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मसीही सेवकाई - Contents
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    अध्याय — 10
    तरीके

    घर-घर

    विषेश लोगों के प्रयास के साथ लोगों के घर-घर जाकर प्रचार करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। बड़े-बड़े षहरों में एक ऐसा वर्ग है, जो जन-सभाओं में नहीं पहुँच पाता। ऐसे लोगों को ढूँढ़ा जाना चाहिये जैसे चरवाहा अपनी खोई हुई भेड़ों को ढूँढ़ता है। उनके लिये विशेष रूप से व्यक्तिगत परिश्रम करना अवश्य है, जब व्यक्तिगत रूप से कार्य नहीं किया जाता तब बहुत से किमती अवसर खो जाते हैं, यदि उनमें सुधार किया जाता, तो वे अवश्य ही कार्य को आगे बढ़ाते। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:111)ChsHin 147.1

    कार्यों के साथ सहानुभूति के षब्दों की भी जरूरत होती है। प्रभु यीशु ने स्वयं ही हमें पहले दिखाया कि सुसमाचार प्रेम से किये गये प्रचार के साथ भलाई के कार्यों से भी फैलाया जाता है। इन कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर प्रचार करने की मद्द करो जिनको मद्द की जरूरत है और यदि अवसर मिलता है तो उन्हें क्रूस की कहानी बता सकते है। उनको खीश्ट का पाठ पढ़ाया जाना है। उन्हें बाइबल की शिक्षाओं के विशय बताना अभी जरूरी नहीं, उन्हें प्रभु यीशु के काम और उसके बलिदान के बारे में बतायें। उन्हें प्रभु की धार्मिकता को ग्रहण करायें ताकि उसकी पवित्रता उनके जीवनों में दिखाई पड़े। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 7:228)ChsHin 147.2

    खीश्ट यीशु व्यक्तित्व को नहीं महत्व देगा। वह उदार व समर्पित मसीहियों को काम देगा जो भले ही पढ़े लिखे न हों, अन्य लोगों की तरह। ऐसे लोग उसकी सेवा के कार्य को घर-घर जाकर प्रचार करेंगे। आग के पास बैठकर, यदि वे लोग नम्र, बुद्धिमान और प्रभु का भय मानने वाले और अधिक परिश्रम कर परिवारों की वास्तविक जरूरतों को पूरा करें और एक अभिशिक्त सेवक से अधिक कार्य करें।(टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 7:21)ChsHin 147.3

    हमारी कलीसिया के सदस्यों द्वारा घर-घर जाकर प्रचार करने का काम होना चाहिये। उन्हें बाइबल अध्ययन देना और पत्रिकायें बाँटना चाहिये। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:127)ChsHin 148.1

    जो घर-घर जाकर प्रचार करने का काम करते है वे प्रचार के और अधिक क्षेत्रो में जाने का अवसर पाते हैं। उन्हें बीमारों के लिये प्रार्थना करना और उनकी तकलीफों को दूर करने के लिये पूरी षक्ति लगा देना चाहिये। उन्हें गरीब, तंगहाल और मुसीबत के मारों के बीच प्रचार करना चाहिये । हमें उनके लिये प्रार्थना करना है, जो मजबूर हैं, जिनके पास ताकत नहीं अपनी उस भूख पर काबू में करने की और जिन्होंने अपने षौक पूरे करने के कारण अपने स्तर को नीचे गिरा दिया है। ऐसे लोगों में यदि परमेश्वर के प्रति रूचि जागृत होती है तो इनके साथ बड़ी वफादारी और लगातार प्रयत्न करने के द्वारा उद्धार का मार्ग दिखा सकते है। कई लोगों के पास दयालुता का व्यवहार कर पहुंचा जा सकता है। उनकी भौतिक जरूरत पहले पूरी की जानी चाहिये। यदि वे हमारी निस्वार्थ सेवा को अपनी आँखो से देखते हैं तो उसके लिये प्रभु के प्रेम पर विश्वास करना आसान जो जायेगा। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 6:83, 84) ChsHin 148.2

    सब कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर प्रचार करना और बाइबल की बातें बताना, धार्मिक पुस्तकें बाँटना तथा अपने जीवन में आई ज्योति के बारे में अपनी गवाही देना जिनसे उनकी स्वयं की आत्मा आशीशित हुई। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:123) ChsHin 148.3

