Loading...
Larger font
Smaller font
Copy
Print
Contents
मसीही सेवकाई - Contents
  • Results
  • Related
  • Featured
No results found for: "".
  • Weighted Relevancy
  • Content Sequence
  • Relevancy
  • Earliest First
  • Latest First
    Larger font
    Smaller font
    Copy
    Print
    Contents

    मसीही सेवकाई में नये विश्वासियों को प्रोत्साहन

    सबसे सफल परिश्रमी लोग वे हैं जो छोटी-छोटी बातों में भी प्रभु की सेवा पूरे मन से कर आनन्दित होते हैं। हर एक मनुश्य की अपने जीवन का हर एक कृकृकृकृकृकृकृ परमेश्वर की मद्द (पवित्र आत्मा) के साथ गूंथ कर एक रूप होना चाहिये। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 6:115)ChsHin 129.1

    हमें हमारे प्रतिदिन के कार्य को पूरे समर्पण, उपयोगिता में निरंतर बढ़ते रहना चाहिये क्योंकि हम हर एक कार्य को अनन्त काल की ज्योति के रूप में देखते हैं। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 9:150)ChsHin 129.2

    प्रभु की महान योजना में हर एक का एक स्थान है, वे तोड़े जिनकी जरूरत नहीं उन्हें अधिकार नहीं होगा। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 9:37)ChsHin 129.3

    हर एक का एक स्थान अनन्त जीवन की योजना में हैं, हर एक को प्रभु यीशु के साथ मिलकर आत्माओं के उद्धार का काम करना है, स्वर्ग में स्थान प्राप्त करना इतना पक्का नहीं है जितना कि पष्थ्वी पर प्रभु के लिये किये गये हमारे कार्य हमारे लिये एक विशेश स्थान तैयार करते है।ChsHin 129.4

    (क्राइस्ट ऑब्जेक्ट लैसन्स — 326, 327) ChsHin 129.5

    परमेश्वर की आँखे उसके हर एक बन्दे पर लगी रहती है; इसके पास हर एक से संबंधित योजना है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 6:12)ChsHin 129.6

    सभी लोग कुछ न कुछ काम अवश्य कर सकते है, प्रभु के समक्ष कोई भी पापरहित नहीं ठहराया जायेगा, यदि उसने ईमानदारी से निस्वार्थ कार्य नहीं किया है और प्रभु के उद्धार के लिये आत्मायें नहीं बचाई हैं। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 5:395) ChsHin 130.1

    तुम्हारा काम किसी और को नहीं सौंपा जा सकता है, और कोई नहीं तुम्हें ही अपना काम करना है। यदि तुम अपनी ज्योति अपने तक सीमित रखोंगे तो तुम्हारे कारण एक आत्मा अंधकार में पड़ा रह जायेगा। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 5:464) ChsHin 130.2

    एक नम्र सेवक जो बड़ी आज्ञाकारिता के साथ परमेश्वर की बुलाहट का जवाब देता है, वह अष्वय ही स्वर्गीय सहायक को पायेगा। एक ऐसी पवित्र और महान जिम्मेदारी को स्वीकार करता अपने आप में एक चरित्र को और निखारता है। ये काम पूरे मानसिक और आत्मिक षक्तियों को संगठित कर काम में लगाता है और मन और हृदय को पवित्र एवं शक्तिशाली बनाता है। विश्वास के द्वारा प्रभु की सामर्थ में ये कितना अद्भुत है कि एक कमजोर व्यक्ति कितना ताकतवर बन जाता उसका परिश्रम निर्णायक और परिणाम सर्वश्रेश्ठ होते हैं। वह जो अपने थोड़े से ज्ञान से छोटे-छोटे काम कर षुरूआत करता और लोगों को बताता है और बताने के लिये ज्ञान की खोज करता, वह स्वर्ग का सारा खजाना पायेगा और मांग पूरी करेगा। जितनी अधिक त्योति वह बांटता है उतनी ही अधि क ज्योति पाता है। दूसरों को प्रभु के वचन को समझाने की कोशिश में स्वयं भी बड़ी सरलता से वचन को समझता है। हम अपने ज्ञान का जितना उपयोग करेंगे और सामर्थ को काम में लगायेंगे। उतना ही ज्यादा ज्ञान और सामर्थ हम प्राप्त करेंगे। (क्राइस्ट ऑब्जेक्ट लैसन्स — 354)ChsHin 130.3

