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मसीही सेवकाई - Contents
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    व्यक्तिगत- बुलाहट

    एक सर्वश्रेश्ठ काम हरेक मसीही को करने के लिये सौंपा गया है। (द सदर्न वॉचमैन — 02 अगस्त 1904)ChsHin 12.3

    परमेश्वर चाहता है कि हर एक उसकी दाख की बारी में काम करे, जो काम तुम्हें सौंपा गया है। उसे पूरा करने की ठान लो और पूरी वफादारी से करो। (द बाइबल एको — 10 जून 1901)ChsHin 12.4

    यदि तुम में से प्रत्येक एक सशक्त एवं सक्रिय मिशनरी होता तो अब तक यह सुसमाचार सभी राश्ट्रो, जाति, लोगों तक पहुँच चुका होता। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 6:438) ChsHin 12.5

    प्रत्येक सच्चा शिष्य जो परमेश्वर के राज्य में जन्मा है एक मिशनरी है। वह जो जीवन का जल पीता है, उसमें जीवन का स्रोत फूट पड़ता है, अनंत जीवन पाने वाला जीवन देने वाला बन जाता है। प्रभु यीशु का अनुग्रह किसी व्यक्ति के जीवन में, रेगिस्तान में बहने वाले झरने के समान है। ताजे पानी का भण्डार है जो मत्यु को पाने वालो नाश हो जाने वालों को जीवन का जल पिलाने को उत्सुक है। (द डिजायर ऑफ एजेज- 195)ChsHin 12.6

    परमेश्वर हरेक उस व्यक्ति को जिसे सच्चाई का ज्ञान एवं उसमें रूचि रखने वाला है, से उम्मीद रखता है कि वह उसका कार्य करे। सभी बाहर विदेशों में जाकर मिशनरी का काम नहीं कर सकते, किन्तु सभी, अपने घरों में और आस-पड़ोस में प्रभु का सुसमाचार प्रचार एवं उसकी गवाही देने का काम कर ही सकते है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 9:30)ChsHin 12.7

    प्रभु यीशु मसीह, उस समय स्वर्गीय सिंहासन से कुछ कदम की दूरी पर ही थे, जब उन्होंने अपने चेलों को यह काम सौंपा। उन्होंने, उन सभी से जो प्रभ के नाम में विश्वास रखते है, उनसे कहा. “जाओ! संसार के कोने-कोने में हर एक को समाचार सुनाओ।” प्रभु का आत्मा हमेशा उनके साथ रहता था। (द सदर्न वॉचमैन 20 सितम्बर 1904)ChsHin 13.1

    जो प्रभु यीशु के अनुयायी हैं, उनके जीवन का मुख्य काम लोगों की आत्मायें बचाना हैं। हम इस संसार के त्रष्णी (कर्जदार) हैं, क्योंकि जो अनुग्रह परमेश्वर ने इस जगत पर किया, उसकी ज्योति हम पर चमकी है। और परमेश्वर की सुन्दरता, सामर्थ और सच्चाई जो हमें मिली है। (टेस्टमनीज ऑफ द चर्च 4:53) ChsHin 13.2

    सभी जगह यह देखा गया है कि किसी संस्था या समिति को सौंपा गया काम, आखिरकार व्यक्ति विशेष के भरोसे छोड़ दिया जाता है। मानवीय-बुद्धि सभी का समायोजन करने, केन्द्रित करने, बड़े-बड़े गिरजाघर बनाने तथा संस्थायें बनाने जैसे कार्य करने में इस्तेमाल की जाती है। करोड़ों लोग अपनी भलाई व फायदे के काम कुछ संस्थाओं और संगठनों को सौंप देते हैं। वे स्वयं को संसार से विरक्त बताते है और उनके हृदय भी संवेदनहीन हो जाते हैं। वे अपने आप में ही खोये रहते हैं और उन पर कोई वस्तु प्रभाव नहीं डालती। ऐसे लोगों का प्रेम परमेश्वर व मनुश्य दोनों के लिए मर सा जाता है। वे किसी से प्रेम नहीं रखते। यीश अपने शिष्यों को एक व्यक्तिगत कार्य सौंपता है, एक ऐसा काम जो एक प्रतिनिधि नहीं कर सकता। रोगियों और दीनों की सेवा, खोये हुऐ तक सुसमाचार पहुँचाना आदि कार्य केवल समीति और बड़े-बड़े दानवीर संगठनों के हाथों में नहीं छोड़ा जा सकता। इस कार्य के लिये व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायित्व, व्यक्तिगत प्रयास, स्वयं का बलिदान ही की जरूरत है तभी यह काम सफल होगा। (द मिनिस्ट्री ऑफ हीलिंग — 147)ChsHin 13.3

