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कुलपिता और भविष्यवक्ता - Contents
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    अध्याय 69—दाऊद को सिंहासन पर बैठाया जाना

    यह अध्याय 2 शमूएल 2 से 55 पर आधारित है

    शाऊल की मृत्यु हो जाने से दाऊद को प्रवासी बनाने वाले खतरे टल गए। अब उसके लिये स्वदेश लौटने का मार्ग खुला था। जब शाऊल और योनातन के लिये शोक मनाने के दिन समाप्त हो गए, तब “दाऊद ने यहोवा से पूछा, क्‍्यार्म यहूदा प्रदेश के किसी नगर में जाऊं? यहोवा ने उससे कहा, हाँ जा। दाऊद ने फिर पूछा, किस नगर में जाऊं? और उसने कहा, हेब्रोन में।’PPHin 730.1

    हेब्रोन बेशबा से बीस मील उत्तर की ओर और नगर और यरूशलेम के भावी स्थल के बीच आधे रास्ते पर था। इसे आरम्भ में किर्यत्बा कहा जाता था, अरबा का नगर, अनक का पिता अरबा। बाद में इसका नाम माम्रे पड़ा, और यहाँ, “मकपेला की गुफा में” कुलपिताओं के गाढ़े जाने का स्थान था। हेब्रोन कालेब का अधिकत क्षेत्र था और अब यह यहूदा का प्रमुख नगर था। यह फलवन्त देशों और उपजाऊ पहाड़ी देश से घिरी हुई घाटी में स्थित है। फिलिस्तीन के सबसे सुन्दर अंगूर के बाग उसकी सीमाओं पर थे और इसके साथ थे जैतून और अन्य फलों के असंख्य बागान।PPHin 730.2

    दाऊद और उसके साथियों ने परमेश्वर से प्राप्त निदेश का पालन करने के लिये तत्काल तैयारी की। वे छः सौ हथियारबंद पुरूष अपनी पत्नियों और बच्चों सहित व उनके भेड़-बकरियाँ और मवेशी जल्द ही हेब्रोन के मार्ग पर थे। जब कारवाँ ने नगर में प्रवेश किया यहूदा के पुरूष दाऊद का इज़राइल के भावी राजा के रूप में उसका स्वागत करने के लिये प्रतीक्षा कर रहे थे। उसके राज्याभिषेक के लिये तुरन्त प्रबन्धन किया गया। “और वहाँ उन्होंने दाऊद का अभिषेक किया कि वह यहूदा के घराने का राजा हो।” लेकिन अन्य जनजातियों पर उसके अधिकार को बलपूर्वक स्थापित करने का कोई प्रयास नही किया गया।PPHin 730.3

    शाऊल और योनातन के स्मृति के लिये भावपूर्ण सम्मान व्यक्त करना नव--अभिषिकक्‍त सम्राट के सर्वप्रथम क॒त्यों में से एक था। वीरगति को प्राप्त अगुवों के शवों को बचा कर लाने और उन्हें सम्मानपूर्वक मिट्टी देने में याबेश-गिलाद के पुरूषों के साहसी कार्य के बारे में जानकर दाऊद ने याबेश के पास एक राजदूत को इस सन्देश के साथ भेजा, “यहोवा की आशीष तुम पर हो, क्‍योंकि तुम ने अपने प्रभु शाऊल पर यह कृपा करके उसको मिट्टी दी। इसलिये अब यहोवा तुम से कृपा और सच्चाई का बर्ताव करे, और मैं भी तुम्हारी इस भलाई का बदला तुम को दूँगा, क्योंकि तुम ने यह काम किया है।” और उसने यहूदा के सिंहासन पर अपने परिग्रहण की घोषणा की और उन सब की राजनिष्ठा को निमन्त्रण दिया जिन्होंने स्वयं को निष्कपट प्रमाणित किया था।PPHin 730.4

