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मसीही सेवकाई - Contents
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    संगठित मसीही षक्ति

    प्रभु में विश्वासी भाईयों और बहनों, क्या कभी आपके मन में यह प्रश्न उठा- “क्या मैं अपने भाई का रखवाला हूँ ? यदि आप परमेश्वर के बेटे व बेटियाँ हैं तो आप जरूर अपने भाई के रखवाले है। प्रभु कलीसिया को इस बात के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं जिन्हें आप अनंत मत्यु से बचा सकते थे, पर आपने सुसमाचार का प्रचार न कर उन्हें मरने के लिये छोड़ दिया। (हिस्टॉरीकल स्केचेज़- 291)ChsHin 17.4

    एक उद्धारकर्ता ने अपना बेशकिमती जीवन इसलिये कुर्बान कर दिया कि एक ऐसी कलीसिया स्थापित हो, जो दुखित, प्रताड़ित एवं परीक्षाओं में फँसे लोग हैं उन्हें आनन्द का सुसमाचार सुनाए। विष्वासियों का एक ऐसा समूह, चाहे वह गरीब, अशिक्षित और अनजान ही क्यों न हो, तब भी मसीह में वे एक होकर घर-घर जाकर, आस-पड़ोस में यहाँ तक की दूर-दराज के स्थानों में जाकर प्रचार करें, जिनका परिणाम अधिक से अधिक लोगों को अनंत जीवन तक पहुँचने में होगा। (द मिनीस्ट्री ऑफ हिलींग 106) ChsHin 18.1

    कलीसिया चाहे कमजोर और दोशणूर्ण ही क्यों न हो, उस पर प्रभु की विशेश आशिशें एक विशेष अर्थ में दी जाती है। उसकी सर्वश्रेश्ठ भलाई व षुभ कामना उसे शक्तिशाली बनाती है। यह अनुग्रह से भरपूर भण्डार है जिसमें वह हृदयों को बदल देने की सामर्थ को दर्शाता एवं खुश होता है। (द एक्ट अपॉस्टल 12) ChsHin 18.2

    किसी न किसी को तो प्रभु यीशु के द्वारा दिये गये काम को पूरा करना ही है। किसी न किसी को उस काम को आगे ले जाना है, जो उसने स्वयं इस धरती पर षुरू किया है, और कलीसिया को इसी उद्देष्य के लिये स्थापित किया गया है कि वह इस सुअवसर का फायदा उठाये। कार्य को प्रगति प्रदान करें। फिर कलीसिया के सदस्यों ने इस उत्तरदायित्व को स्वीकार क्यों नहीं किया है ? (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 6:295)ChsHin 18.3

    परमेश्वर, कलीसिया को सौंपा गया काम करने को बुलाता है, ताकि अपने-अपने कार्य क्षेत्र में सच्चे हृदय परिवर्तन के कार्य को सर्वोपरि स्तर पर रखें व ऐसे प्रशिक्षित एवं अनुभवी व्यक्तियों को नये कार्य क्षेत्र में भेजें ताकि कार्य षीघ्रता पूर्वक पूर्ण हो। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 6:292)ChsHin 18.4

    थिस्सलुनिके के विश्वासी, सच्चे मिशनरी थे, जिनके द्वारा सच्चाई को बताकर कई हृदयों को जीत लिया गया और अनेक लोगों की विश्वासियों की भीड में षामिल किया गया। (द एक्ट ऑफ अपॉस्टल- 256)ChsHin 18.5

    बारहों के अभिशिक्त किये जाने के समय से ही कलीसिया के संगठित होने का पहला कदम उठा लिया गया था, ताकि मसीह के स्वर्ग को जाने के पश्चात् उसका यह कार्य पष्थ्वी पर जारी रखा जाये। (द एक्ट ऑफ अपॉस्टल- 18)ChsHin 18.6