    हरेक वह व्यक्ति जिसे वह स्वर्गीय उजाला प्राप्त हुआ है, उसे ही अन्य लोगों के राह की ज्योति बनना है, जो इस राह से अनजान हैं। (द डिजायर ऑफ एजेज़ — 152)ChsHin 13.4

    प्रत्येक को अपना-अपना काम सौंपा गया है, अतः कोई अन्य उसके स्थान पर काम नहीं कर सकता। हर एक के पास एक-एक के महत्त्व का अद्भुत काम दिया गया है, जिसे वह न तो नकार सकता है, और न ही छोड़ सकता है, क्योंकि इस काम का पूरा होना, कुछ लोगों के जीवन में खुशियाँ लाना और ‘पूरा’ न होना उस एक के लिये ‘शोक’ होता है, क्योंकि उसके लिये प्रभु यीशु ने अपनी जान दी। (द रिव्यु एण्ड हैरल्ड- 12 दिसम्बर, 1893) ChsHin 14.1

    हम सभी को प्रभु के साथ उसके सेवक होना चाहिए, कोई आलसी उसके सेवकों में गिना नहीं जायेगा। कलीसिया के सदस्यों को स्वयं यह समझना होगा कि जीवन और बहुतायत का जीवन जो कलीसिया को प्रभावित करेगा, वह है उनके प्रत्येक के द्वारा किया गया कार्य।ChsHin 14.2

    (द रिव्यु एण्ड हैराल्ड- 15 फरवरी, 1887) हरेक आत्मा जिसे यीशु ने छुड़ाया है, बुलाई गई है कि वह खोई हुई आत्मा को बचाने का काम करें। यह कार्य इजराइल में नहीं किया गया, क्या आज भी यह काम उन लोगों के द्वारा ठुकराया नहीं जा रहा, जो अपने आप को सच्चे मसीह के चेले कहते है ? (क्राइस्ट्स ऑब्जेक्ट लैसन्स — 191)ChsHin 14.3

    हरेक के करने के लिये कुछ न कुछ काम अवश्य है। हरेक वह व्यक्ति जो सच्चाई में विश्वास करता है, उसे हर स्थान व हर मौके पर अपने आप को सामने लाना है- यह कहते हुये, “हाँ, मैं यहाँ हूँ। मुझे भेज ।” यशायाह 6:8 (टेस्टमनीज ऑफ द चर्च 6:49)ChsHin 14.4

    ये हर मसीह के लिये सुअवसर है न केवल वह प्रभु की आमद की प्रतीक्षा करे, किन्तु उसके षीघ्र आमद के लिये षीघ्रता पूर्वक वचन सारे संसार में फैलाने का काम करें। (क्राइस्ट्स ऑब्जेक्ट लैंसन्स — 69)ChsHin 14.5

    वह जो परमेश्वर का पुत्र बन जाता है वह आप ही उस जंजीर की एक ‘कड़ी’ साबित होता है जो संसार को बचाने के लिये आगे बढ़ने हेतु छोड़ दी जाती है। वह प्रभु के साथ उसके अनुग्रह की योजना में एक होकर, उस खोई हुई आत्मा को खोजने निकल पड़ता है जो खो गई है और मष्यु के कगार पर है। (द मिनीस्ट्री ऑफ हीलिंग — 105) सभी व्यक्तियों को ढूढ़ने पर कोई काम जरूर मिल जाता है। किसी को यह सोचने की जरूरत नहीं कि उनके लायक कोई काम प्रभु के पास नहीं है। प्रभु हरेक को उसकी योग्यता के अनुसार काम करने को बुलाता है। उसे पता है कौन व्यक्ति क्या काम बेहतरी से कर सकता है। (द मिनीस्ट्री ऑफ हीलिंग — 104) ChsHin 14.6