    हर एक को परमेश्वर के लिये और आत्माओं के लिये परिश्रम करने दो, हर एक अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करे और कभी भी आलसी न हो। कोई प्रतिक्षा न करें कि कोई उन्हें आकर काम बताये और तब वे करें। वह कोई स्वयं इतनी जिम्मेदारियों से भरा है। उसकी प्रतिक्षा में समय गवां चुके है। परमेश्वर ने खुद तुम्हें बुलाया है, मेरे बेटे आओ मेरी दाख की बारी में काम करो। वह तुम्हें स्वयं बुद्धिमान बनायेगा ताकि तुरन्त काम कर सको। “यदि आज तुम उसकी आवाज सुनते हो तो अपना हृदय कठोर मत करो।” (इब्रा. - 3:7, 8)ChsHin 130.4

    प्रभु पहले ही बढ़े प्रेम से ‘पुत्र’ कहकर बुलाता है, कितना उदार, कितना चिंता करने वाला, कितना जरूरी। उसका आमंत्रण एक ललकार भी है। (काऊन्सिल्स टू पेरेन्ट्स टिचर्स एण्ड स्टुडेन्ट्स — 419)ChsHin 131.1

    पैतान को दूर करने की ताकत उग्रता पूर्वक काम कर के प्राप्त की जा सकती है। (द एक्ट्स ऑफ अपॉसल्स — 105)ChsHin 131.2

    हर एक कार्य, हर एक न्यायपूर्ण कार्य, दया और दूसरों की भलाई का काम स्वर्ग में संगीत बन जाता है। (द रिव्यू एण्ड द हैरल्ड — 16 अगस्त 1881)ChsHin 131.3

    प्रभु का आत्मा प्रचार का आत्मा है, एक प्रभु में सांटे गये हृदय का सबसे पहला कदम दूसरों को प्रभु के पास लाना होता है। (द ग्रेट कॉन्ट्रोवर्सी — 70) ChsHin 131.4

    प्रभु की महिमा में बढ़ने का केवल एक ही मार्ग है, कि पूरे मन से रूचि पूर्वक उसके काम में जुट जायें, जिसमें उसने हमें षामिल किया है। (द रिव्यू एण्ड द हैरल्ड — 07 जून 1887) ChsHin 131.5

    प्रभु का काम करने के लिये किसी बड़े अवसर की तलाश में न रहो और न ही अपने में अद्भुत योग्यतायें होने का इंतजार करो। (स्टेप्स टू क्राइस्ट — 83)ChsHin 131.6

    वह व्यक्ति जो सारे समाज को आशीशित करता और जीवन को सफल बनाता है, चाहे वह शिक्षित हो या अशिक्षित, अपनी सारी ताकत परमेश्वर की सेवा और अपने संगी-साथियों की सेवा में लगाता है। (द सदर्न वॉचमेन — 02 अप्रैल 1903) ChsHin 131.7

    बहुत से हैं जिन्हे परमेश्वर ने इस योग्य ठहराया कि वे बढ़िया काम करें किन्तु उन्होंने बहुत कम काम किया, क्योकि उनके प्रयास बहुत कम थे। (क्राइस्ट ऑब्जेक्ट् लैसन्स — 331)ChsHin 131.8

    यदि तुम सौ में से निन्यानवे बार असफल हुये हो किन्तु यदि एक आत्मा भी नाश होने से बचाया है तो प्रभु के लिये तुमने अच्छा काम किया है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 4:132)ChsHin 131.9

    परमेश्वर और प्रत्येक आत्मा के बीच जो संबंध है वह पूर्ण और विशेश है, मानो कि आत्मा और परमेश्वर के सिवा और कोई इस पूरी पष्थ्वी पर नहीं है जो उसकी निगरानी कर सके। और कोई जीवन नहीं जिसके लिये इससे उसने प्रिय पुत्र को दे दिया। (स्टेप्स टू क्राइस्ट — 100)ChsHin 131.10