    हमारा उद्धारकर्ता प्रभु यीशु घर-घर जाकर रोगियों को चंगा करता, षोकित लोगों को सांत्वना दुखित एवं क्लेषित लोगों को ढ़ाढ़स बंधChsHin 148.4

    ना और दुखियारों की षांति के बारे में कहना। उसने छोटे बच्चों को अपनी बांहो में लेकर आशिश की और उनकी माताओं को आषा भरे षब्द कह कर ढ़ाढ़स बंधाया। कभी न खत्म होने वाली नम्रता और उदारता से यीशु हर प्रकार के रोगों दुखों व कश्टों से ग्रसित मनुश्यों से मिला। यह काम उसने अपने लिये नहीं किन्तु लोगों के लिये किया। वह सभी का सेवक था, ये उसका मांस और लहू है जो हमारे लिये आशा और सामथ लता है, जब भी हम उसके नजदीक आते है। (गॉस्पल वर्कर्स- 188)ChsHin 148.5

    परमेष्वर की सच्चाई को प्रेम एवं सहजता से प्रस्तुत करना घर-घर जाकर बताना आदि प्रभु के निर्देशों के साथ प्रभु ने अपने शिष्यों को दिये जब उसने उन्हें पहली बार सुसमाचार प्रचार के लिये भेजा था। प्रभु की भक्ति के गीतों द्वारा हृदय की गहराई से की गई प्रार्थना के द्वारा बहतों तक पहुँचा जा सकेगा। स्वर्गीय सेवक भी वहाँ उपस्थित होगा। लोगों को हृदय परिवर्तन करने के लिये । उसका वायदा है, ” मैं सदा तुम्हारे संग हूँ।” इस बात की निश्चितता के साथ कि एक ऐसा सहायक हमेंषा हमारे साथ है, तो हम पूरे विश्वास, आशा और जोश से प्रभु की सेवा करेंगे। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:34) ChsHin 149.1

    घर-घर जाकर प्रचार करने वाले सेवकों की आवश्यकता है। प्रभु बुलाता है कुछ ऐसे निर्णायक प्रयास जो आगे बढ़कर किये जाये वहाँ, जहाँ लोगों को बाइबल की सच्चाई पता नहीं है। भक्तिगीत, प्रार्थनायें तथा बाइबल अध्ययन उन लोगों के घरों में करें। अभी और आज ही समय है कि हम इस काम पर निकल जायें। “उन्हें वह सब चीजें जो मैंने तुम्हे सिखाई है, मानना सिखाओ।’ जो ये काम करते हैं उन्हें बाइबल के वचनों की जानकारी पहले से होनी चाहिये। “क्योंकि लिखा है।” ये ही उनका एक मात्र हथियार होना चाहिये जो उन्हें छुड़ायेगा। (काऊन्सिल्स दू पैरेन्ट्स टीचर्स एण्ड द स्टूडेन्ट्स- 540)ChsHin 149.2

    मेरे भाईयों और बहनों अपने घर के आस-पास रहने वालो से मिला और दयालुता और सहानुभूति से उनके हृदय तक पहुँचने की कोशिश करो। ये निश्चित कर लो कि इस तरह से उनसे बातचीत करो कि मतभेद होने का मौका न मिले । और याद रखों कि जिन्हें आज के समय की सच्चाई की जानकारी है किन्तु फिर भी अपनी ही कलीसिया के लिये काम कर रहे हैं। और उन अविश्वासी लोगों को सच्चाई में लाने से इंकार के कारण हिसाब देना होगा। उन्हें इस बात के लिये जिम्मेदार ठहराया जायेगा। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:34) ChsHin 149.3

