसने उनकी छावनी का विस्तृत फैलाव और त्रुटिहीन प्रबन्धन देखा, जिसमें अनुशासन और व्यवस्था हर हर चीज में दिखाई दे रहे थे। उसे इज़राइल के प्रति परमेश्वर की कृपा-दृष्टि दिखाई गई और उसके चुने हुए लोगों के तौर पर उसका विशिष्ट चरित्र भी दिखाया गया। उन्हें अन्य जातियों के समस्तर नहीं वरन्‌ उनसे बढ़कर ऊँचा उठना था। “वह ऐसी जाति थी जो अकेली बसी रहेगी, और अन्य जातियों से अलग गिनी जाएगी।” इन शब्दों के बोले जाने के समय इज़राइलियों का कोई स्थायी उपनिवेश नहीं था, और उनका विशेष चरित्र, उनका आचरण और उनके रीति-रिवाज बिलाम से अपरिचित थे। लेकिन इज़राइल केपश्चइतिहास में यह भविष्यवाणी कितने प्रभावशाली ढंग से पूरी हुईं! अपने दास्तव के सभी वर्षा के दौरान, विभिन्‍न देशों में तितर-बितर होने के समय से सभी युगों में, वे एक विशिष्ट जाति रहे हैं। इसी प्रकार परमेश्वर के लोग वास्तविक इज़राइल भले ही सभी देशों में तितर-बितर हैं, और पृथ्वी पर यात्री है, पर उनकी नागरिकता स्वर्ग में है।PPHin 454.1

    विलाम को केवल राष्ट्र के तौर पर इब्री लोगों का इतिहास ही नहीं दिखाया गया, वरन्‌ उसने अन्त समय तक परमेश्वर के वास्तविक इज़राइल की वृद्धि और समृद्धि को देखा। उसने ‘सर्वोच्च’ परमेश्वर से प्रेम करने वाले और उसका भय मानने वालों पर उसकी विशेष कृपा-दृष्टि को देखा। उसने देखा कि जब वे मृत्यु की परछाई की अन्धकारमय घाटी में प्रवेश करते है, परमेश्वर का हाथ उन्हें सहारा देता है। उसने उन्हें कब्र में से अनश्वरता, सम्मान और महिमा का ताज पहने बाहर निकलते हुए देखा। उसने बचाए हुए लोगों को नवीनीकृत पृथ्वी की अनश्ववर महिमा में आनन्दित होते देखा। दृश्य को निहारते हुए वह कहता है, “याकूब की धूलि के किनके को कौन गिन सकता है या इज़राइल की चौथाई की गिनती कौन ले सकता है।” जब उसने प्रत्येक सिर परमहिमा के मुक्‌ट को देखा, प्रत्येक मुखाकृति से हर्ष की अभिव्यक्ति को देखा और पावन प्रसन्‍नता के कभी ना समाप्त होने वाले जीवन की अपेक्षा की, उसने प्रार्थना की, “मेरी मृत्यु धर्मियों की सी और मेरा अन्त भी उन्ही के समान हो।PPHin 454.2

    यदि परमेश्वर द्वारा दिए गए प्रकाश को ग्रहण करना बिलाम के आचरण में होता, तो उसके कहे शब्दों को वह सत्य प्रमाणित करता, वह मोआब के साथ तत्काल ही सारे सम्बन्ध समाप्त कर देता। वह परमेश्वर की दया की परिकल्पना नहीं करता, वरन्‌ गहरे प्रायश्चित के साथ उसके पास लौट आता। लेकिन बिलाम को अधर्म की मजदूरी प्रिय थी और इसी को प्राप्त करने के लिये वह दृढ़ निश्चयी था।PPHin 455.1

    बालक ने आत्मविश्वास के साथ इज़राइल पर श्राप को क्षतिकर अंगमारी की तरह लगने की अपेक्षा की थी, और भविष्यद्वक्ता के उच्चारण पर वह भावुक होकर बोला, “तूने मेरे साथ यह क्या किया? मैंने तुझे अपने शत्रुओं को श्राप देने को बुलवाया था, परन्तु तूने उन्हें आशीष ही आशीष दी है।” बिलाम ने आवश्यकता का आधार बनाने के लिये, दावा किया कि ईश्वरीय शक्ति द्वारा उसके होठो से बलपूर्वक निकाले गए शब्द परमेश्वर की इच्छा के लिये अंतर्विवेकशील श्रद्धा से बोले गए थे। उसने उत्तर दिया, “जो बातयहोवा ने मुझे सिखलाई है, क्‍या मुझे उसी को सावधानी से बोलना नहीं चाहिये।”PPHin 455.2