    प्रभु देखता है और जानता है। वह तुम्हारी कमजोरियों के बावजूद तुम्हें अपना काम करने के लिये इस्तमाल करेगा यदि तुम अपने तोड़े को प्रभु की सेवा में उपहार के रूप में समर्पित करोगें। क्योंकि ऐसा काम जिसे करने की रूचि न हो, ऐसे कमजोर भी काम करने में ताकतवर बन जाते और प्रभु के आदेशों को मानने से प्रसन्न होते है। प्रभु की खुशी ताकत प्रदान करने का एक जरिया होता है यदि आप ईमानदार हैं तो प्रभ की वो षान्ति जो हर तरह की समस्या का हल है वह तुम्हारे इस जीवन का इनाम होगा और भविश्य में तुम्हें प्रभु के घर में प्रवेश करने की खुशी प्राप्त होगी। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 8:34) ChsHin 132.1

    वे व्यक्ति जिनके पास कम योग्यता भी है, फिर भी वह अपने हृदय में परमेश्वर के प्रेम को बनाये रखता है, कई आत्माओं को प्रभु के लिये जीत सकता है। हारलन पेज एक गरीब मैकेनिक जो कम शिक्षित और सामान्य योग्यता रखता था। किन्तु उसने अपना मुख्य काम प्रभु के काम को आगे बढ़ाने के लिये क्या किया जाये, यह खोजने में लगा दिया। और उसका यह प्रयास काफी सफल हुआ, उसने अपने साथी भाईयों से व्यक्तिगत वार्तालाप करके और लगातार प्रार्थना करके उनको प्रभु के द्वारा उद्धार पाने के लिये परिश्रम किया। उसने प्रार्थना सभायें आयोजित की सन्ड़े स्कूल स्थापित किये, धार्मिक पुस्तकें बांटी और अन्य धार्मिक पुस्तकें वितरित की। और अपनी मष्त्यु षय्या पर पड़े हुये उसके चेहरे पर अनन्तकाल की छाया दिखाई पड़ रही थी और वह यह कहने के योग्य था, “मैं जानता हूँ कि केवल प्रभु का अनुग्रह है न कि मेरे किये गये कार्य की महत्ता। किन्तु मेरे विचार से मैं यह कह सकता हूँ कि सौ से अधिक लोगों को प्रभु की ओर फेर लाने में मैं प्रभु का कामगार बना। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 5:307, 308)ChsHin 132.2

    ये जगत मसीहियों का स्वर्ग नहीं है, किन्तु केवल प्रभु की एक कार्यशाला है। जहां हम मनुश्यों को इस योग्य बनाया जाता है कि हम निश्पाप स्वर्गदूतों के साथ स्वर्गीय पवित्र स्थान में एक हो सकें। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 2:187) ChsHin 132.3

    प्रभु यीशु के शिष्यों में से सबसे निर्धन और सबसे उदार व नम्र शिष्य होना दूसरों के लिये आषीश का कारण हो सकता है। षायद वे यह महसूस नहीं करते कि वे कोई विशेष भलाई का काम कर रहे किन्तु उनके अनजाने प्रभाव से लोगों पर वे आशीशों की लहर ला सकते जो काफी चौड़ी और गहरी होगी। षायद वे इसका आशीशित परिणाम भी तब तक नहीं जान पायेंगे। जब तक प्रभु के दिन उन्हें इसका ईनाम मिले। वे न तो ये जानते और न ही अनुभव करते हैं कि कोई महान काम कर रहे है।ChsHin 132.4

    वे सफलता के बारे में सोचकर अपने आप को चिंता में डालना नहीं चाहते। उन्हें केवल चुपचाप अपना काम करते जाना ईमानदारी से परमेश्वर के द्वारा दिये गये काम को करते हैं, जिससे उनका जीवन व्यर्थ न हो। उनका खुद का आत्मा भी ज्यादा से ज्यादा प्रभु यीशु की समानता में बढ़ता जायेगा। प्रभु के काम में जुटे हुये ये लोग इस जीवन में ही नहीं बल्कि इससे अधिक बड़े काम के लिये और अनदेखी खुशी जो आने वाले जीवन में उन्हें मिलेगी, उसके लिये योग्य बनते जाते हैं। (स्टेप्स टू क्राइस्ट — 83)ChsHin 133.1