    अपने पहले प्रचार करने के लिये चेलों को वहाँ जाना था, जहाँ प्रभु यीशु मसीह पहले जा चुके थे। और उन्हें अपना मित्र भी बना लिया था। उनकी उस यात्रा की तैयारी जरूर साधारण सी होगी। कोई ऐसी वजह नहीं होना थी। जो उन्हें उनके मकसद से अलग कर सके। क्योंकि उन्हें एक महान काम करना था। उन्हें न ही अपने पत्रु की उकसाना था, न ही अपने काम को बंद करना था। उन्हें एक साधारण किसान की तरह रहना था। कोई धार्मिक शिक्षक का पहरावा या अन्य कोई विशेष वस्त्र नहीं पहनने थे, कि वे अलग से पहचाने जायें। उन्हें प्रभु के मंदिर में भी नहीं जाना था, न लोगों को सभा के लिये बुलाना था। उनका काम घर-घर जाकर प्रचार कार्य को अंजाम देना था। उन्हें बेकार के अभिवादन में समय नहीं गंवाना था या घर-घर जाकर कोई मनोरंजन करना था। किन्तु हर जगह जाकर उन्हें जो योग्य थे उनके घर में वचन प्रचार करना था, जो उन्हें अपने घर बुलाते, उनका स्वागत करते थे। जैसे स्वयं मसीह यीशु का स्वागत कर रहे हों। हर घर में उन्हें आशिश भरा वचन कहना था, “इस घर में षान्ति हो।” उस घर में प्रार्थनाओं के द्वारा लोग आशिशों को पायेंगे। उनके प्रशंसा के गीत तथा बाइबल के पवित्र वचनों को पारिवारिक समूह में पढ़ना सभी कुछ आशिशों से भरपूर होगा। (द डिज़ायर ऑर ऐजेज- 351, 352)ChsHin 149.4

    अपने पड़ौसियों से मित्र भाव से मिलिये तथा उनसे बातचीत कीजिये। वे लोग जो इस काम को हाथ में नहीं लेंगे। और अलग तरह का व्यवहार करेंगे, जैसा कई लोगों ने किया है, वे प्रभु का पहला का सा प्रेम छोड़ चुके हैं। अब वे केवल आलोचना, भर्त्सना और अपने भाईयों को बुरा-भला ही कहेंगे। (द रिव्यू एण्ड हैरल्ड- 13 मई 1902)ChsHin 150.1

    प्रेरितो का प्रयास लोगों को बाहर नहीं ला सका, न ही अनेकों लोगों तक चेले पहुँच सके। किन्तु प्रभु यीशु ने घर-घर जाकर सुसमाचार सुनाया और इस प्रकार पूरा घराना उसका परिचित हो गया। उसने बीमारों को चंगा किया, दुखी लोगों से मिला, सताये गये लोगों को सांत्वना दी और पाप में गिरे हुओं को उठाया। और जो कुछ उसने कहा और किया उन सब से उसने प्रभु की महिमा की इस प्रकार उसने काम किया। “निर्बलता में, भय में और काँपते हुये।” वह कांपा कि कहीं उसकी शिक्षा मनुश्यों की ओर से तो नहीं जबकि उसे केवल स्वर्गीय पिता की शिक्षा देना थी। (द एक्ट्स ऑफ अपॉसल्स- 250) ChsHin 150.2

    अपने पड़ौसियों के पास एक-एक करके जाओ और उनके नजदिक जाओ जब तक कि उनका हृदय तुम्हारा निस्वार्थ प्रेम व रूचि देखकर पिघल न जाये। उनसे सहानुभूति रखो उनके साथ प्रार्थना करो और मौका ढूँढ़ो कि कब उनकी भलाई कर सको और जैसे ही तुम ऐसा करते हो कुछ लोग आपस में मिलकर उनके साथ बाइबल का वचन उनके अंधकार भरे मस्तिश्क को रौशन करने के लिये मिलकर अध्ययन करो। जागते रहो, वह जिसे प्रभु को लोगों की आत्माओं का लेखा-जोखा देना है और अधिक से अधिक अवसरों पर काम करो जिसके कि प्रभु की दाख की बारी में उसके साथ परिश्रम करो। मत करना, जितना अधिक हो सके उनके साथ हमेशा भलाई करना। जिससे तुम कम से कम कुछ आत्माओं को जीत सको। हमें आत्माओं की खोजने की जरूरत है जैसा कि प्रेरित पौलुस भी जिस तरह घर-घर जाकर लोगों से रो-रोकर विनति करता, उन्हें सिखाता और कहता, “अपने पापे से पष्चाताप करा और प्रभु यीशु मसीह में विश्वास लाओ।” (द रिव्यू एण्ड हैरल्ड- 13 मार्च 1888)ChsHin 150.3

    प्रभु ने मेरे सामने एक काम रखा है जो षहरों में करना है, इन षहरों के विश्वासी लोग भी अपने पड़ौसियों के घर जाकर प्रचार करें। उन्हें षान्ति से उदारता से प्रभु की सिखाई सब प्रकार की बातें सिखाना हैं, कि वे जहाँ भी जायें स्वर्ग की बातों पर मनन करें। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:128)ChsHin 151.1

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