    बालक अब अपने उद्देश्यों को त्याग नहीं सकता था। उसने निर्णय लिया कि इब्रियों की विशाल छावनी द्वारा प्रस्तुत भव्य स्मरणीय दृश्य ने बिलाम को इतना डरा दिया था कि वह उनके विरूद्ध अपने जादू-टोने का अभ्यास करने का दुस्साहसल न कर सका। राजा ने संकल्प किया कि वह भविष्यद्वकता को किसी ऐसे स्थान पर ले जाएगा जहाँ से सेना का छोटा सा भाग ही दिखाई दे। यदि विलाम को उन्हें पृथक दलों में श्राप देने को मनाया जा सकता तो शीघ्र ही सम्पूर्ण छावनी विनाश को समर्पित हो सकती थी। पिसगा के सिरे पर दूसरा प्रयत्न किया गया। यहाँ भी सात वेदियाँ बनाई गई और पहली वेदी के समान, इसपर भी वैसी ही भेटें रखी गई। राजा और उसके हाकिम बलि के पशु के पास खड़े रहे, और बिलाम परमेश्वर से मिलने गया। भविष्यद्बक्ता को फिर से एक पवित्र सन्देश दिया गया जिसमें परिवर्तन करने की या जिसे रोके रखने का अधिकार उसके पास नहीं था।PPHin 455.3

    जब वह चिंतित, प्रत्याशित समूह के सामने प्रकट हुआ, उससे प्रश्न पूछा गया, “यहोवा ने क्‍या कहा है? पहले की तरह, उसके उत्तर ने राजा और हाकिमों के हृदय को भय से भर दिया।PPHin 455.4

    “ईश्वर मनुष्य नहीं कि झूठ बोले, और न वह आदमी है कि अपनी इच्छा बदले।
    क्या जो कुछ उसने कहा उसे न करे?
    क्या वह वचन देकर उसे पूरा न करे?
    देखो, आशीर्वाद ही देने की आज्ञा मैंने पाई है,
    वह आशीष दे चुका है, और में उसे नहीं पलट सकता।
    उसने याकूब में अनर्थ नहीं पाया
    और न इज़राइल में अन्याय देखा है।
    उसका परमेश्वर यहोवा उसके संग है,
    और उनमें राजा की सी ललकार होती है।
    PPHin 455.5

    इन रहस्यों के उजागर होने से श्रद्धायुक्त भय के साथ बिलाम ने कहा, “निश्चय ही कोई मन्त्र याकूब पर नहीं चल सकता, और इज़राइल के विरूद्ध भविष्यवाणी करना व्यर्थ है।” महान जादूगर ने सम्मोहन की अपनी शक्ति को, मोआबियों के अनुरोध के तदानुसार प्रयोग किया था, लेकिन इसी अवसर के सन्दर्भ में इज़राइल के लिये कहा जाना चाहिये, “ईश्वर ने क्‍या ही विचित्र काम किया हैं।” ईश्वरीय सुरक्षा की छत्र-छाया में, उनपर कोई भी जाति या कोई राज्य, भले ही वह शैतान की सम्पूर्ण शक्ति से सहायताप्राप्त क्यों न हो, विजयी नहीं हो सकेगा। समस्त संसार को उसके लोगों के लिये किए गए चमत्कारी कार्य पर अचम्भा करना चाहिये- कि एक मनुष्य जिसने अपने ही मार्ग पर चलने का दृढ़ संकल्प कर रखा हो, दिव्य शक्ति से इस प्रकार नियन्त्रित हो कि श्रापों के स्थान पर वह उत्कृष्ट और भावुक कविता की भाषामें सबसे प्रिय व अनमोल प्रतिज्ञाओं को उच्चारित करने लगे। और इस समय इजराईल के प्रति परमेश्वर द्वारा प्रकट की गई कृपा-दृष्टि सभी युगों में उसके निष्ठावान और आज्ञाकारी लोगों के लिये उसकी सुरक्षादेय देखभाल का आश्वासन है। जब शैतान परमेश्वर के लोगों को नष्ट करने, धमकाने या गलत प्रतिनिधित्व करने के लिये दुष्ट मनुष्यों को उकसाने का प्रयत्न करे, यही घटना उनकी स्मृति में लाई जाएगी और यह परमेश्वर में उनके विश्वास और उनके साहस को सबल करेगी। PPHin 456.1