    पलिश्तियों ने दाऊद को राजा बनाने में यहूदा के निर्णय का विरोध नही किया। उन्होंने उसके प्रवास में उसके साथ मित्रता की थी, ताकि वे शाऊल के राज्य को कमजोर और प्रताड़ित कर सकें, और अब उन्हें आशा थी कि दाऊद के प्रति उनकी बीते दिनों में दिखाई गईं दया के कारण उसके राज्य का विस्तार उनके लिये लाभदायक होगा। लेकिन दाऊद का राज्य-काल कठिनाईयों से मुक्त नही था। उसके राज्याभिषेक के साथ ही विद्रोह और षड़यन्त्र का दुख:द इतिहास आरम्भ हुआ। दाऊद किसी देशद्रोही के सिंहासन पर नहीं बैठा था, परमेश्वर ने उसे इज़राइलका राजा होने के लिये चुना था, और अविश्वास या विरोध के लिये कोई भी कारण नहीं रहा था, और यहूदा के लोगों द्वारा उसके आधिपत्य की स्वीकृति के बाद ही अब्नेर के प्रभाव से, शाऊल के पुत्र ईशबोशेत को राजा घोषित कर उसे इज़राइल में एक प्रतिद्वंद्वी सिंहासन पर नियुक्त किया गया।PPHin 731.1

    ईशबोशेत, शाऊल के घराने का एक निर्बल और अयोग्य प्रतिनिधि था, जबकि दाऊद राज्य का दायित्व संभालने के लिये पहले से ही उत्कृष्ट रूप से योग्यता प्राप्त था। अब्नेर, जो ईश्बोशेत को राजसी अधिकार के लिये बढ़ावा देने में मुख्य कार्यकर्ता और इज़राइल में सबसे अधिक प्रतिष्ठित पुरूष था, शाऊल की सेना में प्रधान सेनापति रह चुका था। अब्नेर जानता था कि दाऊद को प्रभु ने इज़राइल के सिंहासन पर नियुक्त किया था लेकिन इतने लम्बे समय से उसका पीछा करने के बाद, वह अब इस बात के लिये सहमत नहीं था कि यिशे का पुत्र उस राज्य का उत्तराधिकारी हो जिस पर शाऊल ने राज किया था।PPHin 731.2

    जिन परिस्थितियों के अधीन अब्नेर को रखा गया, उससे उसके वास्तविक चरित्र का विकास हुआ और पता चला कि वह महत्वाकांक्षी और सिद्धान्तहीन था। शाऊल के साथ उसका घनिष्ठ सम्बन्ध रहा था और वह इज़राइल पर राज करने के लिये परमेश्वर द्वारा चुने गए व्यक्ति का तिरस्कार करने की राजा की भावना से प्रभावित हुआ था। दाऊद के प्रति उसकी घृणा में वृद्धि तब हुई जब छावनी में सोते हुए शाऊल के पास उसका भाला और पानी की सुराही हटा लिये जाने पर दाऊद ने उसे झिड़का था। उसने स्मरण किया कि किस तरह दाऊद ने राजा और इज़राइलियों को सुनाने के लिये ऊंची आवाज में कहा था, “क्या तू साहसी पुरूष नहीं है? इइज़राइल में तेरे तुल्य कोन है? तूने अपने स्वामी राजा को चौकसी क्‍यों नही की?.......जो काम तूने किया है वह अच्छा नहीं है। यहोवा के जीवन की शपथ तू मारे जाने के योग्य है, क्‍योंकि तूने अपने स्वामी यहोवा के अभिषिक्त की चौकसी नहीं की ।” यह फटकार उसकी छाती में सुलग रही थी और उसने प्रतिशोध के उद्देश्य को कार्यान्वित करने का और इज़राइल में विभाजन उत्पन्न करने का दृढ़ संकल्प किया जिससे कि उसकी स्वयं की प्रशंसा हो सके। उसने अपने निजी प्रयोजनों और महत्वाकांक्षाओं को बढ़ावा देने के लिये पूर्व राजसी सत्ता के प्रतिनिधि काउपयोग किया। वह जानता था कि लोग योनातन से प्रेम करते थे। उसे स्मरण किया जाता था, और शाऊल के प्रथम सफल अभियानों का सेना ने भुलाया नहीं था। दृढ़ संकल्प के साथ, यह उपद्रवी अगुवा अपनी योजनाओं को कार्यान्वित करने आगे बड़ा। PPHin 731.3

