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मसीही सेवकाई - Contents
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    गवाहियाँ

    हम यीशु मसीह के गवाह हैं और हम अपना किमती समय तथा ध्यान सांसारिक रूचियों या अन्य कामों को करने में व्यर्थ नहीं गवाँयेंगे। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 9:53, 54) ChsHin 20.1

    तुम मेरे गवाह हो, प्रभु ने कहा। मैंने तुम्हें बता दिया है, मैं पिता के पास पहुँच गया हूँ और मैंने तुम्हें पिता तक पहुँचने का मार्ग भी बता दिया है, ये सब पहले से तुम्हे पता है कि यहोवा मैं हूँ | कोई अन्य परमेश्वर तुम्हारे बीच में था ही नहीं । अतः प्रारंभ से ही तुम मेरे गवाह हो। मैंने, प्रभु होने के नाते तुम्हें अपनी धार्मिकता में बुलाया है, मैं तुम्हारा हाथ थामें रहूँगा। तुम्हारी रक्षा करूँगा और सभी लोगों के लिये एक वाचा में बाँधंगा। अन्य जातियों के लिये रौशनी ताकि उनकी आँखें खुले और वे देख सकें, कैदियों को पैतान की कैद से छुड़ायें, और उन्हें भी जो कैद से बाहर तो हैं किन्तु अंध कार में बैठे हैं। (द एक्ट ऑफ अपॉसल्स- 10)ChsHin 20.2

    दुनिया भर के लोग झूठे देवी-देवताओं की पूजा करने लगे हैं। उन सभी को उन झूठे देवी-देवताओं की पूजा से हटाकर ऐसी तरफ मोड़ना है जो उन सभी के लिये बेहतर होगा। व सिर्फ मुँह से कह कर नहीं किन्तु वास्तव में सच्चे परमेश्वर की ओर मन से फिरें। परमेश्वर भला है, ये बात उन सभी को बताई जाये। ” तुम मेरे गवाह हो, परमेश्वर ने कहा कि मैं ही यहोवा हूँ।” (क्राइस्ट ऑबजेक्ट लैसन्स.- 299)ChsHin 20.3

    वे सब जो परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करेंगे, उन्हें अपने पष्थ्वी पर के जीवन में प्रभु यीशु को सबसे आगे रखना है। हर एक काम में यीशु का नाम व उसकी अनुवाई होना चाहिए। उससे यह होगा कि वे प्रभु यीशु के समाचार-फैलाने वाले, उसके गवाह ठहराये जायें। उन्हें सीधी व सरल निर्णायक गवाही को सभी बुरे कामों के करने वाले गुनाहगारों को परमेश्वर के मेम्ने की ओर लाना है, जो लोगों के पापों को उठा ले जाता है।” (द टेस्टमनीज ऑफ द चर्च 9:23) ChsHin 20.4

    शिष्यों को यीशु की गवाही देने के लिये निकल जाना था, ताकि जो कुछ उन्होंने उसके बारे में सुना और देखा था, वह लोगों को बता सकें। उनका ये गवाही का काम सबसे महत्वपूर्ण था कि व पहले मसीह के बारे में जाने तब खुद मसीह के करीब लाये जाये। उन्हें मसीही के साथ मिलकर मनुश्यों को बचाने का काम करना था। (द एक्ट ऑफ अपॉसल्स- 19)ChsHin 21.1

    पवित्र गुरू प्रभु यीशु कहता हैं, “केवल मेरी आत्मा ही एक पापी को सिखान के योग्य है। बाहरी प्रयास केवल कुछ समय के लिये लोगों के मन-मस्तिश्क को प्रभावित करते हैं। मैं ही सत्य को उसके आत्मा में डालूँगा और मनुश्य मेरे गवाह हो जायेंगे, वे पूरे जगत में मेरे दावों को मनुश्य के समय, उसके पैसे, उसकी बुद्धि के द्वारा गवाही दे-देकर प्रचार करेंगे। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 7:159)ChsHin 21.2

    उसके भरोसे मंद होने की स्वीकषत हमें स्वर्गीय माध्यमों के द्वारा चुना हुआ साबित करती है, जिससे हम सारे जगत के सामने उसके अद्भुत जीवन की कहानी सुना सकें। उसका अनुग्रह जैसा प्राचीन समय के पवित्र लोगों द्वारा उस समय के लोगों को बताया गया था, ठीक उसी प्रकार हमें भी प्रभु के अनुग्रह के बारे में वर्तमान में लोगों को बताना है, किन्तु इस काम को ज्यादा प्रभावशाली तरीके से करने में यदि हम अपने स्वयं पर हुये अनुग्रह का बखान करेंगे, तो अधिक प्रभाव पड़ेगा। हम सभी परमेश्वर के गवाह हैं, जैसा कि उसकी गवाही देकर हम स्वयं ही यह बताते हैं कि हममें’ एक षक्ति काम करती है जो परमेश्वर की ओर से है। हर एक का व्यक्तिगत जीवन अन्य लोगों से हटकर, अपनी स्वयं की विशेषताएं लिये होता है। अतः अपना अनुभव भी अन्य लोगों से भिन्न होता है। परमेश्वर चाहता है कि उसकी प्रशंसा हमारे द्वारा नित्य उसके आँगनों में पहँचे, जिसमें हमारे अपने षब्द, धन्यवाद, महिमा एवं प्रार्थनाएं हों। ये सभी बेषकिमती स्वीकषतयाँ, प्रभु की अद्भुत प्रशंसा जो उसका अनुग्रह है, के साथ प्रचारक का मसीह के समान आचरण हो तो एक ऐसी बेजोड़ षक्ति सहयोग करती है कि उद्धार पाने वाला व्यक्ति उस षक्ति को नकार ही नहीं सकता। (द डिज़ायर ऑफ ऐजेज़- 347)ChsHin 21.3