    बहुतों ने अपना जीवन मसीह को सौंपा है, फिर भी उन्हें कोई अवसर दिखाई नहीं देता कि कोई बड़ा काम करें या फिर कोई बड़ा बलिदान कर प्रभु की सेवा करें। यह सोच कर मन को अच्छा लगता है कि यह उस बलिदान के लिये स्वयं को समर्पण करना आवश्यक नहीं, जो ईष्वर की अधिक ग्रहण योग्य होता है। ये वो प्रचारक भी नहीं हो सकता जो प्रतिदिन के काम में खतरों का यहां तक मष्यु का सामना भी करता है। जो स्वर्गीय लेखों में सर्वोच्च माना जाता है। एक मसीही जो अपने जीवन में ऐसा हो कि प्रतिदिन अपने स्वार्थ से दूर, अपने उद्देश्यों, कामों में वफादार, षुद्ध विचार वाला उकसाये जाने पर भी षांत रहने वाला तथा उदार धर्मी तथा विश्वासी, निश्ठावान उन सभी बातों में भी जो कम महत्त्व की हैं, का ध्यान रखने वाला अपने व्यक्तिगत जीवन में मसीही चरित्र प्रस्तुत करता है ऐसा ही व्यक्ति परमेश्वर की दषश्ट में उन सभी प्रचारको व विश्वप्रसिद्ध षहीदों से कहीं अधिक किमती होगा। (क्राइस्ट ऑब्जेक्ट लैसन्स — 403)ChsHin 133.2

    चाहे कितना ज्यादा परिश्रम किया गया हो, और उसके अच्छे परिणाम भी देखने को मिलते हो, किन्तु केवल वह आत्मा जो वह काम करवाता है, वही प्रभु के सामने उसे मूल्यवान बनाता है। (क्राइस्ट ऑब्जेक्ट लैसन्स — 397) ChsHin 133.3

    प्रभु की स्वीकषत इस कारण प्राप्त नहीं होती कि कोई बड़ा काम बड़े परिश्रम से किया गया और उससे बहुत कुछ प्राप्त हुआ है। बल्कि इससे कि कम काम करके भी साथ के प्रति वफादारी दिखाई गई हो। हम केवल बड़ी सफलता या परिणाम प्राप्त न करें बल्कि जिस मकसद को पूरा किया जाना है, उसे करें क्योंकि प्रभु को यही भाता है, प्रभु काम की अधि कता से उतना प्रसन्न नहीं होता जितना कि लोगों की भलाई तथा वफादारी से किया गया काम से प्रसन्न होता और ईनाम देता है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 2:510, 511) ChsHin 133.4

    छोटे-छोटे अवसरों को हाथ से न जाने दो, कि समय आने पर बड़ा काम करेंगे। छोटा काम ज्यादा सफलता पूर्वक किया जा सकता है, जबकि बड़े काम को पूरा करने की कोशिश में असफलता ही हाथ लगती है। और तब निराशा में पड़ते हैं। जब भी, जो भी प्रचार का अवसर मिले उसे थाम लो चाहे आप गरीब हो या अमीर, छोटे हों या बड़े प्रभु आप को अपना काम करने के लिये बुलाता है। ये तुम्हारी ताकत पर निर्भर है कि जो काम तुम्हें मिले, उस काम को करने के लिये गुण व योग्यता बढ़ाकर काम करें। और कई बार दैनिक अवसरों को खोकर तुम निश्फल होकर बिखर जाते हो। यही कारण है कि प्रभु यीशु की बारी में ऐसे कई निश्फल वष्क्ष हैं जो फल नहीं देते। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 9:129)ChsHin 134.1

    प्रभु चाहता है कि हमारे हर एक उपहार का हम इस्तमाल करें और यदि हम ऐसा करते हैं तो हमें और अधिक उपहार प्राप्त होंगे। वह (प्रभु) हमें बड़ी भारी तरह से उन योग्यताओं से भर नहीं देता, जिनकी हमें कमी होती है, किन्तु जब हम अपनी योग्यताओं का उपयोग जैसे-जैसे करते जाते हैं तब वह हमें सामर्थी बनाता और उन योग्यताओं को बढ़ाता है। प्रभु की सेवा में किया गया हर एक कार्य, हर एक बलिदान जो पूरे मन से, पूरी वफादारी से किया जाता है, हमारी ताकत को बढ़ाता है। (क्राइस्ट ऑब्जेक्ट लैसन्स — 353, 354) ChsHin 134.2