    यरदन पार महनेम को राजसी निवास के लिये चुना गया, क्योंकि वह आक्रमण को प्रति सबसे अधिक सुरक्षा प्रदान करता था, चाहे वह आक्रमण दाऊद करे या पलिश्ती। यहां ईश्बोशेत का अभिषेक किया गया। उसका राज सर्वप्रथम यरदन के पूर्व की जनजातियों ने स्वीकार किया, और अन्ततः: उसका विस्तार यहूदा को छोड़कर सम्पूर्ण इज़राइल पर हो गया। दो वर्ष तक शाऊल के पुत्र ने अपनी एकान्त राजधानी में अपनी उपाधि का आनंद लिया लेकिन, सम्पूर्ण इज़राइल पर अधिकार फैलाने के लिये उत्सुक, आकमक युद्ध के लिये तैयार हुआ। और “शाऊल के घराने और दाऊद के घराने के मध्य बहुत दिन तक लड़ाई होती रही, परन्तु दाऊद प्रबल होता गया, और शाऊल का घराना निर्बल पड़ता गया।’PPHin 732.1

    अतंत विश्वासघात ने उस सिंहासन को उलट दिया। दुर्बल और अयोग्य ईश्बोशेत से अति कोधित होकर दाऊद के पक्ष में हो गया और उसने इज़राइल की सभी जनजातियों को दाऊद की ओर फिराने का आश्वासन दिया। उसका प्रस्ताव राजा द्वारा स्वीकार किया गया और उसे अपना उद्देश्य पूरा करने के लिये सम्मान के साथ भेजा गया। लेकिन एक प्रख्यात और वीर योद्धा के उत्साहपूर्ण स्वागत ने दाऊद की सेना के सेनापति, योआब की ईईर्ष्षा को जागृत किया। अब्नेर और योआब के बीच कुल-बैर रहा था, क्योंकि यहूदा और इज़राइल के बीच युद्ध के दौरान, अब्नेर ने योआब के भाई असाहेल को मारा था। अब योआब ने, अपने भाई की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिये और एक प्रत्याशित प्रतिद्वंद्धी से छुटकारा पाने क लिये, अवसर देखकर, अब्नेर का रास्ता रोककर उसकी हत्या कर दी। इस विश्वासघाती वार की सूचना पाकर दाऊद ने कहा, “नेर के पुत्र अब्नेर के खून के विषय में अपनी प्रजा समेत यहोवा की दृष्टि में मैं सदैव निर्दोष रहूँगा। वह योआब और उसके पिता के समस्त घराने को लगे।” राज्य की अस्थिर स्थिति, और हत्यारों के पद और अधिकार को देखते हुए, क्‍योंकि योआब के भाई अबीशै ने भी योआब की सहायता की थी, दाऊद अपराध के लिये निष्पक्ष दण्ड नहीं दे सका, लेकिन उसने सार्वजनिक तौर पर इस हत्या के प्रति अपनी घृणा प्रकट की। अब्नेर को सार्वजनिक सम्मान के साथ मिट्टी दी गई । योआब के नेतृत्व में सेना को शोक समारोह में सम्मिलित होना था अर्थात अपने वस्त्र फाड़कर टाट का वस्त्र धारण करना था। मिट्टी देने के दिन राजा ने उपवास रखकर अपने दुख की अभिव्यक्ति की, वह प्रमुख विलापी की तरह स्वयं अथी के पीछे-पीछे चला, और कब्र पर उसने एक शोक गीत गाया जो हत्यारों के लिये एक फटकार था, अब्नेर पर विलाप करते हुए राजा ने कहा, PPHin 732.2

    “क्या उचित था कि अब्नेर मूढ़ के समान मरे?
    न तो तेरे हाथ बांधे गए, और न तेरे पैरों में बेडिया डाली गई।
    जैसे कोई कटिल मनुष्यों से मारा जाए.वैसे ही तू मारा गया।”
    PPHin 733.1