    परमेश्वर अपनी इच्छा के बारे में तथा उसकी अद्भुत महिमा अविश्वासी लोगों के जगत में तब तक नहीं दिखला सकता है, जब तक कि उसके गवाह पूरी पष्थ्वी पर न फैले हों और उनके द्वारा उसकी महिमा का प्रचार नहीं हुआ हो। ये उसकी योजना है कि वे जिन्हें उसने इस महान उद्धार में मसीह यीशु के प्रचारक होने व उद्धार पाने में भागीदार बनाया है, वे रौशनी की एक मिसाल के रूप में पूरे संसार के लोगों के लिये एक चिन्ह, जीवित गवाह व प्रेरित सभी के बीच जाने-माने लोग जिनका विश्वास और कार्य इस बात से सिद्ध होता है कि वे आने वाले प्रभु के काफी करीब हैं और वे ये दर्शाते हैं कि उन्होंने पवित्र अनुग्रह परमेश्वर से व्यर्थ में नहीं पाया है। सभी लोगों को चिताने की आवश्यकता है कि वे तैयार रहें - होने वाले न्याय के लिये। (टेस्ट फॉर द चर्च- 2:631, 632)ChsHin 22.1

    प्रभु यीशु के चेलों ने जब उसके पवित्र निश्कलंक जीवन पर मनन किया उसे समझा तब उन्होंने जाना कि मसीही प्रचार के लिये किसी भी प्रकार का परिश्रम कठिन नहीं, किसी भी प्रकार का त्याग— महान नहीं, यदि वे उस निश्कलंक, पवित्र परमेश्वर का बखान, एक दयालु, प्रेमी परमेश्वर की गवाही की जिम्मेदारी, जीवन भर निभाने का प्रण करें। ओ- काष के हम उसके साथ बीते हुये तीन वर्शो को और अधिक रूप से जी पाते, तो और कितनी अलग तरह से व्यवहार करते उनकी यह बड़ी कामना है कि अपने गुरू से फिर से मिलें तो बड़ी उत्सुकता से उसे बता सकेंगे कि वे उससे कितना अधिक प्रेम करते है, चेले सोचते हैं कि वे उसे ये भी बताते कि वे कितने दुखी हुए, जब उनके एक षब्द और एक अविश्वास के काम से जो उन्होंने किया, उससे प्रभु को ठेस पहुंचाई। सिर्फ एक विचार उन्हें सांत्वना देता है कि प्रभु ने उन्हें क्षमा कर दिया और अब उन्होंने ठान लिया कि जहाँ तक संभव हो वे अपने अविश्वास के प्रति पछतायेंगे और बड़ी बहादुरी से प्रभु के नाम की गवाही पूरे जगत में फैलायेंगे। (द एक्ट ऑफ अपॉस्टल- 36)ChsHin 22.2

    दिकापुलिस के इलाके में सर्वप्रथम प्रभु यीशु के द्वारा दो भूतग्रस्त पुरूश, जिन्हें यीशु ने चंगा किया था, मिशनरी के रूप में भेजे गये थे। ताकि वे सुसमाचार का प्रचार कर सकें। केवल कुछ क्षणों के लिये ही इन पुरूशों को मसीह यीशु की शिक्षाओं को सुनने का अवसर प्राप्त हुआ था। इसके पहले प्रभु यीशु के वचन कभी इनके कानों में नहीं पड़े थे। ये शिष्यों के समान लोगों को सुसमाचार प्रचार नहीं कर सकते थे, क्योंकि शिष्य तो प्रभु के साथ सदा रहा करते थे। किन्तु इन भूतग्रस्त पुरूशों ने प्रभु से चंगाई पाई थी और स्वयं जीता-जागता उदाहरण थे, लोगों को यह बताने के लिये कि यीशु ही ‘मसीह’ है। वे बता सकते थे, जो उन्होंने यीशु के बारे में जाना था, जो खुद उन्होंने देखा था, सुना था और महसूस किया था कि वास्तव में प्रभु सामर्थी है। ये काम कोई भी वह मनुश्य कर सकता है, जिसके हृदय को यीशु के अनुग्रह का स्पर्ष हुआ हो।ChsHin 22.3

    यूहन्ना प्रभु का सबसे प्रिय शिष्य, लिखता है, ” वह जो आदि से था, जिसे हमने सुना, जिसे हमने अपनी आँखों से देखा, हमने जिसका भरोसा किया, उसकी ओर ताका और उसने हमारे हाथों को थामा, वह जीवित वचन था, वही है जिसकी हमने देखा व उसके वचनों को सुना, उसी की महिमा का बखान करते हैं। प्रभु के गवाह होने के लिये हमें लोगों को बताना है, जो हम उसके बारे में जानते हैं, हमने स्वयं ने क्या-क्या आश्चर्यकर्म देखे हैं सुने हैं और महसूस किये हैं। यदि हम प्रभु का अनुकरण कदम-कदम पर करते हैं, हमारे पास अवश्य कुछ तो होगा लोगों को कहने या बताने के लिये कि प्रभु ने हमारी किस प्रकार हर बार अगुवाई की। हम ये बता सकते हैं कि हमने उसके वायदों को जांचा और यह पाया कि उसका हर एक वायदा सच्चा है। हम उसकी गवाही यह कह कर दे सकते हैं कि उसका अनुग्रह हमारे लिये काफी हैं। यही वह गवाही है, जिसके लिये यीशु हमें बुलाता है और आज संसार को इसी की जरूरत है, जबकि पूरा जगत नाश होने पर है। (द डिज़ायर ऑफ एजेज- 340)ChsHin 23.1

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