    वे जो प्रभु के साथ बाँधी गई वाचा में षामिल हैं वे उसके उस महान व बड़े काम में अर्थात् जीवन बचाने के काम में बंधे हुए हैं। (टेस्टमनीज ऑफ द चर्च 7:19) ChsHin 15.1

    कार्य क्षेत्र इतना विस्तष्त है, उतनी ही बड़ी कार्य-योजना है कि हर एक पवित्र किया गया मन, सेवक के समान काम करने को एक अद्भुत स्वर्गीय षक्ति के साथ निकल पड़ने को आतुर जो जाता है।ChsHin 15.2

    (टेस्टमनीज ऑफ द चर्च 9:47) मनुश्य का जीवन परमेश्वर के हाथ में है, उसे वह अपनी महिमा और अनुग्रह से भरे कामों को पूरा करने में काम में लाता है। हर एक को अपना-अपना कर्त्तव्य करना है। उसे उसके अनुसार वचन की रौशनी दी गई है, समयानुसार उसकी जरूरतों को प्रदत्त किया गया है और ये सब उसके लिये पर्याप्त है कि वह परमेश्वर के द्वारा सौंपे गए कार्य को पूरा करने में समर्थ हो। ( द ग्रेट कॉन्ट्रोवर्सी 343)ChsHin 15.3

    एक लम्बे समय से परमेश्वर प्रतीक्षा कर रहा है कि सेवा करने वाली आत्मा सम्पूर्ण कलीसिया पर अधिकार कर ले, जिससे कलीसिया के सारे लोग अपनी-अपनी योग्यतानुसार काम करने लगें। (द एक्ट्स ऑफ अपॉसल्स- 111) ChsHin 15.4

    जब प्रभु यीशु ने बारहों को और बाद में सत्तर लोगों को परमेश्वर के राज्य की घोशणा करने के लिए भेजा, वह उन्हें सिखा रहा था कि काम का बँटवारा किस प्रकार किया जाता है। उसके सब कामों के द्वारा वह उन्हें प्रत्येक को व्यक्तिगत रूप से मेहनत करने की ट्रैनिंग साथ ही साथ सदस्यों की बढ़ती होने पर, सुसमाचार दुनिया के कोने-कोने में पहुँचाने का काम करें। (द एक्ट्स ऑफ अपॉसल्स- 32)ChsHin 15.5

    इस काम को पूरा करने की जिम्मेदारी केवल अभिशिक्त दासों के कांधों पर ही नहीं हैं। हर एक व्यक्ति जिसने मसीह को पा लिया है, मसीह की ओर से बुलाया गया है कि अपने साथी को उद्धार का मार्ग दिखाए। (द एक्ट्स ऑफ अपॉसटल्स- 110)ChsHin 15.6

    सच्ची कलीसिया का चरित्र व आचरण इस बात से नहीं आंका जाता कि उसने कितने बड़े-बड़े काम किये, न ही इस बात से कि चर्च की किताब में कितने नाम दर्ज है? बल्कि इस बात से कि वह वास्तव में अपने प्रभु के लिये क्या कर रही है ? उन संख्याओं से कि कुल कितने वफादार कलीसिया में लाये गये है, व्यक्तिगत रूचि, काम करने की चाहत व पुरजोर कोशिष ही प्रभु यीशु के इस काम की परिपूर्णता में कारगर सिद्ध होगी, केवल उपदेशों और बातों से नहीं। (द रिव्यू एण्ड हैराल्ड— 06 सितम्बर, 1881)ChsHin 16.1

    जहाँ कहीं भी चर्च स्थापित हुए हैं उन सब सदस्यों को इस मिशनरी कार्य को करने में जुट जाना चाहिए। उन्हें अपने पड़ोसियों की पारिवारिक एवं आत्मिक स्थिति के बारे में जानकर, उन्हें सच्चाई सिखाना व बताना षुरू कर देना चाहिए। (टेस्टमनीज ऑफ द चर्च 6:296)ChsHin 16.2

    कलीसिया के सभी सदस्यों को विदेशों में सेवा करने के लिये नहीं बुलाया गया है, किन्तु हरेक को इस महान व बड़े काम को पूरा करने के लिये उनकी सामर्थ अनुसार जगत में ज्योति फैलाने का काम दिया गया है। प्रभु यीशु का सुसमाचार षीघ्रता से, उतावली से फैलने वाला है।ChsHin 16.3