    दाऊद द्वारा, उसका कट्टर शत्रु रहे व्यक्ति को इतनी उदार मान्यता दिए जाने से दाऊद ने समस्त इज़राइल के विश्वास और श्रद्धा को प्राप्त किया। “सब लोगों ने इस पर विचार कियाऔर इन से प्रसन्‍न हुए, वैसे भी जो कुछ राजा करता था उससे सब लोग प्रसन्‍न होते थे। अत: उन सब लोगों ने, वरन्‌ समस्त इज़राइल ने भी, उस दिन जान लिया कि नेर के पुत्र अब्नेर का घात किया जाना राजा की ओर से नहीं था।” अपने विश्वसनीय सलाहकारों और कर्मचारियों की अंतरग मण्डली में राजा ने अपराध की बात कही और अपनी इच्छा के अनुसार हत्यारों को दण्ड देने में उसकी व्यक्तिगत अयोग्यता को मानते हुए, उसने उन्हें परमेश्वर के न्याय के लिये छोड़ दिया, “क्या तुम लोग नहीं जानते कि इज़राइल में आज के दिन एक प्रधान और प्रतापी मनुष्य मरा है? और यद्यपि मैं अभिषिक्त राजा हूँ तौभी आज निर्बल हूँ और वे सरूयाह के पुत्र मुझ से अधिक प्रचंड है। परन्तु यहोवा बुराई करने वाले कोउसकी बुराई के अनुसार ही बदला दे।’ अब्नेर अपने प्रस्तावों और प्रतिनिधित्व में दाऊद के प्रति सत्यनिष्ठ रहा था, लेकिन उसके प्रयोजन नीच और स्वार्थी थे। उसने लगातार परमेश्वर द्वारा नियुक्त राजा का प्रतिरोध किया क्‍योंकि वह स्वयं के लिये सम्मान सुरक्षित करना चाहता था। घृणा, घायल अभिमान, और आवेग के कारण वह उस उद्देश्य को भूल गया जिसके लिये उसने इतने वर्ष प्रयास किया, और दाऊद की सेवा में सम्मान का उच्चतम पद पाने की आशा में वह उसके पक्ष में आया। यदि वह अपने प्रयोजन में सफल हो जाता, उसकी प्रतिभा और महत्वाकांक्षा, उसके व्यापक प्रभाव और उसमेंधार्मिकता के अभाव ने दाऊद के सिंहासन और राष्ट्र की शान्ति और समृद्धि को संकट में डाल दिया होता। PPHin 733.2

    “जब शाऊल के पुत्र ने सुना कि अब्नेर हेब्रोन में मारा गया, तब उसके हाथ ढीले पड़ गए और सब इज़राइली भी घबरा गए।” यह स्पष्ट था कि राज्य को बहुत दिनों तक कायम नहीं रखा जा सकता था। जल्द ही विश्वासघात के एक और कृत्य ने घटती हुईं सत्ता के पतन को सम्पूर्ण किया। ईश्बोशेत को उसके दो कप्तानों ने धोखे से मार दिया, जो यहूदा के राजा का अनुग्रह प्राप्त करने की आशा में, ईश्बोशेत का सिर लेकर उसके पास गए।PPHin 734.1

    वे दाऊद के सम्मुख अपने अपराध की रकक्‍तरंजित साक्षी के साथ प्रस्तुत हुए और बोले, “देख, शाऊल जो तेरा शत्रु और तेरे प्राणों का ग्राहक था, उसके पुत्र ईशबोशेत का यह सिर है, आज के दिन यहोवा ने शाऊल और उसके वंश से मेरे प्रभु राजा का प्रतिशोध लिया है।” लेकिन दाऊद, जिसका सिंहासन स्वयं परमेश्वर ने स्थापित किया था, और जिसे परमेश्वर ने उसके शत्रुओं से बचाया था, धोखे के सहयोग से उसके अधिकार को स्थापित करना नहीं चाहता था। उसने इन हत्यारों को शाऊल की हत्या करने वाले ढींगमारो के विनाश के बारे में बताया। “जब दुष्ट मनुष्यों ने एक निर्दोष मनुष्य को उसी के घर में, वरन्‌ उसकी चारपाईं ही पर घात किया, तो मैं अब अवश्य ही उसके खून का बदला तुम से लूँगा, और तुम्हें धरती पर से नष्ट कर डालूँगा। तब दाऊद ने जवानों को आज्ञा दी और उन्होंने उनको हेब्रोन के पोखरे के पास टॉग दिया। तब ईश्बोशेत के सिर को उठाकर हेब्रोन में अब्नेर की कब्र में गाड़ दिया।PPHin 734.2