    यीशु का हृदय उन लोगों को देखकर प्रसन्न होता है, जो हर तरह से गरीब हैं, खुष होता है, उन्हें देखकर जिनका गलत तरह से इस्तेमाल होता है और जो नम्र हैं। उनसे भी प्रभु खुश होता है जो धार्मिकता पाने के लिये लालायित असंतुश्ट लोग, जो कई उन लोगों के कारण जो अयोग्य ठहरे, इन्हें सच्चाई सिखाने में । वह ऐसों का स्वागत करता है जो इन लोगों की हर परिस्थितियों को देखकर निराश हों। (गॉस्पल वर्कर्स — 37)ChsHin 134.3

    हमें अन्य जातियों में जाने की जरूरत नहीं और न ही अपने घर की सकरी दिवारों को छोड़कर जाना है, क्योंकि क्या जाने हमें यहीं प्रभु का वचन सुनाने का काम करना पड़े। ये काम अपने घर में, कलीसिया में वहां जहां हम काम करते हैं, अपने साथियों के बीच में और उनके बीच में भी जिनसे हमारा व्यापार व्यवसाय होता है। (स्टेप्स टू क्राइस्ट — 81)ChsHin 135.1

    यदि हम मसीह के जीवन और उसकी शिक्षाओं को अपना अध्ययन बना लेते हैं तो मसीह से जुड़ी हुई हर एक घटना उस वचन को तराष कर एक प्रभावशील संबंध स्थापित करेगा। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 9:63)ChsHin 135.2

    पष्थ्वी पर जिया गया जीवन ही स्वर्ग के जीवन की षुरू आत है। पष्थ्वी पर पाई गई शिक्षा एक पहला कदम है, स्वर्गीय सिद्धान्तों में प्रवेश करने के लिये | पष्थ्वी के जीवन के कार्य एक प्रकार का प्रशिक्षण है, वहां के जीवन षैली के लिये। जैसे हम यहां हैं, हमारे चरित्र और पवित्र सेवकाई में यह एक निश्चित भविश्य की प्रति छाया है, जो भविश्य में हम होंगे। (ऐजूकेशन- 307) ChsHin 135.3

    वे जो प्रभु यीशु की सहभागिता से इंकार कर प्रभु की सेवा नहीं करते, वे उस मौके का इंकार करते हैं जिसमें उन्हें प्रभु की महिमा में एक साथ होने के लिये विशेश प्रशिक्षण दिया जा सकता था। वे इस जीवन में सामर्थ पाने और सर्वश्रेश्ठ चरित्र पाने के प्रशिक्षण को ठुकरा देते हैं। (ऐजूकेशन- 264) ChsHin 135.4

    कोई ये न सोचे कि वह एक स्वार्थपूर्ण जीवन जी सकता है और अपनी रूचि व इच्छाओं की पूर्ति के लिये काम करते हुये, प्रभु के आनन्द में प्रवेश कर सकता है। वे उस निस्वार्थ प्रेम के आनन्द में कभी भी भागीदार नहीं हो सकते। वे इस योग्य ही न ठहरेंगें कि स्वर्गीय घर में प्रवेश पायें। वे उस पवित्र प्रेम पूर्ण वातावरण का आनन्द नहीं ले सकते, जो स्वर्ग में व्याप्त है। स्वर्गदूतों का स्वर और तुरहियों का संगीत उन्हें तसल्ली नहीं देगा। उनकी समझ में स्वर्गीय ज्ञान एक पहेली होगा। (क्राइस्ट ऑब्जेक्ट लैसन्स — 364, 365) ChsHin 135.5

    यीशु हमें बुलाता है कि हम धैर्यपूर्वक परिश्रम करें, उन हजारों लोगों के लिये जो पाप से नाश हुये जाते हैं। पूरे जगत में फैले है, रेगिसतान के किनारे पर आकर टूटकर बिखरने के समान फैल गये है। एक छोर से दूसरे छोर तक तो प्रभु की महिमा में एक जुट होते हैं उन्हें प्रचार कार्य में भी मिलकर काम करना है। कमजोरों की मद्द करना, निराश एवं कंगालों की सहायता करना। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 9:31)ChsHin 135.6

