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मसीही सेवकाई - Contents
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    जीवन जो विजयी होता है

    ये न केवल सच्चाई के प्रचार द्वारा और न ही बाइबल साहित्य के बांटने के द्वारा संभव है कि हम यीशु के गवाह हों। आओ हम ये याद रखें कि प्रभु यीशु के जैसा जीवन ही सर्वश्रेश्ठ व शक्तिशाली तरीका है, जो लोगों को मसीहत के पक्ष में आगे बढ़ाता है, वहीं, एक मसीह व्यक्ति का घटिया चरित्र जगत में मसीहत को अधिक नुकसान पहुंचाता है, उसके सांसारिक होने से भी ज्यादा। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:21)ChsHin 33.4

    एक पवित्र जीवन जीने के लिये दुनिया की सभी पुस्तकें उपयोगी या कारगर सिदध नहीं होती। मनश्य उस पर भी विश्वास नहीं करता है जो कलीसिया में प्रभु का दास प्रचार करता है किन्तु कलीसिया कैसा जीवन जीती है, इस बात का लोगों पर अधिक प्रभाव पड़ता है। प्रायः यह होता है कि पुलपिट से सुनाया गया प्रवचन उस व्यक्ति, जो अपने आप को “सच्चाई का बड़ा जानकार” कहता व समझता है, के जीवन जीने के तरीके से बिल्कल उल्टा होता है। पलपिट पर सत्य की दहाई देने वाला असल जीवन में झूठ का सरदार होता है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:21)ChsHin 34.1

    यीशु मसीह का जीवन सम्पूर्णता से भरा हुआ बड़ा ही प्रभावशाली व्यक्तित्व, जिसका घनिश्ठ संबंध परमेश्वर और इस पूरे मानवीय परिवार से जुड़ा था। मसीह के द्वारा ही, परमेश्वर ने मनुश्य को उस प्रभाव से भर दिया कि वह स्वयं पर निर्भर होकर जी सके, ऐसा संभव ही नहीं था। व्यक्तिगत रूप से हम अपने साथियों, साथी कर्मचारियों से जुड़े होते हैं, परमेश्वर के लोगों का एक बड़ा हिस्सा जो आपस में अनोखी समझ व निर्भरता के लिये मिला रहता है। कोई भी व्यक्ति अपने सहयोगी के बिना अकेले काम नहीं कर सकता प्रत्येक की भलाई के लिये दूसरों का प्रभाव जरूरी होता है। परमेश्वर का उद्देश्य भी यही है कि हर कोई यह महसूस करें कि उसे दसरों के सहयोग की आवश्यकता है तथा दसरों की भलाई के लिये अपने आप को उनकी खुशी के लिये दे देना और भी भला है। (क्राइस्ट ऑबजेक्ट लैसन्स- 339) ChsHin 34.2

    बाइबल का धर्म, बाइबल के षुरू से लेकर अंतिम पन्ने तक और न ही चर्च भवन की दिवारों के भीतर तक सीमित होता है। इसका उपयोग केवल लाभ प्राप्ती के समय पर विशेष अवसरों पर ही नहीं होना चाहिये, कि जब जरूरत पड़ी तब उठाकर पढ़ लिया और फिर उसे उसके स्थान पर सावधानी पूर्वक रख दिया। बाइबल प्रतिदिन पढ़ी जाने वाली किताब है जो प्रतिदिन जीवन को पवित्र बनाती, हर प्रकार के कार्य को पूरा करने तथा सारे सामाजिक रिष्तों को निभाने में मद्द करती है, अतः इसका अध्ययन प्रतिदिन जरूरी है। (द डिज़ायर ऑफ एजेज- 306, 307)ChsHin 34.3

    परमेश्वर का यह उद्देष्य है कि वह अपनी महिमा लोगों के बीच करे। वह उन लोगों की बड़ी आषा से प्रतिक्षा करता है जो प्रभु यीशु के कहलाते और मन, कर्म व वचन से उसके प्रतिनिधी हैं। उनके विचार षुद्ध, उनके वचन उत्कृश्ट और उत्साहित करने वाले तथा आस-पास वालों को उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के पास लाने वाले हों। प्रभु यीशु का धर्म (मसीहत) की बुनियाद ऐसे लोगों के वचनों के प्रचार एवं किये गये उद्धार के कार्यो पर निर्भर करती है। इन लोगों का हर एक काम, हर एक लेन-देन मसीह की उपस्थिति की सुगंध से भरपूर होना चाहिए। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:21)ChsHin 35.1

    सभी व्यापारी अपना लेन-देन का काम इस तरह से करें, जिससे उसकी स्वामी भक्ति के कारण उसके गुरू की महिमा हो। वह अपना धर्म हर जगह, हर वस्तु के लिये इस्तेमाल करे, कि हरेक काम में वह यीशु की आत्मा की सच्चाई का बखान हर व्यक्ति से करे, जिससे वह व्यापार करता है। एक कारीगर भी अपने प्रभु का कर्मठ व भरोसेमंद प्रतिनिधि है जो प्रभु स्वयं यहूदा के षहरों में एक मजदूर की तरह ईमानदारी से काम करते हुये, साधारण, मेहनती व्यक्ति का जीवन बिताया। हर वह व्यक्ति जो अपना नाम मसीही रखता और उसके काम करता है, उसके अच्छे कामों को देख कर वह व्यक्ति अपने रचियता और छुटकारा दिलाने वाले की प्रशंसा करता है। (द बाइबल एको- 10 जून, 1901)ChsHin 35.2