    प्रभु के दिन कोई भी यह कहकर बच नहीं पायेगा कि मैं अपनी स्वार्थ पूर्ण रूचियों के कारण चुप रहा और एक को भी सुसमाचार नहीं सुनाया। यह काम हर एक के दिमाग, मन एवं हाथ में है। काम भी विभिन्न प्रकार के विभिन्न व्यक्तियों द्वारा ग्रहण योग्य एवं विभिन्न प्रकार की योग्यता से पूर्ण है। (हिस्टॉरीकल स्केचेज़- 290—291)ChsHin 16.4

    प्रभु ने तुम्हें धार्मिक सच्चाई से अवगत कराया है। प्रभु स्वयं अपनी कलीसिया के सदस्यों से व्यक्तिगत रूप से साथ में बना रहता है और वह जीवन का जल का स्त्रोत है जो उमड़ता रहता है, ताकि हरेक उस जीवन के जल से पीयें। यदि आप इस काम को नहीं करते तो प्रभु के सम्मुख दोशी ठहराये जायेंगे। अतः आप हर संभव प्रयत्न करें कि ये जीवन-जल जितना अधिक हो सके, उतना दूसरों तक पहुँचायें ।(हिस्टॉरीकल स्केचेज़- 291)ChsHin 16.5

    मसीही होने के बाद भी हम सुसमाचार प्रचार का 1/20वॉ हिस्सा काम भी आत्माओं को बचाने में नहीं कर रहे है। यह सारे संसार के लिये चुनौती है। हर एक मसीही एक वफादार मार्गदर्शक दूसरो के लिए वफादारी का नमूना, क्रूस उठाकर चलने वाला, सटिक व शक्तिशाली कार्य करने वाला, सच्चाई बताने में दृढ़-संकल्प एवं अडिग तथा कठोर परिश्रमी एवं समय आने पर अपना सब कुछ बलिदान कर प्रभु के काम को आगे बढ़ाना है। (द रिव्यू एण्ड हैराल्ड- 23 अगस्त, 1881)ChsHin 16.6

    जैसे ही उस व्यक्ति को, जिसे सच्चाई की रौशनी मिलती है, लोगों के प्रति उसकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है, ठीक इजराइल के भविश्य वक्ता के समान जिसे यह षब्द सुनाई दिया था। मनुश्य के पुत्र मैने तुझे इजराइल के घराने का रखवाला इसलिये ठहराया है कि तू मेरे मुख से यह वचन सुन कर, चेतावनी के षब्द उन तक पहुँचाये । (टेस्टमनीज ऑफ द चर्च 9:19, 20)ChsHin 17.1

    हर एक वह व्यक्ति जिसे प्रभु के अनुग्रह को पाने का अवसर मिलता है, उसे वह दूसरों तक अनुग्रह पहुँचाने के लिये नियुक्त कर देता है। जो जिस भी स्थान पर हो वह कहे, “प्रभु मैं यहाँ हूँ, मुझे भेज। सेवकाई करने वालों के लिये वचन मिशनरी प्रवर्तक, मसीही चिकित्सक, प्रत्येक मसीही- चाहे वो व्यापारी हो या किसान, व्यवसायी व्यक्ति या मैकेनिकजिम्मेदारी तो सभी की बनती है। ये हमस ब का काम है कि दुनिया के सभी लोगों को उद्धार पाने का सुसमाचार प्राप्त हो। उसे बताया जाये कि हर एक को उद्धार की योजना में षामिल किया गया है। हमारा जो भी कार्य क्षेत्र हो, जो कार्य हम करें, आखिरकार लोगों को प्रभु का सुसमाचार अवश्य पहुँचाये । (चंगाई की सेवकाई- 148)ChsHin 17.2

    जब घर के मालिक ने अपने सेवकों को बुलाया तो सभी को उनका कार्य सौंपा। परमेश्वर के परिवार के सभी सदस्य इस कार्य को करने में षामिल हैं जो प्रभु की हर एक आशिश के हकदार हैं। (द बाइबल एको जून 10, 1901)ChsHin 17.3

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