    परमेश्वर की कलीसिया पवित्र लोगों का स्थान है जो विभिन्न भेंटों से तथा पवित्र आत्मा से भरपूर है। कलीसिया के सदस्यों की खुशी अन्य लोगों की मद्द करने व आशिश देने में होती है। क्या ही अद्भुत है यह काम जिसे परमेश्वर ने स्वयं रचा एवं पूरा करने के लिये अपने लोगों का इस्तेमाल करता है, जिससे उसके नाम की महिमा हो।ChsHin 19.1

    (द एक्ट ऑफ अपॉस्टल- 12, 13) ChsHin 19.2

    हमारा काम बड़ी सहजता से परमेश्वर के वचन पर आधारित है। एक मसीही को मसीही से एक होना है, कलीसिया से कलीसिया को, मानवीय प्रयास को स्वर्गीय अगुवाई से तथा सभी को पूरी रीति से पवित्र आत्मा पर निर्भर होकर तथा एक जुट होकर प्रभु के अनुग्रह का सुसमाचार संसार के लोगों को देना है। (द जनरल कान्फ्रेंस डेली बुलेटिन 28 फरवरी, 1893, पेज- 421) ChsHin 19.3

    हमारी कलीसियाओं को साथ मिलकर कठोर भूमि को आध्यात्मिक रूप से उपजाऊ बनाना है। इस आषा के साथ कि समय आने पर भरपूर फसल काटी जा सके। मिट्टी कठोर है किन्तु उस पर हल चला कर उसे ढीली व भुरभुरी कर देना है कि उसमें धार्मिकता का बीज बोया जा सके। हे परमेश्वर के प्रिय शिक्षकों — रूको नहीं। यदि आवश्यक हो तो अपने साथ और लोगों को वचन की शिक्षा दो ताकि वे भी वही काम करें, जो तुमने उन्हें करना सिखाया है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 6:420)ChsHin 19.4

    कलीसिया, परमेश्वर द्वारा नियुक्त वह संस्था है जिसे हर एक मनुश्य के उद्धार के लिए स्थापित किया गया है। इसकी स्थापना परमेश्वर को वचन और ससमाचार का प्रचार परी दनिया में फैलाने का मानव सेवा रूपी कार्य करने के लिये किया गया है। प्रारंभ से ही परमेश्वर की यह योजना थी कि कलीसिया व उसके लोगों के द्वारा सभी को परमेश्वर की महानता एवं परिपूर्णता प्रगट की जाये। कलीसिया के सदस्यो को जिन्हें प्रभु ने मष्यु के अंधकार से निकालकर अनंत जीवन की ज्योति में ले आया है, वे लोग ही उसकी अद्भुत महिमा अन्य लोगों तक पहुँचायें। (द एक्ट ऑफ अपॉस्टल- 9) ChsHin 19.5

    कोई भी कलीसिया यह न सोचे कि लोगों को सुसमाचार बताकर प्रभावित करना बहुत छोटी बात है, विशेषकर वर्तमान समय में । प्रचार काम के लिये निकल पड़ो भाईयों। ये केवल बड़ी-बड़ी सभायें, कैम्प—मीटिंगस या प्रचार सभायें ही नहीं, जो लोगों की समझ के अनुसार प्रभु का ज्यादा प्रचार-प्रसार करती है, किन्तु एक विश्वासी का दूसरे विश्वासी के प्रति प्रेम, निस्वार्थ प्रेम, उसे मुकुट दिलायेगा, साथ ही भरपूर आशिशों के साथ उसे इस काम का सर्वश्रेश्ठ पुरूस्कार भी प्राप्त होगा। “करो — जो भी तुम चाहो! क्योंकि परमेश्वर इस काम में तुम्हारी सहायता करेगा, तुम्हारी ताकत व योग्यता को बढ़ायेगा।” (द रिव्यू एण्ड हैरल्ड — 13 मार्च, 1888)ChsHin 19.6

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