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मसीही सेवकाई - Contents
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    एक प्रभावकारी सहयोग

    जगत केवल धर्मोपदेश के आसन से सुनाये गये वचन से प्रभावित नहीं होगा बल्कि इस बात से कि पूरी कलीसिया किस प्रकार जीवन जीती है। प्रचारक उसके आसन से सुसमाचार के सिद्धांत सुनाता है। कलीसिया उन वचनों को धार्मिकता के साथ जीवन जीकर वचन की सामर्थ को प्रस्तुत करती है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 7:16)ChsHin 90.2

    इस जगत में परमेश्वर का काम कभी पूरा नहीं हो सकता जब तक सब स्त्री व पुरूश मिलकर एक साथ एक जुट होकर काम न करें तथा प्रभु के सेवक और कलीसिया के अन्य अधिकारियों द्वारा मिलकर प्रयास न किया जाये। (गॉस्पल वर्कर्स- 352)ChsHin 90.3

    आत्माओं के उद्धार के लिये धर्मोपदेश केवल एक छोटा सा हिस्सा है। परमेश्वर का आत्मा एक पापी को पाप स्वीकार करने और सच्चाई की ओर लाता है। और वे कलीसिया के सहयोगी बन जाते हैं। प्रभु के सेवक अपना काम करते हैं किन्तु अन्य सदस्य जो काम कर सकते हैं वे उसे नहीं कर सकते। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 4:69)ChsHin 90.4

    परमेश्वर की सच्चाई का बीज बोना प्रभु के कुछ ही अभिशिक्तों को नहीं दिया गया है, यह सच्चाई हर एक व्यक्ति जिसने प्रभु को जान लिया है, लोगों को बता सकता है, यदि वह यीशु मसीह का शिष्य है। प्रभु का वचन हर उस जल धारा के पास बोया जाना चाहिये, जहाँ वह फलवन्त हो। (द रिव्यू एण्ड द हैरल्ड- 22 अगस्त 1899)ChsHin 90.5

    प्रभु के सेवक कितना भी आनन्ददायी और मन को भाने वाला उपदेश सुनाये और कलीसिया की बढ़ोतरी के सारे भरसक प्रयास करें और यदि उसके सदस्य व्यक्तिगत रूप से प्रभु के सेवक होने का काम ईमानदारी से न करें तो कलीसिया हमेंषा अंधकार में रहेगी और उसमें कोई सामर्थ नहीं होगी। संसार चाहे कितना भी कठोर और अंधकार में क्यों न हो, उसकी भलाई के लिये ऐसे वास्तविक लगातार प्रयत्नशील उदाहरणों की जरूरत है, जो कलीसिया की सामर्थ का काम करें। जिससे उसकी वर्षद्ध हो। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 4:285, 286)ChsHin 91.1