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मसीही सेवकाई - Contents
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    अध्याय — 21
    एक घर-एक प्रचार कार्य प्रषिक्षण केन्द्र

    प्रथम स्थान

    एक घर बच्चे की प्रथम पाठषाला है, और यही वह स्थान है जहाँ जीवन की सेवा करने के लिये नींव डाली जानी चाहिये। (द मिनिस्ट्रि ऑफ हीलिंग 400) ChsHin 278.1

    पहला सबसे बड़ा व्यवसाय जीवन में यह है कि अपने घर में एक प्रचारक हों। (टेस्टमनीज फॉर द दचर्च, 4:138)ChsHin 278.2

    मानवता को बचना और उसको ऊंचा उठाने का काम घर में ही प्रारम्भ होता है। सारी बातों के लिये माता-पिता ही जिम्मेदार होते है, एक श्रेश्ठ समाज, कलीसिया की सफलता देष की सम्पन्नता आदि सब कुछ पारिवारिक षिक्षा और प्रभाव पर निर्भर है। (द मिनिस्ट्रि ऑफ हीलिंग 349)ChsHin 278.3

    जितनी अच्छी तरह सच्ची प्रचार सेवा की आत्मा घरों में बढ़ती है। उतनी पूर्णता से यह भावना बच्चों के जीवन में भी बढ़ती है। दूसरों को सेवा करने में उन्हें खुषी होगी और दूसरों की भलाई के लिये बलिदान देने से पीछे नहीं हटेगें। (द मिनिस्ट्रि ऑफ हीलिंग 401)ChsHin 278.4

    माता-पिताओं को अपने घर में ही पाये जाने वाले बड़े सेवाकार्य क्षेत्र को नहीं भूलना चाहिये। हर एक माता जिसे बच्चे इसलिये सौंपे गये हैं कि उनको दिया गया काम पूरा कर सकें। “इस बेड़े इस बेटी को लो’ प्रभु कहता है, “और उसे मेरे लिये प्रषिक्षित करो। उसे एक ऐसा चरित्र दो जो किसी राज महल के सदस्यों की तरह उज्जवल और प्रभु की महिमा उस विष्वासयोग्य माता को मिलती है। जैसे-जैसे वह अपने बच्चों को पैतान की प्रभाव कारी तीरो का समाना करने की षिक्षा बच्चों को देने की कोषिष करती है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 9:37)ChsHin 278.5

    प्रभु यीषु के लिये मार्ग हमारे परिवार से ही षुरू होता है। घर के अलावा और कोई प्रचार क्षेत्र ज्यादा महत्व का नहीं है। षिक्षाओं और उदाहरणों के द्वारा बच्चो को सिखाया जा सकता है कि अविष्वासियों को वचन का प्रचार कैसे किया जाये। बच्चों को ऐसी षिक्षा दी जानी चाहिये कि वे बहुत ही सहानुभुति पूर्वक व बुजुर्गो व पीड़ितों से व्यवहार करें और गरीबों और निराष लोगो की जरूरतों को पूरी करें, उनके कश्टो को दूर करें। उन्हें बड़ी उत्सुकता से सहायता से सहायता व प्रचार कार्य में हिस्सा लेना चाहिये। और अपनी उम्र के प्रारम्भिक वर्शो से ही स्वयं का इंकार, बलिदान देना आदि कार्य दूसरों की भलाई के लिये और प्रभु यीषु के काम की बढ़ोतरी होनी चाहिये, ताकि वे भी प्रभु के सहायक बन जायें। यदि वे सब दूसरों के लिये करना सीख भी लेते हैं तो उन्हें ये सब अपने घर के सदस्यों के साथ भी करना सीखना होगा। जिनके बीच में वैसे ही प्रभु का स्वाभाविक अधिकार प्राप्त होता है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 6:429)ChsHin 279.1

    हमारे सारे घरेलू बातें व्यवस्थित व अपनी जगह पर सही होनी चाहिये। विषेश प्रयास किये जाने चाहिये कि घर का प्रत्येक सदस्य सुसमाचार प्रचार करें। हमें बच्चों की सहानुभुति पाने के लिये उन नाष होने वाले लोगों में रूचि जागष्त करनी होगी। ताकि वे उनके लिये हर संभव 23प्रयास कर सके, हर समय सेवा के लिये तैयार रहें, जैसे प्रभु यीषु रहते थे। (द रिव्यू एण्ड हैरल्ड 04 जुलाई 1893)ChsHin 279.2

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