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मसीही सेवकाई - Contents
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    अध्याय — 14
    धार्मिक स्वतंत्रता

    ” एक उचित प्रार्थना ”

    दाऊद ने प्रार्थना की ” हे प्रभु अब तेरे काम करने का समय आ गया है क्योकि उन्होने तेरी आज्ञा का उल्लंघन किया है। “यह प्रार्थना आज के समय के लिये उचित ही है, क्योकि जगत ने परमेश्वर को भुला दिया है। वे उससे दूर चले गये है। और उनकी इस अनाज्ञा कारिता से उनके हष्दय भय से कापना चाहिये। और उन सबको जो महान राजा के प्रति बफादार है वे अपने आप में सुधार लाये । पाप के द्वारा ऐसा विचार किया गया कि यहोवा परमेश्वर के नियम के अनुसार उभारे गये विश्राम दिन (सब्बत)को बदल डाले और विश्व के सारे धर्म झूठे सब्बत को सम्मान देने लगे जबकि परमेश्वर के द्वारा ठहराया दिन अपवित्र लोगों के पैरो तले रौंदा गया ।ChsHin 216.1

    ये परमेश्वर के नियम के अनुसार ही होगा कि जो अंतिम महान संघर्श जो प्रभु यीशु और स्वर्गदूत तथा शैतान और उसकी सेना के साथ होगा। और ये दुनिया के लिये निर्णायक सिद्ध होगा। मनुश्य जो जिम्मेदार पदों पर होगें वे न केवल सब्त का इंकार करेगें बल्कि उसे धूमिल भी करेगे। लोगो को अपने ऊँचे अधिकारों के कारण झूठे सब्बत को मानने को कहेगें । जो सप्ताह का पहला दिन है। इस मानव निर्मित झूठे सब्बत को मानने के लिये रीति रिवाजों का हवाला देगें वे भूमि और समुद्र में आने वाले विनाश-तूफान बाढ भूकम्प आग से विनाश की ओर संकेत करेगे जैसा कि प्रभु के न्याय के दिन भी प्रभु का कोध दिखाई देगा। क्योकि रविवार को पवित्र नहीं माना गया ये सारे प्राकृतिक, विपदाये बढती जायेगी और विनाश एक के बाद दूसरा आ पडेगा। और वे जिन्होने परमेश्वरर के नियम का उल्लंघन किया वे उन पर दोश लगायेगें जिन्होंने सब्बत का पालन किया जो यहोवा परमेश्वर की चौथी आज्ञा है। वे ही है, जिनके कारण जगत पर यह प्रकोप भडका है। यह झूठ भी शैतान का हथियार है जो बह उन पर छोडेगा जो असावधान होगें। ( द सदर्न बाचमैन 28 जून 1904)ChsHin 216.2

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