    मोआब का राजा, खेदित और हतोत्साहित होकर बोला, “उनको न तो श्राप देना, और न आशीष देना।” अभ्ज्ञी भी उसके हृदय में थोड़ी सी आशा बची हुई थी, और उसने एक और प्रयत्न करने का संकल्प किया। वह बिलाम को पोर पर्वत पर ले गया, जहां एक मन्दिर उनके देवता बाल की पाश्विक आराधना के लिये समर्पित था। यहां भी पहले की तरह उतनी ही वेदियाँ बनाई गई और उतनी ही बलि की भेटें चढ़ाई गई, लेकिन बिलाम इस परमेश्वर की इच्छा जानने अकेला नहीं गया, जैसे कि पहले गया था। उसने जादू-टोने का दिखावा नहीं किया, वरन्‌ वेदी के निकट खड़े रहकर, उसने चारों ओर इज़राइलियों के तम्बुओं पर दृष्टि डाली। फिर से परमेश्वर का आत्मा उस पर उतरा और उसके होठों से ईश्वरीय सन्देश निकला —PPHin 457.1

    हे याकूब तेरे डेरे, और हे इज़राइल तेरे निवासस्थान
    क्या ही मनभावने है
    वो तो घाटियों के समान और नदी के तट की
    वाटिकाओं के समान ऐसे फैले हुए है,
    जैसे कि यहोवा के लगाए हुए अगर के वक्ष
    और जल के निकट के देवदार।
    और उसके घड़ो से जल उमड़ा करेगा
    और उसका बीज बहुत से जलभरे खेतों में पड़ेगा
    और उसका राजा अगाम से भी महान होगा
    और उसका राज्य बढ़ता ही जाएगा ।
    वह दुबका बैठा है, वह सिंह या सिंहानी के
    समान लेट गया, अब उसको कौन छेडे?
    जो कोई तुझे आशीर्वाद दे वह आशीष पाए
    और जो कोई श्राप दे वह श्रापित हो।”
    PPHin 457.2

    परमेश्वर के लोगों की समृद्धि, यहाँ पर, प्रकृति में पाई जाने वाली अत्यन्त सुन्दर आकृतियों के द्वारा दर्शायी गई है। भविष्यद्वक्ता इज़राइल की तुलना प्रचुर पैदावार से ढकी हुई उपजाऊ घाटियों से चिरस्थायी जल के सोतों से तरित प्रफुल्लित वाटिकाओं से, भव्य देवदार और सुगंधित चन्दन वृक्षों से करता है। भव्य देवदार की आकृति बाईबल में पाई जाने वाली सबसे सुन्दर और उचित आकृति है। लेबनान का देवदार पूरब वासियों द्वारा सम्मानीय माना जाता था। वृक्षों की जिस श्रेणी का ये सदस्य है, वह पृथ्वी पर जहाँ कहीं भी मनुष्य गया है, पायी जाती है। उत्त्तर ध्रुवीय क्षेत्र से लेकर ऊष्ण कटिबन्ध तक, भीष्ण गमी में आनन्दमग्न, फिर भी शीत का सामना करते हुए, नदी के किनारे प्रचुरता में लहराते हुए, और सूखी प्यासी बंजर भूमि पर मीनार के समान ऊंचा खड़े हुए वे फलते-फूलते रहते है। अपनी जड़ो को वे पर्वतों की चट्टानों में गहराई तक रोप देते है, और तूफान को चुनौती देते हुए दृढ़ता से खड़े रहते है। शीत के श्वास लेने पर जब अन्य सब नष्ट हो जाता है, इनके पत्ते हरे और ताजे रहते हैं। अन्य सभी वृक्षों से श्रेष्ठतर लेबनान के देवदारअपनी मजबूती, अपनी स्थिरता, अपनी अक्षय ताकत के लिये प्रख्यात है ओर इन्हें उनके प्रतीक के रूप में प्रयोग किया जाता है जिनका “जीवन मसीह के साथ परमेश्वर में छिपा हुआ है ।’- कुलुस्सियों 3:31 भजन संहिता में लिखा है, “धर्मी लोग देवदार के समान बढ़ते रहेंगे।” ईश्वर के हाथ ने देवदार को जँगल के राजा के तौर पर ऊँचा उठाया है। “सनौबर उसकी टहनियों के समान भी नहीं थे, और न अर्मोन वृक्ष उसकी शाखाओं के तुल्य थे”-यहेजकेल 31:8 । परमेश्वर की बारी का कोई भी वृक्ष उसके तुल्य न था। देवदार को बार-बार राजसी गौरव के प्रतीक के रूप में प्रयोग में लाया गया है और पवित्र शास्त्र में धर्मी का प्रतिनिधित्व करने के लिये उसका प्रयोग बताता है कि स्वर्ग किस प्रकार उनका सम्मान करता है जो परमेश्वर की इच्छा को पूरी करते है।PPHin 458.1