    सामान्य लोगों को भी कार्यकर्ता होने चाहिये, उन दुखी लोगों के दुखो को आपस में बांटना जैसा प्रभु यीशु ने इस जगत की मानव जाति के लिये किया। वे भी बड़े विश्वास से देखेंगे किइस काम को करने में वे अकेलें नहीं प्रभ भी उनके साथ काम करता है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 7:272) ChsHin 136.1

    यीशु अपने प्रत्येक शिष्य में एक प्रतिरूप के रूप में बैठा हुआ है। परमेश्वर ने हर एक के आने वाले भविश्य को निश्चित किया हुआ है “उसके पुत्र की प्रतिछाया” में हर एक प्राणी में खीश्ट का बड़ी पुराना प्रेम, उसकी पवित्रता नम्रता, दया और सच्चाई जगत के लोगों को दिखाई जानी चाहिए। (द डिज़ायर ऑफ ऐजेज़ — 827)ChsHin 136.2

    हर एक को प्रभु की वेदी के सम्मखु लाने के लिये सभी को आहवान किया गया है। हमें एलिषा के समान सेवा करने को नहीं कहा गया है, न ही हमें अपना सब कुछ बेच देने को कहा गया। परमेश्वर केवल यह चाहता है कि हम उसके काम को अपने जीवन में पहला स्थान दें। कोई भी दिन ऐसा न जाये, जिसमें उसके कार्य को बढ़ावा न मिले । वो सभी से एक ही प्रकार की सेवा नहीं चाहता। कुछ विदेश में प्रचार करने के लिये तो कुछ अपने पास पाये जाने वाले साधनों से प्रचार कार्य में मद्द कर सकते है। परमेश्वर सब के दामों को स्वीकार करता है। जिसमें जीवन को प्रभु के काम को रूचि पूर्वक करने के लिये समर्पित करना जरूरी है। जो इस प्रकार समर्पित होते हैं, वे ही स्वर्गीय बलाहट को सनते और उसका पालन करते है। (प्रोफेट्स एण्ड किंग्स — 221)ChsHin 136.3

    एक सांसारिक बुद्धिमान मनुश्य जिसका पूरा ध्यान योजना बनाने, विचार करने और व्यवसाय में हमेषा लगा रहता है, उसे सांसारिकता से हटकर अनन्तकाल की बातों को खोजने और उनमें बुद्धिमान बनना चाहिये। यदि वह इतनी सारी ताकत उस स्वर्गीय खजाने को ढूँढ़ने में लगाता है और अपना जीवन प्रभु के जीवन के साथ जोड़ने का प्रयास करता है तो वह ऐसा कौन सा काम है ? जो पूरा नहीं कर सकेगा ? (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 6:297)ChsHin 136.4

    परमेश्वर स्वयं मनुश्यों के बीच नम्र व सामान्य रूप से चला-फिरा करेगा, कि उन पर आज के समय में सच्चाई का संदेश सुनाये और ऐसे कई लोग यहां से वहां भेजे जायेंगे कि पवित्र आत्मा के द्वारा अंधकार में पड़े लोगों को सत्य की रौशनी प्रदान कर सकें उनके जीवन में सच्चाई एक आग के समान है जो उन्हें उनकी हड्डियों में समाई हुई आग जो उन्हें चुप बैठने नहीं देती, उन्हें एक ज्वलंत इच्छा से भर देती है कि वे अंधेरे में बैठे हुये को सच्चाई की रौशनी से भर दें।ChsHin 137.1

    कई तो इनमें अनपढ़ हैं, जो प्रभु के वचन की उद्घोशणा करते है, बच्चे भी पवित्र आत्मा से भर कर निकल पड़ेगें कि जायें और सुसमाचार प्रचार करें। उन काम करने को लालायित लोगों पर पवित्र आत्मा उड़ेला जायेगा, ऐसे लोग जोश से पूर्ण हो सब प्रकार के मानवीय बंधनों, रूकावटों को तोड़ते हुये परमेश्वर की सेना में षामिल हो जायेंगे। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 7:26, 27)ChsHin 137.2

    Larger font
    Smaller font
    Copy
    Print
    Contents