    ईश्बोशेत की मृत्यु के पश्चात इज़राइल के प्रतिष्ठित पुरूषों में सामान्य इच्छा थी कि दाऊद को सभी जनजातियों का राजा बनाया जाए।” तब इज़राइल के सब गोत्र दाऊद के पास हेब्रोन में आकर कहने लगे, सुन हम लोग और तू एक ही हाड़ मास है।” फिर उन्होंने कहा, “तुम ही हमारा नेतृत्व करते थे और तुम ही इज़राइल को युद्ध से वापस लाए, और यहोवा ने तुझ से कहा, मेरी प्रजा इज़राइल का चरवाहा, और इज़राइल का प्रधान तू ही होगा। अत: सब इज़राइली पुरनिये हेब्रोन में राजा के पास आए और दाऊद राजा ने उनके साथ हेब्रोन मे यहोवा के सामने वाचा बॉधी” इस प्रकार परमेश्वर की देख-रेख में दाऊद के लिये सिंहासन पर आने का रास्ता खोला गया। सन्तुष्ट करने के लिये उसकी कोई महत्वाकांक्षा नहीं थी, क्योंकि उसने उस सम्मान की अभिलाषा नहीं की थी जहाँ तक उसे लाया गया था।PPHin 734.3

    हारून और लैवियों के आठ हजार से अधिक वंशज दाऊद की सेवा-टहल करते थे। लोगों की भावनाओं में परिवर्तन स्पष्ट और निर्णयात्मक था। कान्ति शान्त और सभ्य थी, उस कार्य के योग्य, जो वे कर रहे थे। लगभग पचास हज़ार जन, जो शाऊल की भूतपूर्व प्रजा थे, हेब्रोन और उसके पड़ोस में एकत्रित हुए। जनसाघारण से पहाड़ और घाटियाँ सजीव हो उठी थी। राज्याभिषेक की घड़ी निर्धारित की गई; वह मनुष्य जिसे शाऊल के दरबार से निष्कासित किया गया, जो अपने प्राण बचाने के लिये पृथ्वी की गुफाओं और पहाड़ो से भाग गया था, उस उत्कृष्ट सम्मान को प्राप्त करने वाला था, जो किसी मनुष्य को दिया जा सकता है। याजक और पुरनिये, अपने पवित्र कार्य-भार के वस्त्र पहन, चमचमाते भाले और शिरस्त्राण धारण किये अफसर और सैनिक, और दूर-दूर से आए परदेशी, चुने हुए राजा के अभिषेक को देखने के लिये खड़े हुए। दाऊद को राजसी वस्त्र पहनाया गया। महायाजक द्वारा उसके सिर पर पवित्र तेल डाला गया, क्‍योंकि शमूएल द्वारा किया गया अभिषेक, राजा के अभिषेक के समय क्‍या होना था, उसका भविष्यसूचक था। समय आ गया था, और दाऊद, पवित्र रीति से परमेश्वर के प्रतिनिधि के रूप में अपने कार्यभार के लिये समर्पित किया गया। उसके हाथ में राजदण्ड दिया गया। उसकी पवित्र सार्वभौमिकता की वाचा लिखी गई और प्रजा ने अपनी स्वामिभक्ति की शपथ ली। उसके सिर पर मुकूट रखा गया और अभिषेक समारोह सम्पन्न हुआ। इज़राइल के पास ईश्वर द्वारा नियुक्त राजा था। वह जिसने प्रभु की बाट जोही थी, उसने परमेश्वर की प्रतिज्ञा को पूरा होते देखा। “और दाऊद की बड़ाई अधिक होती गई, और सेनाओं का परमेश्वर यहोवा उसके साथ रहता था ।”-2 शमूएल 5:10।PPHin 735.1

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