    बिलाम नें भविष्यवाणी की कि इज़राइल का राजा अगाग से अधिक शक्तिशाली और महानतम होगा। यह नाम अमालेकियों के राजाओं को दिया गया था, जो उस समय एक शक्तिशाली राष्ट्र थे, लेकिन यदि इज़राइल परमेश्वर के प्रति निष्ठावान रहते तो वे अपने सभी शत्रुओं को वश में कर सकते थे। इज़राइल का राजा परमेश्वर का पुत्र था, और एक दिन पृथ्वी पर उसके सिंहासन को स्थापित होना था, और उसका अधिकार सभी सांसारिक राज्यों से ऊंचा होना था।PPHin 458.2

    भविष्यद्वक्ता की बात सुनकर बालाक निराशा, डर और कोध से अभिभूत हो गया। वह रूष्ट इस कारण था कि जब सब कुछ उसके विरूद्ध नियत था, बिलाम उसे अनुकूल प्रत्युत्तर का कम से कम प्रोत्साहन दे सकता था। उसने भविष्यद्वक्ता के भ्रमकारी मध्यमार्गको घृणा की दृष्टि से देखा। अत्यन्त कोधित होकर उसने कहा, “अब तू अपने स्थान पर भाग जा, मैने तो सोचा था कि तेरी बड़ी प्रतिष्ठा करूँगा, परन्तु अब यहोवा ने तुझे प्रतिष्ठा पाने से रोक रखा है।” उत्तर यह था कि राजा को आगाह कर दिया गया था कि बिलाम वही संदेश दे सकता था जो उसे परमेश्वर द्वारा दिये गए थे। PPHin 459.1

    अपने लोगों के पास लौटने से पहले, बिलाम ने संसार के उद्धारकर्ता और परमेश्वर के शत्रुओं के निर्णायक विनाश की उत्कृष्ट और सुन्दर भविष्यवाणी की, “मैं उसको देखूंगा तो सही, परन्तु अभी नहीं, मै उसको निहारूंगा तो सही, परन्तु समीप होकर नहीं, याकूब में से एक तारा उदय होगा, और इजराईल में से एक राज दण्ड उठेगा, जो मोआब की सीमाओं को चूर कर देगा, और सब दंगा करने वालों को गिरा देगा। ओर उसने केनियों, एमोलेक, एदोम और मोआब के सर्वनाश की भविष्यवाणी करते हुए अपनी बात का समापन किया, और इस प्रकार मोआबी राजा के लिये आशा की कोई किरण नहीं बची।PPHin 459.2

    उन्‍नति और धन की अपेक्षा में निराश, राजा की घृणा का पात्र, और यह जानते हुए कि उसने परमेश्वर को खेदित किया था, बिलाम अपने स्व-चयनित अभियान से लौटा। उसके घर पहुँचने पर परमेश्वर के आत्मा की नियन्त्रणकारी शक्ति ने उसे छोड़ दिया और उसका लालच, जो अभी तक केवल रोक कर रखा गया था, जीत गया। बालक द्वारा प्रस्तावित पारितोषिक को पाने के लिये, बिलाम किसी भी साधन का प्रयोग करने को तैयार था। बिलाम जानता था कि इज़राइलियों की समृद्धि उनकी परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता पर निर्भर थी, और उन्हें छल-कपट से पाप करवाने के अलावा, पराजित करने का और कोई उपाय नहीं था। उसने निर्णय लिया कि इज़राइल को श्रापित ठहराने के लिये वह मोआबियों को अनुसरण किये जाने वाले तरीके का परामर्श देगा और राजा की कृपा-दृष्टि प्राप्त करेगा।PPHin 459.3

    वह तत्काल मोआब देश लौटा और राजा के सम्मुख अपनी योजना प्रस्तुत की। मोआबियों को स्वयं विश्वास था कि जब तक इज़राइली परमेश्वर के वफादार थे, परमेश्वर उनकी ढाल होगा। बिलाम द्वारा प्रस्तावित योजना के अनुसार इज़राइलियों को मूर्तिपूजा के लिये फू्सलाकर परमेश्वर से दूर किया जा सकता था। यदि उन्हें बाल और अशतीरेत की व्यभिचारी उपासना मे व्यस्त किया जाए, तो उनका सर्वशक्तिमान रखवाला उनका शत्रु हो जाएगा और वे उनके पड़ोसी रणक॒शल राष्ट्रों के शिकार हो जाएँगे। यह योजना राजा द्वारा तत्परता से स्वीकार कर ली गई, और बिलाम स्वयं इसके कियान्वन में सहयोग करने के लिये रूका रहा। बिलाम ने अपनी शैतानी युक्ति की सफलता देखी। उसने देखा कि परमेश्वर का प्रकोप उसके लोगों पर पड़ा और उसकी दण्डाज्ञा से हजारों मृत्यु को प्राप्त हुए, लेकिन जिस ईश्वरीय न्याय ने पाप को दण्डित किया, उसी ने प्रलोभन देने वालों को दण्ड से बच निकलने की अनुमति नहीं दी। इज़राइल के मिद्यानियों के विरूद्ध युद्ध में बिलाम मारा गया। उसे अपने अन्त के निकट होने का पूर्वाभास हुआ था जब उसने कहा, “मेरी मृत्यु धर्मियों की सी, और मेरा अन्त भी उन्ही के समान हो!” लेकिन उसने धर्मी के जीवन को जीना नहीं चुना, और उसका अन्त परमेश्वर के शत्रुओं के साथ निर्धारित किया गया।PPHin 460.1

    बिलाम का अन्त यहूदा के अन्त से मिलता जुलता था, और उनके आचरण में भी बहुत समानता थी। इन दोनो व्यक्तियों ने परमेश्वर और धन सम्पत्ति की शुश्रूष को एक करने का प्रयत्न किया और इन्हें कड़ी हार का सामना करना पड़ा। बिलाम ने सच्चे परमेश्वर को स्वीकार किया और उसकी सेवा टहल करने का दावा किया, यहूदा ने यीशु के मसीह होने में विश्वास किया ओर उसे अनुयायियों के साथ मिल गया। लेकिन बिलाम यहोवा की सेवा-टहल को सांसारिक लाभ और सम्मान की उपलब्धि के लिये पैरों का पत्थर बनाना चाहता था, और ऐसा करमेमें असफल होने पर वह लड़खड़ाया, गिरा और टूट गया। यहूदा, मसीह के साथ उसके सम्बन्ध द्वारा उस सांसारिक राज्य में पदोन्‍नते और धन सम्पत्ति सुरक्षित करना चाहता था, जिसे, जैसा कि उसे विश्वास था, मसीह स्थापित करने वाला था। उसकी आशाओं की असफलता उसके धर्मत्याग और विनाश का कारण बनी। बिलाम और यहूदा दोनो को ही बहुत प्रकाश प्राप्त था और उनके पास विशेषाधिकार भी थे, लेकिन एक पाप ने, जिसे वे संजोए हुए थे, उनके सम्पूर्ण चरित्र को विषैला कर दिया और उनके विनाश का कारण बना।PPHin 460.2

    हृदय में किसी भी मसीह-विरोधी लक्षण को बसने की अनुमति देना खतरनाक है। संजोए रखा गया एक पाप, धीरे-धीरे चरित्र का पतन कर देता है, और उसकी सभी शिष्ट क्षमताओं को पापमय अभिलाषाओं के अधीनस्थ कर देता है। अंतरात्मा पर से एक सुरक्षाकर्मी हटाने से, एक बुरी आदत में पड़ने से, कर्तव्य की माँग की एक उपेक्षा आत्मा की सुरक्षा को खंडित कर देती है और शैतान के अन्दर आनेके लिये और हमें पथम्रष्ट करने के लिये द्वार खोल देती है। एकमात्र सुरक्षित मार्ग यही है कि दाऊद की तरह निष्ठावान हृदय से हम प्रतिदिन प्रार्थनाएँ करें। “मेरे पाँव तेरे पथों में स्थिर रहें, फिसले नहीं । - भजन संहिता 17:5 ।PPHin 461.1

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